त्योहारों का बदलता स्वरूप निबंध Parvo ka badalta swaroop
Parvo ka badalta swaroop
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं पर्वों का बदलता स्वरूप पर हमारे द्वारा लिखित यह आर्टिकल आप इसे जरूर पढ़ें। हमारे भारत देश में कई त्योहार या पर्व मनाए जाते हैं इन त्योहारों में दिवाली, होली, रक्षाबंधन, नवदुर्गा, क्रिसमस आदि ऐसे कई त्योहार हैं जो हम सभी मिलकर काफी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं
वास्तव में ये पर्व हमें काफी खुशी देते हैं इन त्योहारों का अपना अपना काफी महत्व है ये पर्व कुछ समय के लिए आते हैं और हमारे जीवन में खुशियों की बौछार कर जाते हैं। पहले के जमाने से आजकल के इस आधुनिक युग में सब कुछ बदल रहा है इन पर्वों का बदलता स्वरूप भी हमें देखने को मिल रहा है। बात करें हम दिवाली की तो दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।
दिवाली के त्यौहार में पहले सभी लोग दिवाली की तैयारी कुछ महीने पहले से ही करना शुरू कर देते थे, अपने घरों की खुद साफ सफाई किया करते थे और दिवाली के त्यौहार के महीने पहले से ही चारों और खुशी का वातावरण दिखता था लेकिन आजकल महिला और पुरुषों के पास इतना समय नहीं रह गया है कि वह खुद से अपने घर की साफ सफाई करें या दिवाली की पहले से तैयारी कर पाएं वह ज्यादातर अपने घर के नौकरों या किसी कामकाजी व्यक्ति से घर की साफ-सफाई या कामकाज करवाते हैं जिस वजह से पहले से तैयारी करने का आनंद अब नहीं रहा है।
दिवाली के त्योहार में पहले महीने भर से ही बाजार में दुकानें सजी हुई दिखती थी, बाजार में कहीं चहल पहल देखने को मिलती थी लेकिन आजकल यह सब थोड़ा कम हुआ है क्योंकि आजकल के लोग काफी व्यस्त रहने लगे हैं इसके अलावा पहले दिवाली, होली जैसे त्योहार पूरे परिवार के साथ मिलजुलकर मनाए जाते थे लेकिन आजकल संयुक्त परिवार बहुत कम देखने को मिलते है क्योंकि संयुक्त परिवार एकल परिवार में बंट गए हैं जिस वजह से त्योहार ज्यादातर लोग एकल परिवार में ही मनाते हैं जिससे पहले की अपेक्षा खुशी थोड़ी कम ही देखने को मिलती है।
होली के त्यौहार के आने पर लोग होली के दिन अपनी भाभियो, सालियों, जीजा जी को होली के रंगों में लिपटाने के लिए हमेशा तैयार रहते थे वह पहले से ही इसकी तैयारी करते थे लेकिन होली का यह त्यौहार भी पहले की अपेक्षा थोड़ा फीका हो गया है आजकल मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट के जमाने में लोग इन त्योहारों को मनाने से ज्यादा इंटरनेट पर समय देना पसंद करते हैं।
होली का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन पहले की तरह नहीं मनाया जाता इसमें काफी बदलाव देखने को मिलते हैं पहले जहां बच्चे होली के कुछ दिन पहले से ही मोहल्ले में आने जाने वाले महिला या पुरुषों पर रंग डाल देते थे, पहले से ही काफी खुशी बच्चों, बूढ़ों और नौजवानों में देखने को मिलती थी लेकिन यह रंग, यह खुशी आजकल थोड़ी कम ही दिखती है।
इन्ही त्योहारो की तरह रक्षाबंधन के त्यौहार में भी कुछ बदलाव देखने को मिलते हैं पहले रक्षाबंधन के आने के कुछ समय पहले से ही लड़कियां, औरतें काफी तैयारी शुरू कर देते थे, गांव शहर मैं काफी चहल-पहल देखने को मिलती थी लड़कियां, औरतें घरों खेत खलिहानों में झूले डालते थे और झूले में झूलने का आनंद लेते थे, कई खेल भी खेलते थे रक्षाबंधन की कुछ समय पहले से ही वह इसकी तैयारी करना शुरू कर देते थे लेकिन आजकल इसमें भी बदलाव देखने को मिला है लड़कियां, औरतें झूला झूलना बहुत ही कम पसंद करती हैं आजकल मोबाइल, इंटरनेट ने इन सबकी जगह ले ली है।
कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो इस तरह के त्योहारों के महत्व को ना समझकर त्योहारों को सही तरह से भी नहीं मनाते। हम यह मान सकते हैं कि बदलाव हर जगह होता है तो यहाँ पर भी बदलाव हुआ है लेकिन हम सभी को यह समझना चाहिए कि ये त्योहार हम सभी को करीब लाते हैं, एक दूसरे के प्रति प्रेम उत्पन्न करते हैं, परिवार को आपस में मिलाते हैं, हम सभी को कुछ पल की खुशी दे देते हैं, हम सबके दुखों को भूलाकर हमारे जीवन में एक बदलाव लाते हैं इसलिए हम सभी को इन त्योहारों को बहुत ही खुशी के साथ मनाना चाहिए। थोड़ा बहुत बदलाव ठीक है लेकिन इन त्योहारो में अधिक बदलाव नहीं करना चाहिए और पूरे रीति रिवाजों के साथ इन त्योहारो को खुशी खुशी मनाना चाहिए।
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