सच्चा साधू कौन है inspirational hindi story of monk
एक बार एक संत किसी गाँव में अपने शिष्यों के साथ जा रहे थे,तोह रास्ते में जाते समय बहुत तेज पानी आ गया और सभी लोग भीग गए,संत को पता था की गाँव तक वोह आधी रात तक ही पहुच पायेंगे,दिन भर चलते चलते वोह काफी थक चुके थे,उन्हें काफी भूख लग रही थी,तभी उस संत ने अपने शिष्यों से कहा की बताओ की सच्चा साधू कोन है?
ये सुनकर सभी शिष्य बिलकुल चुप हो गए,तब वोह संत कहने लगे की जो पशु पक्छियो की भाषा समझ ले वोह सच्चा साधू नहीं है,जो लोगो को स्वस्थ कर सके वोह भी साधू नहीं है.
इतना बोलकर वोह संत चुप हो गए,तब उनके एक शिष्य से रहा नहीं गया और उसने अपने गुरु से पूछ लिया की गुरूजी सच्चा साधू कोण है?
तोह इस पर वोह संत कहने लगे की जब हम उस गाँव में पहुचेंगे और द्वार खटखटाएंगे तोह द्वारपाल आएगा हमसे पूछेगा की कोन है? तोह हम कहेंगे की हम साधू है तोह वोह कहेगा की यहाँ पर फ़ालतू के मुफ्तखोरो के लिए कही भी जगह नहीं है,तोह उसकी इस बात पर हम नाराज ना हो.और हम एक बार फिर द्वार ख़त खटाए और द्वारपाल आकर हमारी लाठियों से पिटाई करने लगे,लेकिन हम फिर भी एक दम शांत खड़े रहे और गुस्सा ना हो,और उस द्वारपाल में हमें भगवान ही नजर आये,तभी हम एक सच्चे साधू कहला सकते है.
गुरुकी की इसप्रकार कही हुयी बात सुनकर सभी शिष्य समझ चुके थे की विपरीत परिस्थिथियो में भी अगर कोई दुःख सह सके वोही सच्चा साधू है.
दोस्तों वाकई में सच्चा साधू हर इन्सान में भगवान को ही देखता है क्योकि उसकी नजर में हर व्यक्ति में भगवान वास करते है और उस पर दुनिया के किसी भी व्यावहार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
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