मानव सुरक्षा और शांति निर्माण पर एक निबंध Manav suraksha aur shanti nirman essay in hindi
Manav suraksha aur shanti nirman essay in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मानव सुरक्षा और शांति निर्माण पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए हम आगे बढ़ते हैं और मानव सुरक्षा और शांति निर्माण पर लिखे निबंध के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
आज मानव सुरक्षा को लेकर विचार व्यक्त किए जा रहे हैं क्योंकि मानव सुरक्षा ही व्यक्ति के जीवन को सफल जीवन बना सकती है । आज व्यक्ति सफलता प्राप्त करने की दौड़ में लगा हुआ है । वह अपने जीवन की सुरक्षा करने की ओर ध्यान नहीं दे रहा है । मानव सुरक्षा के लिए प्रकृति का स्वच्छ होना बहुत ही जरूरी है । आज हम देख रहे हैं कि फैक्ट्रियों से जो प्रदूषण फैल रहा है उस प्रदूषण से मानव जीवन को कई तरह की बीमारियां हो रही है जिन बीमारियों के कारण मनुष्य का जीवन खतरे में पड़ रहा है ।
मानव की सुरक्षा करना आज बहुत ही जरूरी हो गया है । मानव सुरक्षा के लिए पेड़ पौधे लगाना , स्वच्छ वातावरण बनाए रखना बहुत ही जरूरी हो गया है । आज व्यक्ति अपने कामों में इतनी तेज गति से व्यस्त है कि वह अपने खान-पान पर ध्यान नहीं दे पा रहा है । स्वस्थ शरीर होने पर ही व्यक्ति का जीवन सफल होता है । मानव सुरक्षा के लिए मनुष्य को ही अपने कदम आगे बढ़ाने होंगे । मनुष्य का जीवन एकदम व्यस्ततम जीवन हैं जिसके कारण मनुष्य को शांति प्राप्त नहीं हो पा रही है ।
जब व्यक्ति एक अच्छे जीवन की कल्पना करता है तब उसे शांत माहौल की आवश्यकता होती है । आज हम देेेख रहे हैं कि व्यक्ति अपने फायदे के लिए दूसरों का इस्तेमाल कर रहा है और दूसरे प्रति द्वेष की भावना रखता है ।
जब किसी देश में शांति और सद्भाव भंग होते तब वहां पर मानव सुरक्षा पर काफी संकट मंडराता है । शांति भंग होने पर दंगा फसाद शुरू हो जाते हैं और लोग उस दंगे फसाद की चपेट में आकर अपने आप को नुकसान पहुंचा लेते हैं । शांति भंग होने के कई उदाहरण हम भारत देश में देख चुके हैं । जब शांति भंग होती है तब लोगों को काफी नुकसान और देश को भी काफी नुकसान होता है । जब भारत देश में 1957 को रामनाद दंगे हुए थे उस दंगे में काफी लोग घायल हो गए थे और कुछ लोगों की जान भी चली गई थी । इसके बाद जब 1967 में रांची में हटिया दंगे हुए तब उस दंगे में भी काफी लोग मारे गए थे ।
शांति बदहाल होने के कारण 1987 को हरियाणा में दंगे हुए जिसका खामियाजा वहां के लोगों को भुगतना पड़ा था ।शांति बदहाल के कारण 1990 में हैदराबाद में दंगे हुए जिस के दुष्प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ा था । इसके बाद 2006 में शांति बदहाल होने के कारण बड़ोदरा दंगे हुए जिस दंगे में काफी लोगों की जान चली गई थी और कई लोग घायल हो गए थे । इसके बाद 2018 में शांति भंग हो जाने के कारण गुर्जर आंदोलन हुआ जिस आंदोलन में कई लोगों की जान चली गई थी । इसके बाद शांति बहाल होने के कारण 2013 में मुजफ्फरनगर दंगे हुए जिस दंगे में कई भारतीय लोगों की जान चली गई थी और कई लोग घायल हो गए थे ।
इसके बाद 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन प्रारंभ हुआ जिस आंदोलन में कई लोगों की जान चली गई थी । शांति और सद्भाव ऐसे 2 शब्द हैं जिन दोनों शब्दों को प्रभावित करने वाले कारक होते हैं । जो कारक इस प्रकार से हैं राजनीतिक मुद्दे वह कारक है जो शांति को प्रभावित करता है । इसके बाद आतंकवाद के कारण भी देश की शांति बदहाल होती है और लोगों के अंदर एक दहशत फैल जाती है । जिसके कारण मानव अपने जीवन को असुरक्षित महसूस करता है । उसके अंदर यह भय लगा रहता है कि आतंकवाद के कारण जीवन अंधकार की ओर बढ़ता जा रहा है । इसके बाद शांति को प्रभावित करने वाला तीसरा कारण धर्म , जाति होता है ।
जो लोग अपने फायदे के लिए धर्म , जाति के नाम पर लड़ाई दंगे फसाद करते हैं वह लोग धर्म के आधार पर शांति को बदहाल करने की कोशिश करते हैं ।जब धर्म जाति के नाम पर लड़ाई , दंगे , फसाद होते हैं तब पूरे देश की शांति भंग हो जाती है और लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है । लोगों को शांति जैसा जीवन व्यतीत करना चाहिए ना कि धर्म जाति के नाम पर लड़ाई दंगे करके अपना और अपने देश का नुकसान करना चाहिए ।
मानव सुरक्षा के गांधीवादी दृष्टिकोण – मानव सुरक्षा को लेकर भारत देश के महात्मा गांधी जी भी बहुत सोचते थे । गांधीवादी दृष्टिकोण के हिसाब से मानव को अपना जीवन एक शांतिप्रिय ढंग से जीना चाहिए । मानव को अपनी मानवता कभी नहीं खोनी चाहिए । जो व्यक्ति धार्मिक गतिविधियों की आड़ मे लोगों को भड़काने , शांति भंग करने का प्रयास करता है वह व्यक्ति एक मानव कहलाने का हकदार नहीं होता है । मानव सुरक्षा के गांधीवादी दृष्टिकोण को यदि सभी लोग अपना कर जीवन जीने लगे तो शांति सुरक्षा दोनों बरकरार रहेंगी ।
मानव कर्तव्य की बात करें तो यदि हर व्यक्ति अपने कर्तव्य को निभाता रहे और धार्मिक सामाजिक विचारों को समझ कर सत्य के रास्ते पर चलने लगे तो शांति सद्भाव कभी भी प्रभावित नहीं होंगे । गांधी विचारधारा आदर्शवाद पर नहीं चलती है बल्कि व्यवहारिक आदर्शवाद पर चलती है ।मानव कल्याण के लिए शांति सद्भाव को बरकरार रखने के लिए गांधीवाद विचारधारा में सत्य और अहिंसा दो आधारभूत सिद्धांत होते हैं । यदि मानव सत्य और अहिंसा पर चलकर अपने जीवन को जिए तो वह एक शांत माहौल प्राप्त कर सकता है ।
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