घनश्याम दास बिड़ला की जीवनी Ghanshyam das birla biography in hindi
Ghanshyam das birla biography in hindi
हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल Ghanshyam das birla biography in hindi आप सभी को काफी प्रेरित करेगी घनश्याम दास बिरला हमारे देश के एक जाने माने उद्योगपति थे जिन्होंने अपने जीवन में अपने उद्योग को खड़ा करने के लिए काफी संघर्ष किया बहुत सारी मुसीबतें उन्होंने अपने जीवन में झेली और उनका सामना करते हुए जीवन में सफलता हासिल की,वह बी. के. के. एम्. बिडला समूह के संस्थापक थे आज उनको उनके कामों की वजह से पूरी दुनिया जानती है चलिए जानते हैं उनके जीवन के बारे में
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घनश्याम दास बिरला का जन्म 10 अप्रैल 1894 में राजस्थान के पिलानी नामक गांव में हुआ था उनके पिता का नाम बलदेव दास था घनश्याम दास बिरला ने सिर्फ पांचवी क्लास तक पढ़ाई की थी वह अपने पिता के सहयोग से पिलानी गांव से कोलकाता आ गए क्योंकि वहां पर उन्हें व्यापार करना था उन्होंने 1912 से ही व्यवसाय करना शुरु कर दिया और इससे उन्हें व्यापार करने के सभी दावपेच की जानकारी मिली
इसके बाद 1918 में उन्होंने बिरला ब्रदर्स की स्थापना की इसमें उन्होंने लाखों रुपए इन्वेस्ट किए इसके बाद उन्होंने 1919 में जूट उद्योग में भी कदम बढ़ाए इसके बाद 1921 में उन्होंने ग्वालियर में एक कपड़ा मिल की स्थापना की इसी बीच उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा उन्हें अपने बिजनेस के लिए बहुत से रुपयों की जरूरत थी इसलिए उन्होंने बैंक से लोन लेने के लिए आवेदन किया लेकिन बैंक ने लोन देने से मना कर दिया.
सन 1927 में इन्होंने महात्मा गांधी जी जैसे सहयोगियों के साथ फेडरेशन इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की स्थापना की जो एक विशालकाय व्यापारिक संगठन है कुछ ही सालों में उन्होंने व्यापार जगत में अपने कदम जमा लिए थे इसके बाद उन्होंने हिंदुस्तान मोटर्स एवं हिंदुस्तान टाइम्स आदि की भी स्थापना की उन्होंने सीमेंट,स्टील,पाइप आदि क्षेत्रों में भी अपना विस्तार फेलाया उन्होंने बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस नमक एक इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की.
घनश्याम दास बिरला गांधी जी के एक अच्छे दोस्त थे.स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने गांधी जी का सहयोग किया और रुपए इन्वेस्ट भी किए और भी व्यापारी वर्ग के लोगों से रुपए इन्वेस्ट करने के लिए कहा.इन्होंने महात्मा गांधी का सहयोग किया जिससे राष्ट्रीय आंदोलन में सहयोग मिला.घनश्याम दास बिरला एक ऐसे महान इंसान थे जिन्होंने अपने देश के प्रोडक्ट पर जोर दिया.
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उद्योगिक जगत में उतार-चढ़ाव के साथ इन्हें अपनी पर्सनल लाइफ में भी बहुत सारे उतार-चढ़ाव जीवन में बहुत सी परेशानियां झेलनी पड़ी दरअसल इनका विवाह सन 1905 में दुर्गा देवी के साथ हुआ था कुछ सालों बाद इनकी पत्नी दुर्गा देवी ने एक पुत्र को भी जन्म दिया था तभी दुर्गा देवी को टीवी की बीमारी हो चुकी थी जिस वजह से 1910 में इनकी पत्नी की मौत हो गई घनश्याम दास बिरला को बहुत दुख हुआ लेकिन अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए,बच्चों की देखभाल के लिए उन्होंने 1912 में महेश्वरी देवी से पुनर्विवाह किया वह अपने जीवन में खुश थे इनसे इन्हें संताने भी हुई
लेकिन कुछ सालों बाद पता लगा कि इनकी पत्नी महेश्वरी देवी को भी एक बीमारी है जिस वजह से उन्होंने अपने बच्चों और बीवी को डॉक्टरों की देखभाल में रखा लेकिन कुछ सालों बाद महेश्वरी देवी की भी मृत्यु हो गई इस तरह से घनश्याम दास बिरला ने अपने जीवन में बहुत से उतार चढ़ाव देखे बहुत सी परेशानियों का सामना करते हुए एक बहुत बड़े उद्योग की स्थापना की.सन 11 जून 1983 को उनकी मृत्यु हो गई इस महान उद्योगपति ने उद्योग जगत में तो अपना नाम कमाया ही है साथ में बहुत से लोक कल्याणकारी कार्य कर अपना नाम भी कमाया है.
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