मदन मोहन मालवीय की जीवनी madan mohan malviya biography in hindi

madan mohan malviya essay in hindi

दोस्तों आज हम आपको ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने हमारे देश को आजाद कराने के लिए अपना योगदान दिया था । हम बात कर रहे हैं मदन मोहन मालवीय जी के बारे में जो स्वतंत्रता सेनानी एवं एक अच्छे राजनेता थे । जिन्होंने अंग्रेजों को परेशान करके रखा था । अब हम आपको मदन मोहन मालवीय जी के जीवन के बारे में बताने जा रहे हैं ।

madan mohan malviya essay in hindi
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https://en.wikipedia.org/wiki/Madan_Mohan_Malaviya

जीवन परिचय – मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था । उनके पिताजी का नाम पंडित बैजनाथ एवं माता का नाम मीना देवी था । उनकी मां की आठ संताने थी उनमें से एक थे मदन मोहन मालवीय जी । यह ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे । उनके माता पिता उनको बहुत प्रेम करते थे । वह अपने माता पिता से अच्छे संस्कार प्राप्त करते रहते थे । उनकी एक पत्नी थी जिसका नाम कुंदन देवी था । उनकी पत्नी के द्वारा उनके 4 पुत्र एवं दो पुत्री थी जिनका नाम पुत्र रमाकांत ,मुकुंद ,राधाकांत ,और गोविंद एवं पुत्री का नाम रामा और मालती था ।

प्रारंभिक जीवन – मदन मोहन मालवीय जी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं एक अच्छे राजनेता थे । उन्होंने अपने जीवन में अपने देश से बहुत प्रेम किया है। महात्मा गांधी जी भी उनके बारे में यह कहते थे यह हमारे देश के बहुत अच्छे स्वतंत्रता सेनानी हैं । यदि हम सभी अपनी सोच उनकी तरह बना ले तो हमारा देश बहुत ही जल्द आजाद हो जाएगा । मदन मोहन मालवीय जी की शिक्षा 5 वर्ष की आयु में शुरू कर दी गई थी । उनको प्रारंभिक पढ़ाई 5 वर्ष की आयु में महाजन स्कूल से कराई गई थी । इसके बाद उनको एक धार्मिक विद्यालय में भेज दिया गया और वहां पर हरादेव जी के द्वारा उनको शिक्षा प्राप्त हुई और उन्ही के मार्गदर्शन में उन्होंने धार्मिक ज्ञान पाया हैं । यहां से उनके जीवन में इतना बदलाव आया कि वह धर्म और देश के हित में बातें करने लगे ।

शिक्षा – 1868 में उन्होंने एक शासकीय स्कूल में दाखिला लिया और वहां से वे हाई स्कूल की पढ़ाई करने लगे । इसके बाद वह 1879 में सेंटर कॉलेज से मैट्रिक पास करके उन्होंने 1884 में कोलकाता विश्वविद्यालय से b.a. पास किया था । मदन मोहन मालवीय जी b.a. करने के बाद एम ए की पढ़ाई करना चाहते थे लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण वह m.a. की पढ़ाई नहीं कर पाए । बीए पास करने के बाद उन्हें ₹40 महीने की शिक्षक की नौकरी मिल गई और वह एक अच्छे शिक्षक बन गए थे ।

केरियर – उन्होंने एक अच्छे राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपना योगदान दिया था । यह कहा जाता है कि जब 1886 में कोलकाता मैं दादाभाई नरोजी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय भारतीय कांग्रेश के दूसरे अधिवेशन में उन्होंने भाग लिया था और इस अधिवेशन में मदन मोहन मालवीय ने सभी को संबोधित किया था । उनके द्वारा दिए गए भाषण से प्रभावित होकर महाराज श्री रामपाल सिंह के दिमाग में यह विचार आया कि मदन मोहन मालवीय जी को सप्ताहिक समाचार पत्र में संपादक बना दिया जाए और उन्होंने मदन मोहन मालवीय से इस विषय में बात की और वह तैयार हो गए । इसके बाद उन्होंने विचार किया कि अब मुझे एलएलबी की पढ़ाई करनी चाहिए। उन्होंने एलएलबी की शिक्षा प्राप्त करना प्रारंभ कर दिया था । उन्होंने 1891 में एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इलाहाबाद जिला के न्यायालय में प्रैक्टिस करने लगे । वह प्रेक्टिस करने के बाद वकालत की पढ़ाई में अपना पूरा समय बिता देते थे । इसके बाद उन्होंने 1960 में अपनी ही एक अभ्युदय नामक हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र लिखना शुरू किया । यह कहा जाता है कि इस हिंदी सप्ताहिक समाचार पत्र का नाम 1915 में बदल कर के दैनिक समाचार कर दिया गया । 1909 में मदन मोहन मालवीय जी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था ।

मृत्यु – हमारे भारत के स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय जी का निधन 12 नवंबर 1946 को हुआ था। उनके निधन के बाद हमें एक अच्छे राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी की कमी महसूस होती रहेगी और हम सभी भारतीयों को गर्व होता है कि हमारे देश में ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी मदन मोहन मालवीय जी ने जन्म लिया था ।

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