अषाढ़ी एकादशी पर निबंध Ashadhi ekadashi essay in hindi

Ashadhi ekadashi essay in hindi

दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं आषाढी एकादशी यानी देवशयनी एकादशी के बारे में जानकारी। इस निबंध से जानकारी पाकर आप अपनी परीक्षाओं में निबंध लिखने के लिए यहां से तैयारी कर सकते हैं साथ में इस देव शयनी एकादशी के बारे में भी विस्तृत जानकारी ले सकते हैं तो चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के अषाढ़ी एकादशी के बारे में

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आषाढी एकादशी जिसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है इसे देवशयनी एकादशी एवं हरिशयनी एकादशी, पद्मा एकादशी आदि नामों से भी जाना जाता है। आषाढ़ के महीने की यह अषाढ़ी एकादशी काफी प्रसिद्ध है ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 मास के लिए शयन करते हैं। जब तक भगवान विष्णु इन चार मास के लिए क्षीरसागर में शयन करते हैं तब तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते।

ऐसा भी माना जाता है कि इन 4 महीनों में सूर्य, चंद्रमा आदि का तेज भी कम हो जाता है और इनके कमजोर हो जाने के कारण जो हम कार्य करते हैं उनके परिणाम भी शुभ नहीं होते, इसी वजह से इन मांगलिक कार्यों को इन 4 महीनों में नहीं किया जाता है। यह आषाढी एकादशी जून जुलाई के महीने में आती है, इन 4 महीनों में संत महात्मा किसी अच्छे स्थान पर जप तप करते हैं, इस आषाढी एकादशी यानी देवशयनी एकादशी के बारे में एक कथा भी प्रचलित है जो हम यहां पर पढेंगे।

काफी समय पहले की बात है नारद जी ने ब्रह्मा जी से आषाढी एकादशी के विषय में बताने को कहा

तभी ब्रह्मा जी ने उन्हें इस कथा के बारे में बताते हुए कहा कि सतयुग में एक बहुत ही प्रतापी राजा मांधाता राज्य करते थे, उनके राज्य में प्रजा सुखी रहती थी। एक समय ऐसा आया कि उनके राज्य में अकाल पड़ गया, अकाल पड़ जाने के बाद में प्रजा मैं हाहाकार मचने लगा। इस अकाल के कारण कई सालों तक बरसा भी नहीं हुई जिसके फलस्वरुप लोग काफी परेशान रहने लगे। राजा भी इस अकाल से मुक्ति पाना चाहते थे एक दिन प्रजा के कुछ लोग राजा के पास गए और अपनी परेशानी बताई।

राजा अब सोचने लगे कि आखिर मैंने ऐसा कौन सा कार्य किया है जिसकी वजह से मेरी प्रजा को यह परेशानी झेलनी पड़ रही है। अब राजा अपनी सेना को लेकर एक जंगल में चले गए, जंगल में एक महात्मा अंगिरा से मिले जो कि ब्रह्मा जी के पुत्र थे। राजा ने महर्षि अंगिरा को अपनी पूरी बैठा सुनाई तभी महाऋषि अंगिरा ने कहा कि यह अकाल आपके राज्य में रह रहे एक शूद्र जाति के व्यक्ति के कारण हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि दरअसल तप करने का अधिकार ब्राह्मण रखते हैं लेकिन आपके राज्य में यह शूद्र तप कर रहा है जिसकी वजह से आपके पूरे राज्य में अकाल पड़ा, आप इस संकट से अपनी प्रजा को उबारने के लिए इस शूद्र व्यक्ति का वध कर दीजिए।

तब महात्मा की बात को सुनकर राजा मांधाता कहने लगे कि मैं किसी निरपराध का वध नहीं कर सकता आप कृपयाकर मुझे कोई दूसरा उपाय बताएं तब राजा के कहने पर महाऋषि अंगिरा ने राजा को दूसरा उपाय बताते हुए कहा कि तुम आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का व्रत करो तुम्हारे राज्य से अकाल दूर हो जाएगा। महा ऋषि अंगिरा की यह बात सुनकर राजा काफी खुश हुए और राजा ने वापस अपने राज्य लौटकर देव शयनी एकादशी का व्रत किया और अपने राज्य को अकाल से मुक्त किया और फिर राजा के राज्य में मूसलाधार वर्षा हुई।

दोस्तों मेरे द्वारा लिखा देवशयनी एकादशी पर निबंध एवं कथा आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं, इस आर्टिकल को अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें।

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