भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई shri krishna ki mrityu kaise hui in hindi

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दोस्तों हम सभी ने भगवान श्री कृष्ण की कई कथाएं सुनी हैं आज हम आपके लिए लाए हैं भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु की कथा तो चलिए पढ़ते हैं इस कथा को विस्तार से

shri krishna ki mrityu kaise hui in hindi
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यह कथा शुरू होती है महाभारत के युद्ध के बाद से दरअसल हुआ कुछ यूं था की महाभारत युद्ध में जब गांधारी ने देखा कि उसके पुत्र मृत्यु को प्राप्त हो गए हैं तब वह काफी दुखी हुई तभी  गांधारी ने दुखी होकर भगवान श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि 36 वर्षों के बाद उनकी मृत्यु हो जाएगी. भगवान श्री कृष्ण ने मुस्कुराकर उस श्राप को स्वीकार किया. काफी सालों बाद भी भगवान श्री कृष्ण की द्वारिका नगरी काफी शांत और खुशहाल थी. एक बार भगवान श्री कृष्ण के पुत्र सांब ने कुछ साथियों के साथ मिलकर एक शरारत की.

दरअसल श्री कृष्ण का पुत्र सांब एक स्त्री का रूप धारण करके दोस्तों के साथ ऋषि दुर्वासा, विश्वामित्र, वशिष्ठ एवं नारद मुनि से मिले और उन्होंने इन सभी ऋषियों से पूछा कि मैं गर्भवती हूं, मेरे गर्भ में जो बच्चा है उसका लिंग क्या है? उनमें से एक ऋषि ने इस बात को समझ लिया और श्री कृष्ण के पुत्र सांब को श्राप दिया की तुम लोहे के तीर को जन्म दोगे. श्री कृष्ण के पुत्र सांब ने यह घटना उग्रसेन को बताई और उग्रसेन ने इस श्राप से मुक्ति के लिए कहा कि तुम एक तीर का चूर्ण बनाकर प्रभास नदी में प्रवाहित कर दो.

सांब ने ऐसा ही किया लेकिन इस घटना के कुछ समय बाद ही द्वारिका में अशुभ संकेत मिलने लगे. द्वारका के लोग अपराधों और पापों को करते. अपराध दिनादिन बढ़ने लगे, पाप का साया चारों ओर था. भगवान श्री कृष्ण ने जब यह सब देखा तो वह काफी परेशान थे उन्होंने एक दिन अपनी प्रजा से कहा कि वह सब प्रवास नदी के तट पर जाकर तीर्थ यात्रा करके अपने पापों से मुक्त हो. तब सभी श्री कृष्ण के आग्रह पर प्रवास नदी के तट पर पहुंचे लेकिन वहां पर वह किसी कारणवश मद्यपान करके आपस में झगड़ने लगे.

झगड़ा इतना बढ़ गया था कि लोग एक दूसरे को मारने लगे तब श्री कृष्ण ने पांडवो के पास यह संदेशा भेजा जिससे वह मदद लेकर आए लेकिन इससे पहले कि पांडव मदद लेकर आते श्री कृष्ण की भी मृत्यु हो गई थी दरअसल जब श्री कृष्ण बन में बैठे हुए थे तभी जीरु शिकारी ने हिरन समझकर भगवान श्री कृष्ण की तरफ तीर चला दिया जिस कारण भगवान श्री कृष्ण की मृत्यु हो गई दरअसल यह वही तीर था जिसके टुकड़े करके भगवान श्री कृष्ण के पुत्र ने प्रवास नदी में बहा दिया था लेकिन उस तीर का चूर्ण एक मछली ने निगल लिया था जिसके पेट में जाकर धातु का एक टुकड़ा बना.

जब यह मछली जीरु नामक शिकारी के हाथ लगी तब उसके शरीर से निकले धातु से तीर का निर्माण किया गया और हिरन समझकर शिकारी ने यह जहरीला तीर भगवान श्री कृष्ण की ओर छोड़ दिया जिससे तीर लगने की वजह से श्रीकृष्ण की मृत्यु हो गई. उसके बाद अर्जुन भी द्वारका पहुंचे लेकिन द्वारका जलमग्न हो गई थी. अर्जुन भगवान श्री कृष्ण की कुछ रानियों एवं प्रजा को साथ में लेकर अपनी नगरी की ओर चले गए

दोस्तों हमें बताएं कि श्री कृष्ण की यह कथा shri krishna ki mrityu kaise hui in hindi आपको कैसी लगी इसी तरह के आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट को रोजाना पढ़ें.

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