शनि देव की जन्म की कथा Shani dev birth story in hindi
Shani dev birth story in hindi
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं शनि देव की जन्म की कथा। दोस्तों हम सभी शनिदेव को जानते हैं कहते हैं कि शनि जिस व्यक्ति की भी राशि पर आ जाते हैं उसके दिन खराब होना शुरू हो जाते हैं वैसे शनि महाराज बहुत ही उदार हृदय वाले होते हैं लेकिन अगर कोई गलत कार्य करें तो वह शनि के प्रकोप से नहीं बच पाता चलिए पढ़ते हैं शनि देव की जन्म की कथा को

शनि देव के पिता सूर्य देव हैं दरअसल भगवान सूर्य देव ने दक्ष की कन्या संध्या के साथ विवाह किया था संध्या सूर्यदेव के तेज को सहन कर पाती थी इसलिए संध्या ने एक दिन विचार बनाया और तपस्या की उन्होंने अपनी प्रतिभा को शनिदेव के पास भेजा उस प्रतिभा का नाम छाया रखा। अब वह छाया शनिदेव के पास जाकर रहने लगी दरअसल बह संध्या की तरह ही दिखती थी इसलिए सूर्य देवता ने उन्हें नहीं पहचाना। इधर संध्या तपस्या करने लगी संध्या की भी संतान थी उनमें से मृत्यु के भगवान यमराज भी एक थे।
कुछ समय बाद संध्या की प्रतिभा यानी छाया ने भी 3 बच्चों को जन्म दिया जिनमें से एक शनि देव भी थे दरहसल छाया भगवान शिव की भक्तनी थी। एक समय वह भगवान शिव की तपस्या कर रही थी तभी भगवान सूर्य की तेज रोशनी की वजह से उनकी कोख में स्थित शनि देव का रंग काला हो गया और जब उनका जन्म हुआ तो वह काले हुए।
जब सूर्य देव ने शनिदेव को देखा तो उनका काला रंग देखकर उन्होंने संदेह जताया कि क्या सच में शनि का जन्म उनके पास से ही हुआ है तव सूर्य देवता बहुत ही क्रोधित हो गए थे तभी शनि ने अपनी दृष्टि सूर्य पर डाली तो सूर्य देवता भी काले पड़ गए और सूर्य ने इसके लिए भगवान शिव की तपस्या की और उनका रंग पहले की तरह हो गया।
भगवान शिव ने सूर्य देवता को पूरी बात बताई तो सूर्य देवता शनि के प्रति खुश हुए। शनि देवता बचपन से ही भगवान शिव की सेवा करने लगे उनकी भक्ति को देखकर भगवान शिव ने उन्हें पृथ्वी पर एक ग्रह के रूप में भेज दिया। अब शनि देव पर पृथ्वी पर लोगों द्वारा किए गए कर्मों के प्रभाव को वितरित करने की जिम्मेदारी है अगर आप अच्छे कार्य करते हैं तो शनिदेव की कृपा आप पर होती है और इनका आशीर्वाद आपको प्राप्त होता है।
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