चन्द्रशेखर वेंकटरमन जीवन परिचय chandrasekhara venkata raman biography in hindi

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दोस्तों आज हम आपको हमारे भारत के वरिष्ठ वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन के बारे में बताने जा रहे हैं । चंद्रशेखर वेंकटरमन जी ने वैज्ञानिक बनने के लिए क्या-क्या किया था और वैज्ञानिक बनने के बाद उन्होंने किस क्षेत्र में सफलता प्राप्त की थी ? आज हम आपको उनकी सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं। चंद्रशेखर वेंकटरमन के वैज्ञानिक बनने के बाद उन्होंने कई लोगों को अपने भाषण से भौतिक विज्ञान की ओर आकर्षित किया था । अब हम हमारे भारत के वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन के बारे में जानेंगे।

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जीवन परिचय – चंद्रशेखर वेंकटरमन जी का जन्म 7 नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था । उनके पिताजी का नाम चंद्रशेखर अय्यर था एवं माता का नाम पार्वती अम्मल था । चंद्रशेखर वेंकटरमन के माता पिता उनको बहुत प्रेम करते थे । उनके पिता चंद्रशेखर अय्यर जी एस .पी .जी कॉलेज मैं प्राध्यापक थे । उनके पिता भौतिक विज्ञान के विषय को कॉलेज में पढ़ाते थे । भौतिक विषय की जानकारी चंद्रशेखर वेंकटरमन को अपने पिता से मिली थी , वह अपने पिता से भौतिक विषय के बारे में जानते रहते थे। चंद्रशेखर वेंकटरमन जी का विवाह लोक सुंदरी से हुआ था और वह अपनी पत्नी के साथ जीवन बिताने लगे थे । वह अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करते थे ।

चंद्रशेखर वेंकटरमन और उनकी पत्नी लोक सुंदरी के दो पुत्र हैं जिन के नाम चंद्रशेखर रमन एवं वेंकटरमन राधाकृष्णन था ।

शिक्षा – चंद्रशेखर वेंकटरमन जी की प्रारंभिक शिक्षा विशाखापट्टनम से हुई थी । उन्होंने 11 वर्ष की आयु में मैट्रिक पास कर ली थी । मैट्रिक पास करने के बाद वह अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने लगे और 13 वर्ष की आयु में उन्होंने इंटरमीडिएट पास कर लिया था । उन्होंने 1902 मैं मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज में एडमिशन ले लिया और वहां से भौतिक विज्ञान का अध्ययन करने लगे एवं उन्होंने 1904 में भौतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन कर लिया था । चंद्रशेखर वेंकटरमन सन 1917 में m.a. की पढ़ाई पूरी कर चुके थे।

केरियर – चंद्रशेखर वेंकटरमन जी का केरियर बड़ा ही शानदार रहा है । उन्होंने 1960 में असिस्टेंट अकाउंटेंट जनरल की पोस्ट हासिल की और उनकी पोस्टिंग कोलकाता में हो गई थी । वह इस नौकरी को बड़ी गंभीरता से करने लगे थे । उनके जीवन का एक सबसे बड़ा सपना था कि वह वैज्ञानिक बने लेकिन उस समय भारत में वैज्ञानिक बनने के मार्ग कम थे । जब उनकी नौकरी लगी तो वह उस नौकरी को गंभीरता से करने लगे एक दिन वह अपने ऑफिस से घर की ओर जा रहे थे तब उन्होंने एक बोर्ड देखा कि यहां पर वैज्ञानिक बनने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है तब उन्होंने तुरंत वहां पर जाकर के उन लोगों से बातचीत की और उनको बताया कि मैंने भौतिक विज्ञान से पढ़ाई की है और मैं आपकी इस परिषद में प्रयोग करना चाहता हूं।

वहां के अधिकारियों ने उनकी यह बात मान ली और उनको परिषद में प्रयोग करने के लिए कहा और उनका प्रयोग सफल रहा इसके बाद उन्होंने 1917 में सरकारी नौकरी छोड़ दी थी और वह इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टीवेशन ऑफ साइंस मैं बैठने लगे और कई तरह तरह के प्रयोग करने लगे थे । उनको कोलकाता विश्वविद्यालय मे विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में उनकी नियुक्ति की गई और वह युवाओं को भौतिक विज्ञान के विषय में पढ़ाने लगे थे। सन 1924 में वेंकटरमन जी को लंदन की रॉयल सोसाइटी का सदस्य भी बनाया गया था । यह किसी वैज्ञानिक के लिए बड़ी गर्व और सम्मान की बात होती है । चंद्रशेखर वेंकटरमन जी की पहली खोज 28 फरवरी 1928 को हुई उन्होंने रमन इफेक्ट की खोज की थी। वह दूसरी खोज के लिए तैयारी करने में जुट गए थे । इस तरह से हमारे भारत के वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन जी ने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दिया था । उन्होंने कई युवाओं की सोच को बदला था उनके भाषण को सुनकर कई युवा भौतिक विज्ञान में सफल हुए थे ।

पुरस्कार – दोस्तों हमारे भारत के भौतिक शास्त्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन जी को 1929 में नाइटहुड पुरस्कार दिया गया एवं 1930 को नोबेल पुरस्कार दिया गया था । 1954 में उन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था । 1957 में उनको लेनिन शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

मृत्यु – चंद्रशेखर वेंकटरमन जी का देहांत 21 नवंबर 1970 को हो गया था जब उनकी उम्र 82 वर्ष की थी। आज हम ऐसे व्यक्ति की कमी महसूस करते हैं क्योंकि उन्होंने भौतिक क्षेत्र में उन्नति हासिल कर कई युवाओं को ज्ञान देकर भारत में भौतिक विज्ञान के क्षेत्र को बढ़ाया है । उनके पुत्र वेंकटरमन राधाकृष्णन भी उनके मार्गदर्शन के बाद एक अच्छे अंतरिक्ष वैज्ञानिक बने थे।

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