एक पुलिस अधिकारी की आत्मकथा Police ki atmakatha essay in hindi

Police ki atmakatha essay in hindi

दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं पुलिस की आत्मकथा पर मेरे द्वारा लिखित यह आर्टिकल आप इसे जरूर पढ़ें। यह आर्टिकल एक काल्पनिक आर्टिकल है चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को

Police ki atmakatha essay in hindi
Police ki atmakatha essay in hindi

मैं पुलिस हूं। मेरा कार्य अपने शहर की सुरक्षा करने का है। मैं अपने कार्य को पूरी ईमानदारी से करता हूं। जब मैंने अपनी ड्यूटी शुरू की थी तभी मैंने सोच लिया था कि मैं अपने इस छोटे से परिवार को जिस तरह से परिवार समझता हूं और रक्षा करता हूं उसी तरह से मैं अपने पूरे शहर को अपना परिवार समझूंगा और उसकी सुरक्षा के लिए हर प्रयत्न करूंगा।

मैं अपनी ड्यूटी पैसे कमाने के लिए नहीं बल्कि देश की सुरक्षा के लिए, अपने शहर की सुरक्षा के लिए करूंगा। अपने शहर में किसी भी तरह का क्राइम होगा तो मैं क्राइम करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लूंगा यह सोचकर मैंने अपनी ड्यूटी शुरू की थी। आज मुझे अपनी ड्यूटी करते हुए 5 साल से भी अधिक समय हो चुका है। आज मैं अपने कार्य से खुश हूं।

मेरा परिवार भी मेरे कार्य से काफी खुश रहता है। हां थोड़ा बहुत डर जरूर रहता है क्योंकि कभी-कभी मैं अपने घर वालों के पास देर रात तक पहुंच पाता हूं लेकिन मेरे माता-पिता को मुझ पर गर्व है कि मैं अपने शहर के लिए पूरी ईमानदारी से कार्य कर रहा हूं और किसी भी तरह का भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं देता। अक्सर कई पुलिस वाले होते हैं जो किसी कार्य को करवाने के लिए रिश्वत लेते हैं लेकिन मेरे लिए मेरी ड्यूटी अपने शहर एवं देश के लिए पूरी तरह से समर्पित है।

भ्रष्टाचार मेरे लिए अपने शहर का सबसे बड़ा दुश्मन है, मैं अपने साथ में कार्यरत सभी से भ्रष्टाचार से दूर रहने को कहता हूं। हमारी ड्यूटी 24 घंटे की होती है कभी-कभी जब मैं रात के समय विश्राम कर रहा होता हूं तब भी मेरे पास इमरजेंसी कॉल आ जाती है और मुझे तत्काल अपने घर से निकलकर जाना पड़ता है। वैसे  मेरा स्वभाव बहुत ही सिंपल है। मैं जब किसी से मिलता हूं तो मुस्कुराकर मिलता हूं, लोग मुझे देखकर खुश हो जाते हैं लेकिन जब भी मैं चोर और गलत लोगों से मिलता हूं तो मेरे चेहरे पर अकशमात ही हावभाव बदलते नजर आते हैं।

चोर लफंगे मेरे चेहरे को देखकर डर जाते हैं। मैं कभी भी जब चोरों को पकड़ने के लिए घर से निकलता हूं तो अपनी जान की परवाह नहीं करता। मैं अपने शहर की, अपने शहर के नागरिकों की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहता हूं। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। मैं बस ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूं कि मैं इसी तरह से हमेशा अपने शहर की, शहर वासियों की सुरक्षा करता रहूं और अपनी ड्यूटी पूरी ईमानदारी से करता रहूं, यही है मेरे जीवन की आत्मकथा।

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