मेरे कॉलेज का पहला दिन पर निबंध College ka pehla din essay in hindi

College ka pehla din essay in hindi

mahavidyalaya ka pehla din essay in hindi-दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं मेरे कॉलेज का पहला दिन पर निबंध दोस्तों अक्सर विद्यार्थियों के जीवन में कॉलेज का पहला दिन जब आता है तो कुछ अजीब सा प्रतीत होता है क्योंकि कॉलेज और स्कूल के वातावरण में,वहां के पहनावे में थोड़ा अंतर होता है। स्कूल में जहां हम एक ही जैसी ड्रेस पहन कर जाते हैं वही कॉलेज में हम किसी भी तरह के कपड़े पहन कर जाते हैं कई लोग यहां तरह तरह के स्टाइलिश कपड़े पहनकर भी जाते हैं।

College ka pehla din essay in hindi
College ka pehla din essay in hindi

जब मैं अपने शहर में स्कूल में पढ़ता था तो सोचता था कि 12वीं क्लास पास करने के बाद मैं दूसरे शहर के कॉलेज में पढ़ाई करूंगा दरअसल कॉलेज में पढ़ना और सिर्फ इसके बारे में ही सोचना मुझे बहुत अच्छा लगता था। कुछ समय बाद जब मैं 12वीं पास हुआ तो मुझे खुशी हुई कि अब मैं कॉलेज में पढ़ाई करूंगा फिर मैंने एक कॉलेज में एडमिशन लिया। मैं मेडिकल का स्टूडेंट था दरहसल मेरे पिताजी मुझे एक डॉक्टर बनाना चाहते थे काफी मशक्कत के बाद जब मेरा कॉलेज में एडमिशन हुआ तब मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैंने उस शहर में रेंट पर एक कमरा ले लिया और वहीं पर रहने लगा मेरे साथ कुछ दिनों के लिए मेरे मम्मी पापा भी वहां पर रुकने के लिए आए हुए थे।

आज मेरा कॉलेज का पहला दिन था मैं खाना खाकर दोपहर 11:00 बजे अपने घर से निकल पड़ा सोच रहा था कि कॉलेज में किस तरह का माहौल होगा, किस तरह के मेरे साथी होंगे मुझे थोड़ी खुशी भी थी लेकिन थोड़ा अजीब सा भी लग रहा था क्योंकि मैंने कभी भी कॉलेज का वातावरण नहीं देखा था। मैं जब अपने कॉलेज के नजदीक पहुंचा तो वहां पर एक बड़ा सा गेट लगा हुआ था जिसके बीच में एक छोटा सा गेट था जो कि खुला हुआ था मैंने उसके अंदर देखा तो बहुत से विद्यार्थी वहां पर थे।

कुछ देर सोचने के बाद मैं अंदर चला गया और विद्यार्थियों के साथ वहीं पर खड़ा हो गया मैंने देखा की बहुत से विद्यार्थी मेरे कॉलेज में मेरी तरह नए-नए आए हुए हैं लेकिन उनका व्यवहार ऐसा लग रहा था जैसे वह कई दिनों से एक दूसरे को जानते हैं यहां तक कि लड़कियां भी एक दूसरे से बहुत ही खिलखिलाकर बातें कर रही थी बस मैं ही अकेला खड़ा था। कुछ देर बाद मैंने पास में ही खड़े किसी से अपने कक्षा का पता पूछा तो मुझे उन्होंने पता बता दिया।

अब मैं अपने हाथों में लिए हुए किताबों के साथ अंदर चला गया जब मैं अपनी कॉलेज की क्लास में पहुंचा तो वहां पर मेरी तरह कई छात्र थे जिनमें कुछ लड़के एवं कुछ लड़कियां भी थी एक नजर में मैंने देखा और अनुमान लगा लिया कि लगभग 60 से 70 लड़के लड़कियां होंगे। मैं पास में ही रखी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया मैंने देखा कि मेरे शहर का मेरा स्कूल का दोस्त भी उस कॉलेज में है तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई क्योंकि उस क्लास में सभी मेरे लिए अनजान थे केवल में वो ही था जिसको मैं जानता था।

मैं उसके पास गया और उसका नाम लेते हुए उससे हेलो कहा। वह मुझे देखकर बहुत ही खुश हुआ उसने मुझे पास में ही बैठने को कहा हम कुछ देर तक बात करते रहे तभी कुछ ही देर में हमारे शिक्षक क्लास रूम में प्रवेश हुए तो हम सभी खड़े हो गए और उनके बैठने पर हम सभी बैठ गए।

उन्होंने सभी के नाम अपने रजिस्टर में से बोले लेकिन मेरा नाम सर ने नहीं बोला तभी सर ने रजिस्टर बंद कर दिया और मैं खड़ा हो गया मैंने कहा सर मेरा नाम नहीं बोला आपने तभी सर ने कहा क्या नाम है तुम्हारा? मैंने अपना नाम बताया उन्होंने अपने रजिस्टर में चेक किया लेकिन मेरा नाम नहीं था उन्होंने मेरा नाम लिखा और एक और रजिस्टर रखकर हम सभी के बारे में विस्तारपूर्वक जाना।

अब हम एक दूसरे से परिचित हो चुके थे मुझे खुशी हुई कि हमारे शहर से भी 5 लड़के और 2 लड़कियां भी पढ़ाई करने के लिए आई हुई हैं वह भी बहुत खुश हैं मैंने उन सभी से मुलाकात की। पहले दिन ही मेरे अपने दोस्तों के अलावा और भी चार पांच दोस्त बन चुके थे मुझे अपने कॉलेज का दिन बहुत ही भाया। शाम 4:00 बजे मैं अपने कॉलेज से वापस अपने घर आ गया लेकिन कॉलेज का मेरा पहला दिन मुझे बार-बार याद आता रहा।

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