अरविन्द घोष का जीवन परिचय व् निबंध Arvind ghosh essay, biography in hindi
Arvind ghosh essay in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं महर्षि अरविंद घोष के जीवन के बारे में
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम आपके लिए लाए हैं एक महान दार्शनिक, योगी एवं एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए ही जिया था. इस महर्षि ने अपने जीवन में ऐसे और भी कई कार्य किए जिनसे आज भी हमें काफी प्रेरणा मिलती है वास्तव में महर्षि अरविंद घोष का जीवन प्रेरणादायक रहा चलिए पढ़ते हैं शुरू से इस महान दार्शनिक अरविंद घोष जी के जीवन के बारे में
जन्म और परिवार-
अरविंद घोष का जन्म कलकत्ता में 15 अगस्त 1972 को हुआ था इनके पिता का नाम कृष्णधन घोष एवं माता का नाम स्वर्णलता था इनके पिता एक डॉक्टर थे इनके दो बड़े भाई एवं दो छोटे भाई बहन थे. इनका परिवार एक समृद्ध बंगाली परिवार में से था इनके पिता अपने बच्चों को उच्च शिक्षा करवाना चाहते थे इसीलिए इनके पिता ने अपने बच्चों को पढ़ाई की ओर विशेष ध्यान दिलाया और विदेशों में भी उनकी पढ़ाई करवाई.
https://en.wikipedia.org/wiki/Sri_Aurobindo
पढ़ाई-
अरविंद घोष ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दार्जिलिंग के लोरेटो कान्वेंट स्कूल से की. अपनी स्कूली पढ़ाई के बाद इनके परिवार ने इन्हें विदेश में पढ़ाई के लिए भेज दिया. अरविंद घोष अपने भाई के साथ पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए वहां पर उन्होंने लंदन में रहकर सेंटपॉल से पढ़ाई की. इन्होंने आईसीएस के लिए भी अप्लाई किया. अरविंद घोष जी पढ़ाई में बहुत ही अच्छे थे उन्होंने अपने जीवन में कई भाषाएं सीखी. ये अंग्रेजी भाषा बहुत ही अच्छी तरह से जानते थे, ये अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत वापस आ गए.
भारत वापसी के बाद किए गए कार्य-
अरविंद घोष महान थे वह जब भारत में वापस लौटे और उन्होंने जब चारों ओर देखा कि अंग्रेज भारतीयों पर काफी अत्याचार करते हैं तभी उन्होंने इस अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की और वो राजनीति में सक्रिय रहे.
वह कांग्रेस से जुड़े और अपने कुछ सहयोगियों के साथ में देश को स्वतंत्रता दिलवाने के लिए उन्होंने कार्य किया.
अलीपुर बम केस-
अलीपुर बम केस के बाद अरविंद घोष के जीवन में काफी बदलाव आया उन्होंने काफी मुश्किलों का सामना भी किया दरअसल अलीपुर बम केस के बाद अरविंद घोष जी को कारावास की यातनाएं सहनी पड़ी और कई समस्याओं का सामना करना पड़ा तभी अलीपुर की जेल में इनके जीवन में कई बदलाव हुए.
रिहाई के बाद इनका जीवन-
रिहाई के बाद उन्होंने एक साधारण सा जीवन जीना शुरू कर दिया और योग एवं ध्यान की ओर उन्होंने विशेष ध्यान दिया. उन्होंने एक आश्रम की स्थापना की और लोगों को उपदेश दिए इसी के साथ में उन्होंने एक पत्रिका का प्रकाशन भी किया इस पत्रिका का का नाम द आर्या है, उनकी रचनाओं के द्वारा हमें कई तरह के ज्ञान प्राप्त होते हैं.
इनकी मृत्यु-
अरविंद घोष जी एक महान दार्शनिक एवं विद्वान थे उनका जीवन काफी प्रेरणादायक रहा. 5 दिसंबर 1950 को जब वह 78 साल के थे तब उनकी मृत्यु हो गई. ये आज भले ही हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमें काफी प्रेरित करते हैं, उनका जीवन काफी प्रेरणादायक रहा.