गणगौर त्यौहार का इतिहास, पूजा विधि एवं व्रत कथा Gangaur festival history, puja vidhi, katha in hindi

Gangaur festival history, puja vidhi, katha in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं गणगौर त्यौहार का इतिहास पूजा विधि एवं व्रत कथा । चलिए अब हम पढ़ेंगे गणगौर त्यौहार का इतिहास, पूजा विधि एवं व्रत कथा को ।

Gangaur festival history in hindi

गणगौर त्यौहार को हमारे देश की हिंदू धर्म की महिलाएं एक साथ मिलकर मनाती हैं । इस दिन हिंदू धर्म की सभी महिलाएं शंकर भगवान एवं पार्वती माता की पूजा करती हैं । यह कहा जाता है कि गणगौर के दिन गणगौर की पूजा की जाती है और गणगौर को शंकर भगवान एवं माता पार्वती के रूप में माना जाता है । इस दिन कुंवारी कन्या एवं विवाहित महिलाएं इस व्रत को पूरे विधि विधान से करती हैं । पुराने समय से ही हमारे देश में यह त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । सभी महिलाएं मंदिर में जाकर पूजा पाठ करती हैं और कथा सुनती हैं एवं व्रत करती हैं । इस दिन सभी महिलाएं यह प्रार्थना करती हैं कि भगवान हमारे पति को लंबी आयु देना एवं कुंवारी लड़की इस व्रत को करने के बाद माता पार्वती एवं शंकर भगवान से प्रार्थना करती हैं कि हमें अच्छा वर देना । यह कहा जाता है कि यह व्रत करने से सब काम सही होते हैं ,किसी तरह की कोई समस्या घर में नहीं आती है ।

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Gangaur festival pooja Samagri

इस व्रत को करने के लिए सभी कुंवारी कन्याएं एवं विवाहित महिलाओं को निम्न प्रकार की सामग्री की आवश्यकता पड़ती है । जैसे कि मिट्टी का दीपक, कुमकुम ,चावल, हल्दी, मेहंदी ,गुलाल ,अबीर, काजल, घी ,पान के पत्ते ,फूल ,दुवा, आम के पत्ते, नारियल ,सुपारी ,पानी से भरा कलश, दो मिट्टी के कुंडे, मिट्टी का गमला ,तांबे का कलश ,लकड़ी की चौकी, बाजोट पाटा ,काली मिट्टी, होली की राख ,गेहूं, बांस की टोकनी ,चुनरी का कपड़ा आदि।

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जो महिला गणगोर भगवान का व्रत रखती हैं वह सुबह उठकर स्नान करती हैं ,सोलह श्रंगार करती हैं एवं पूजा की थाली सजाती हैं । सभी महिलाएं एकजुट होकर इस व्रत की पूजा करती हैं । इस दिन सभी महिलाएं भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा पाठ करती हैं एवं उनकी कथा सुनती हैं । पूजा पाठ करने के बाद सभी महिलाएं व्रत करती हैं और प्रार्थना करती हैं कि उनके घर में सुख शांति व समृद्धि आए । जो कुंवारी लड़कियां व्रत करती हैं वह अच्छे पति की कामना करती हैं । जो विवाहित महिलाएं होती हैं वह अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं । इस त्यौहार का हमारे भारत में बड़ा ही महत्व है । इस त्यौहार के दिन हमारे देश की सभी महिलाएं इस व्रत को करती हैं और कथा सुनती हैं । इस दिन सभी महिलाएं माता पार्वती के चरणों में सोलह सिंगार से सजी हुई थाली को लाती हैं और उनके चरणों में सोलह सिंगार चढ़ाती हैं और अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं ।

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गणगौर व्रत की कथा – एक बार माता पार्वती और शंकर जी नारद मुनि के साथ भ्रमण पर जा रहे थे । बहा की स्त्रियों को जब पता चला कि भगवान शिव औऱ माता पार्वती आ रहे है तब सभी महिलाएं उनके स्वागत की तैयारी में जुट गई थी । जो उच्च कुल की महिलाएं थी वह पूजा पाठ का सामान बनाने में लेट हो गई थी । जो निम्न कुल की महिलाएं थी वह जल्दी पूजा पाठ की सामग्री लेकर माता पार्वती के पास पहुंच गई और माता पार्वती ने कुवारी कन्याओं को अच्छा पति मिलने का आशीर्वाद दिया था । इसके बाद माता पार्वती एवं भगवान शंकर आगे चल दिए । जब उच्च वर्ग की कन्या एवं महिलाएं शंकर भगवान एवं माता पार्वती के पास आई तब शंकरजी ने माता पार्वती से कहा कि तुमने उन कन्याओं को पूरा अमृत रस दे दिया हैं ।

अब इन महिलाओं को क्या दोगी तब माता पार्वती ने कहा कि मैंने उनको आशीर्वाद दिया है लेकिन में इन महिलाओं के ऊपर अपनी उंगली काट कर रक्त का छिड़काव करूंगी और वह रक्त जिस महिला के ऊपर जाएगा वह मेरी ही तरह सौभाग्यशाली बन जाएगी । उन लड़कियों ने माता पार्वती की पूजा की और माता पार्वती ने अपनी उंगली काटकर उनके ऊपर रक्त का छिड़काव किया था और सभी महिलाएं माता पार्वती की ही तरह सौभाग्यशाली बन गई थी । तभी से यह व्रत सभी महिलाएं , कुंवारी कन्याएं करती हैं और माता पार्वती से अच्छे पति एवं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए यह व्रत करती हैं ।

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