अमित कुमार दास 250 रु से करोड़पति का सफ़र Amit kumar das isoft founder success story in hindi

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज हम आपको आईसॉफ्ट कंपनी के फाउंडर अमित कुमार दास के जीवन के बारे में बताएंगे वास्तव में कुछ लोग होते हैं जो अपने हौसलों के दम पर जीवन में कुछ ऐसा करते हैं कि हम उनसे प्रेरणा लेते हैं हम उनके बारे में जानकर हमेशा आगे बढ़ने के बारे में सोचते हैं.अमित कुमार दास भी कुछ ऐसे ही हैं जिन्होंने आर्थिक समस्याओं का सामना करते हुए अपनी कंपनी को बहुत अच्छे मुकाम पर पहुंचाया है तो चलिए पढ़ते हैं अमित कुमार दास के जीवन के बारे में

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अमित कुमार दास जो कि आज सॉफ्टवेयर कंपनी आईसॉफ्ट के मालिक है वो बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज नामक गांव के रहने वाले हैं वो एक किसान परिवार से हैं उनके पिता भी एक किसान थे लेकिन अमित कुमार हमेशा से ही एक इंजीनियर बनना चाहते थे उन्होंने अपने पास की स्कूल से अपने शुरुआती पढ़ाई की उसके बाद 12वीं की पढाई उन्होंने साइंस से की.अब वह आगे पढ़ना चाहते थे और इंजीनियर बनना चाहते थे इसके लिए वह ₹250 लेकर दिल्ली आ गए वह इंजीनियर की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन उनके पास इतना पैसा नहीं था जिस वजह से उन्होंने कोचिंग पढाना शुरु कर दिया और b.a. की पढ़ाई की.

इसी के साथ में उन्होंने अंग्रेजी और कंप्यूटर का कोर्स भी किया.एक समय की बात है कि किसी इंटरव्यू के दौरान अमित कुमार दास जी को पता चला की अंग्रेजी आना बहुत जरूरी है इसके बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते इसलिए उन्होंने 3 महीने का इंग्लिश का कोर्स किया और अंग्रेजी को अच्छी तरह से सीखा.उनके इंस्टिट्यूट ने फैकल्टी के तौर पर उन्हें नियुक्त कर लिया लेकिन अमित कुमार दास जी अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते थे वह अपनी इस जॉब से संतुष्ट नहीं थे उन्होंने जॉब छोड़ दी और अपनी एक कंपनी आईसॉफ्ट बना दी

इसके बाद भी अमित कुमार दास जी को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा.बहुत समय तक उन्हें कोई भी प्रोजेक्ट नहीं मिला लेकिन वह लगातार प्रयास करते रहे अपने प्रोजेक्ट क्लाइंट को दिखाने के लिए कभी-कभी तो वह सीपीओ को भी साथ में ले जाते हैं क्योंकि लैपटॉप खरीदने के लिए उनके पास इतना पैसा नहीं था.जब उन्हें पहला प्रोजेक्ट मिला तो इसके लिए उन्हें सिर्फ ₹5000 मिले.

इसके बाद अमित कुमार दास जी लगातार प्रयास करते रहे उन्होंने हार नहीं मानी अपने लगातार किए हुए प्रयासों के दम पर वह अपनी कंपनी को सिडनी तक ले गए और उनकी कंपनी लगातार आगे बढ़ती गई उन्हें आस्ट्रेलिया में सॉफ्टवेयर फेयर में जाने का भी मौका मिला. और आज उनकी कंपनी का टर्नओवर लगभग डेढ़ सौ करोड़ से भी ज्यादा है वह चाहते तो बचपन में अपने पापा की तरह खेती-किसानी कर सकते थे लेकिन वह अपने आपको आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे और अपने परिवार को गरीबी की जिंदगी से दूर करना चाहते थे.

वह कुछ करना चाहते थे और अमित कुमार जी ने वह कर दिखाया आज वह करोड़ों के मालिक हैं इनके पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने गांव में अपने पिता के नाम पर एक कॉलेज खोला जो वहां के युवाओं के लिए सुविधाजनक है वाकई में ये प्रशंसनीय है.
हम सभी को सोचना चाहिए की एक साधारण गरीब परिवार का लड़का जो सिर्फ ₹250 लेकर दिल्ली आया था उसने आज करोड़ों की कंपनी बनादी हैं.वह सफलता की नई-नई ऊँचाइया लगातार छू रहे हैं जिसके लिए वह हमेशा प्रशंसनीय है.

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