हिन्दी भाषा का इतिहास Hindi language history in hindi
Hindi language history in hindi
Hindi language – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हिंदी भाषा के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर हिंदी भाषा के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
हिंदी भाषा के बारे में – हिंदी भाषा का इतिहास काफी प्राचीन समय का है । हिंदी भाषा तकरीबन 1000 वर्ष पुरानी भाषा है । हिंदी भाषा की उत्पत्ति के बारे में ऐसा कहा जाता है कि हिंदी भाषा की उत्पत्ति अपभ्रंश भाषा से हुई थी । अब हम हिंदी भाषा के जन्म के बारे में जानते हैं । हिंदी शब्द फारसी का एक शब्द है जिसका संबंध हिंद से हैं । हिंदी की जो भाषा है वह भाषा आर्य भाषा में से एक है । कहने का तात्पर्य यह है कि हिंदी भाषा आर्य भाषाओं से ही प्रचलन में आई हुई है । जब क्षेत्रीय भाषाओं से अपभ्रंश भाषाओं की उत्पत्ति हुई तब लोग अपभ्रंश भाषा को बोलने लगे थे ।
अपभ्रंश भाषा का समय तकरीबन 500 ईसवी से 1000 ईसवी तक का रहा है । जब अपभ्रंश भाषा की उत्पत्ति हुई तब आधुनिक आर्य भाषा का जन्म अपभ्रंश के विभिन्न क्षेत्रीय रूपों से हुआ था ।इसीलिए अपभ्रंश से ही हिंदी भाषा का जन्म हुआ है । ऐसा माना जाता है इसी कारण से आधुनिक आर्य भाषा में से एक हिंदी भाषा है । परंतु आधुनिक आर्य हिंदी भाषाओं में साहित्यकारों के द्वारा साहित्य रचना का कार्य 1150 से आरंभ किया गया था । इसी कारण से हिंदी साहित्य के महान साहित्यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी जी हिंदी को ग्राम्य अपभ्रंश का रूप मानते थे ।
हिंदी भाषा की उत्पत्ति के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि 500 ईसा पूर्व में जब संस्कृत भाषा में बदलाव हुए तब संस्कृत भाषा के इस बदलाव को पाली भाषा नाम दिया गया था । जब पाली भाषा की उत्पत्ति हुई तब उस समय महात्मा बुद्ध थे ।महात्मा बुद्ध के द्वारा पाली भाषा का काफी प्रचार प्रसार किया था । परंतु समय बीतने के साथ-साथ पाली भाषा का भी बदलाव होना तय था । जब पाली भाषा का परिवर्तन हुआ तब प्राकृत भाषा की उत्पत्ति हुई थी । मैं आपको बता दूं कि पाली भाषा का जो अस्तित्व रहा तकरीबन 500 ईसा पूर्व 1 ईसवी तक रहा था ।
प्राकृत भाषा की उत्पत्ति के बाद अपभ्रंश भाषा की उत्पत्ति हुई थी । अपभ्रंश भाषा कि जब उत्पत्ति हुई तब सभी लोग अपभ्रंश भाषा को अपनाने लगे थे । इसके बाद क्षेत्रीय अपभ्रंश भाषा काफी प्रचलित हो गई थी । परंतु समय निरंतर बढ़ता गया और अपभ्रंश भाषा भी परिवर्तित होने लगी थी । अपभ्रंश भाषा हिंदी भाषा में परिवर्तित हो गई थी । अपभ्रंश भाषा का समय काल 500 ईसवी से तकरीबन 1000 ईसवी तक रहा है । अपभ्रंश भाषा जब हिंदी भाषा में परिवर्तित हुई तब सभी लोग हिंदी भाषा बोलने लगे थे ।
साहित्यकारों के द्वारा जब हिंदी भाषा का उपयोग किया जाने लगा तब हिंदी भाषा एक सरल भाषा कहलाने लगी थी । सातवीं शताब्दी से ही हिंदी भाषा में पद रचना साहित्यकारों के द्वारा लिखना प्रारंभ किया गया था । जब अपभ्रंश की अंतिम अवस्था अवहट्ट हिंदी की उत्पत्ति हुई तब सभी साहित्यकारों ने हिंदी का उद्धव स्वीकार किया था । महान साहित्यकार चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने भी इस अवहट्ट को हिंदी का पुराना नाम दिया है ।
जब प्राचीन अपभ्रंश भाषा और क्षेत्रीय बोलचाल की देसी भाषा का प्रयोग तेजी से बढ़ता गया और लोग अपभ्रंश भाषा और देसी भाषा का तेजी से प्रयोग करने लगे तब साहित्यकारों के द्वारा इस भाषा को विद्यापीठ के द्वारा देसी भाषा कही गई थी । जब मध्ययुगीन काल प्रारंभ हुआ तब हिंदी भाषा में भक्ति आंदोलन के समय हिंदी भाषा का उपयोग काफी किया गया था । हिंदी भाषा का इतिहास प्राचीन समय से लेकर आज तक बहुत ही दिलचस्प रहा है । आज हम देख रहे हैं कि इंटरनेट पर भी हिंदी भाषा का उपयोग तेजी से किया जाने लगा है ।
कई साहित्यकारों के द्वारा हिंदी भाषा में कविताएं , लेख , रचनाएं लिखी गई है । हिंदी भाषा का आधुनिक काल बड़ा ही दिलचस्प रहा है । जब साहित्यकारों के द्वारा 1150 के समय में आधुनिक आर्य हिंदी भाषा में रचनाएं लिखी गई तब लोगों ने उन रचनाओं को काफी पसंद किया था । हिंदी भाषा की उत्पत्ति से लेकर आज तक के समय में हिंदी भाषा का सबसे अधिक प्रचार-प्रसार साहित्यकारों के द्वारा किया गया है । भारत देश के हर क्षेत्र के लोगों को हिंदी भाषा का ज्ञान प्राप्त हो इसके प्रयास भी साहित्यकारों के द्वारा किए गए थे ।
भारत देश में हिंदी भाषा के साथ साथ कई भाषाएं बोली जाती हैं । हिंदी भाषा भारत देश की राष्ट्रीय भाषा है क्योंकि हिंदी भाषा एक सरल भाषा है । हिंदी भाषा को बोलने में किसी भी तरह की कोई कठिनाई नहीं होती है । इस तरह से हिंदी भाषा का इतिहास रहा है ।
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