बात का अनुसरण Shikshaprad kahani in hindi
Shikshaprad kahani in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी दोस्तों काफी समय पुरानी बात है किसी गांव में एक परिवार रहता था,सभी लोग परिवार में खुश थे लेकिन उस परिवार का एक लड़का किसी बीमारी से पीड़ित था जिस वजह से उसे कहा गया था की वोह शक्कर ना खाएं लेकिन वह लड़का नहीं मानता था उसके परिवार वालों ने सोचा कि ऐसा क्या किया जाए यह शक्कर खाना बंद कर दे,परिवार वालों ने सोचा कि पास में ही एक महात्मा जी रहते हैं हो सकता ये लड़का महात्मा जी की बात मान जाए.

कुछ दिनों बाद पूरा परिवार उस महात्मा जी के पास में गया और लड़के के पिता ने कहा कि महात्मा जी मेरा लड़का शक्कर खाता है उसको एक बीमारी है जिस वजह से चिकित्सक ने मना किया है,लेकिन ये शक्कर खाना बंद करता ही नहीं.आप कुछ ऐसा इससे कह दो कि शक्कर खाना बंद कर दे तो महात्मा जी उस लड़के के पिता से बोले कि मैं बिल्कुल कह दूंगा कि तू शक्कर खाना बंद कर दे या मैं कुछ ऐसा कहूंगा यह शक्कर खाना बंद कर देगा लेकिन तू इसको 15 दिन बाद लाना,लड़के के पिता को एक बात समझ में नहीं आई कि महात्मा यह बात अभी क्यों नहीं कह सकते 15 दिन बाद क्यों कहना चाहते हैं
लेकिन फिर भी उन्होंने महात्मा से कुछ नहीं पूछा और 15 दिन बाद इंतजार करने के बाद वह परिवार उस महात्मा के पास आया,महात्मा ने उस लड़के से कहा कि बेटा तू शक्कर मत खा शक्कर खाने से तुझे नुकसान होगा तुझे बीमारी हो जाएगी और तुझे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा उस लड़के ने कह दिया कि हां महात्मा में शक्कर आजसे बिल्कुल नहीं खाऊंगा.
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कुछ समय बाद जब वो लड़का महात्मा जी के पास चला गया,तो लड़के के पिता ने महात्मा से पूछा महात्मा एक बात समझ में नहीं आती की इतनी सी बात आप 15 दिन पहले भी कह सकते थे लेकिन आपने पहले क्यों नहीं कहीं,15 दिन बाद क्यों कही तो महात्मा जी कहते हैं की दरअसल 15 दिन पहले तक मैं शक्कर खुद खाता था अब मैं तुम्हारे लड़के से कहता कि बेटा शक्कर नहीं खानी चाहिए तो मेरी बात का कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि मैं खुद शक्कर खाता हूं लेकिन 15 दिन का जो मैंने समय आपको दिया तो 15 दिन में मैंने खुद सक्कर खाना बंद कर दिया जिससे मैंने जो भी कहा उसका अनुसरण भी मैं करता हूं इसलिए मेरी बात का प्रभाव ज्यादा होगा
दोस्तों इस कहानी से हमको सीख मिलती है कि जिंदगी में हम जो भी कहें यह बहुत जरूरी है कि उसका अनुसरण हम भी करते हो यानि वह हम भी मानते हैं अगर हम कुछ लोगों को सीख देते हैं कि आप ऐसा मत करो वैसा मत करो लेकिन हम खुद उस बात को नहीं मानते हैं तो उसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि हम सही बोलते हैं या झूठ वह हमारे हाव-भाव और हमारी शक्ल से ही पता लग जाता है इसलिए कभी भी आप कुछ बोलो तोह आप खुद उसको मानो.
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