गंगा की उत्पत्ति की कहानी ganga avtaran katha in hindi

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हेलो फ्रेंड्स आज हम आपको इस लेख के माध्यम से गंगा की उत्पत्ति की कहानी बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और गंगा की उत्पत्ति की कहानी को पढ़ते हैं ।

ganga avtaran katha in hindi
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image source –https://gaana.com/album/maa-ganga

कहानी – एक राज्य में बली नाम का राजा रहता था । वह राजा बहुत ही बहादुर था । राजा बलि के बहादुरी के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए थे । एक बार राजा बलि ने देव इंद्र को युद्ध के लिए ललकार लिया था । जब इंद्र देव को पता चला कि राजा बलि ने युद्ध के लिए ललकारा है तब देवेंद्र सोचने लगा कि यह राजा बहुत ही बहादुर है । यदि मैं राजा बलि से युद्ध करता हूं और मैं उस युद्ध में हार जाता हूं तो यह राजा पूरे इंद्रलोक को हथिया लेगा । इंद्रदेव इस बात से बहुत परेशान होने लगे थे ।

राजा बलि विष्णु भगवान का सबसे बड़ा भक्त था । इंद्रदेव अपनी परेशानी का हल ढूंढने के लिए भगवान विष्णु के पास गए । जिस समय इंद्रदेव विष्णु जी के पास पहुंचे थे उस समय विष्णु भगवान एक ब्राह्मण के रूप में बैठे हुए थे । इंद्रदेव भगवान विष्णु से जाकर कहने लगे कि मुझे आपके प्रिय भक्त बली ने युद्ध के लिए ललकारा है । इंद्र देव भगवान विष्णु से मदद मांगने लगे और विष्णु भगवान ने इंद्रदीप की सहायता करने के लिए हां कर दी थी ।

इसके बाद विष्णु भगवान ब्राह्मण के रूप में राजा बलि के राज्य में गए । जिस समय विष्णु भगवान राजा बलि के पास गए उस समय राजा बलि राज्य की भलाई के लिए यज्ञ कर रहा था । जब विष्णु भगवान एक ब्राह्मण रूप में राजा बलि के सामने गए तब राजा बलि पहचान गया था कि यह विष्णु भगवान हैं । विष्णु भगवान ने राजा बलि से कहा कि मुझे 3 कदम जमीन चाहिए । राजा बलि ने विष्णु भगवान को तीन कदम जमीन देने के लिए हां कर दिया था क्योंकि राजा बलि के यहां से कोई भी ब्राह्मण अपनी खाली झोली लेकर नहीं गया था ।

भगवान विष्णु जी ने जैसे ही पहला कदम जमीन को नापने के लिए रखा उनका पैर बहुत बड़ा हो गया था और विष्णु भगवान ने पूरी धरती को एक कदम में नाप लिया था । विष्णु भगवान ने अपना दूसरा कदम आसमान की तरफ रखा और विष्णु भगवान ने पूरा आसमान नाप लिया था । विष्णु भगवान ने राजा बलि से पूछा कि अब मैं तीसरा कदम कहां पर रखूं । विष्णु भगवान के जवाब में राजा बलि ने कहा कि आप तीसरा पैर मेरे सिर पर रखो ।

राजा के कहने के बाद विष्णु भगवान ने तीसरा पैर राजा बलि के सिर पर रख दिया था । जैसे ही विष्णुु भगवान ने तीसरा पैर राजा बलि केे सिर पर रखा राजा बलि पाताल लोक के जमीन केे नीचे समा गया था । जिस जमीन के नीचे राजा  समाया था वहां पर राक्षस कुल के असुरों का शासन चलता था ।

इस कथा में ऐसा कहां जाता है कि जब विष्णु भगवान ने अपना दूसरा पैर आसमान की तरफ रखा था तब ब्रह्माजी ने स्वयं अपने हाथों से विष्णु भगवान  के पैर  जल से धोए थे और  पूरा जल उनके कमंडल में भर गया था । वह कमंडल बहुत बड़ा था । कमंडल में जो जल एकत्रित हुआ था वह जल समुंदर के  विशाल जल के समान था । इसी जल को गंगा का नाम दिया गया था । इसीलिए गंगा को ब्रह्मा जी की पुत्री कहा गया था । इस तरह से  गंगा की उत्पत्ति हुई थी ।

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