माता सती अनुसुइया की कहानी Sati anasuya story in hindi
Sati anasuya story in hindi
mata sati ansuya ki kahani-दोस्तों काफी समय पहले की बात है महर्षि अत्रि की पत्नी अनसूया एक पतिव्रता स्त्री थी.उनकी पतिव्रता का बखान दूर-दूर तक फैला हुआ था. एक समय की बात है कि जब भगवान विष्णु,शिव शंकर और भ्रह्मा जी कही गई थे तब नारदजी तीनों देवियों के पास एक एक करके गए और कहने लगे कि इस पूरी सृष्टि में माता अनुसूया के मुकाबले पतिव्रता स्त्री कोई भी नहीं है.
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नारद जी की यह बात सुनकर तीनों देवियां अनसुइया जी से जलने लगी और तीनों एकत्रित हुई और उन्होंने अनसूया जी के पतिव्रत धर्म को भंग करने का निर्णय लिया.जब तीनों देव आए तो तीनों देवियों ने अनसूया के पतिव्रत धर्म को भंग करने को कहा. अंत में तीनों देव ब्राह्मणों का वेश धारण करके माता अनुसूया के द्वार पर आ पहुचे. माता अनुसूईया ने तीनों देवों को घर के अंदर बुलवाया और जैसे ही माता अनसूया ने तीनों ब्राह्मणों से भोजन करने को कहा तो तीनों ब्राहम्मण कहने लगे कि हमारे भोजन करने की एक शर्त है कि आप हमें निर्वस्त्र होकर भोजन कराएं.
माता अनसूया ब्राह्मणों कि इस तरह की बात को सुनकर सोचने लगी यदि मैंने अपने द्वार से इन्हें भूखे ही जाने दिया तो मुझे पाप लगेगा. मुझे कोई उपाय करना होगा उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि इन तीनों को छह छह माह के बच्चे बना दें उसी क्षण तीनों ऋषि 6 महीने के बच्चे बन गए और माता अनुसूया ने निर्वस्त्र होकर उन्हें भोजन कराया और दूध पिलाया. इस तरह से ऋषियों की बात भी पूरी हुई और माता अनसुइया का पतिव्रत धर्म भी रह गया.
अब माता अनसूईया उन तीनों बच्चों को पालने में बिठाकर उनका पालन पोषण करने लगीं थी.जब तीनों देवियों को यह बात पता लगी तो वो माता अनुसुईया के द्वार पर आई और माता अनसूईया से तीनों देवियों ने माफी मांगी और उन्होंने अपने पतियों को वापस लौटाने की बात कही तभी माता अनुसूईया ने तीनों बच्चों को उनका असली रूप प्रदान किया और वह और देवियां अपने देवों के साथ चल पड़ी.
जाते समय उन्होंने माता अनुसूईया से एक वर मांगने को कहा तब माता अनुसूया ने वर मांगा कि आप तीनों देव पुत्र के रूप में मेरे यहां पर जन्म ले यही हमारी इच्छा है और कुछ समय बाद ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों ने पुत्रो के रूप में माता अनसूया के घर पर जन्म लिया.
वास्तव में अनसूईया एक पतिव्रता नारी थी उनका पतिव्रत धर्म सबसे बढ़कर था.
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