पश्चिम बंगाल का इतिहास west bengal history in hindi
west bengal history in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से पश्चिम बंगाल के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं . चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और बड़े ध्यान से इस लेख को पढ़कर पश्चिम बंगाल के इतिहास को जानते हैं .
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पश्चिम बंगाल राज्य का इतिहास काफी प्राचीन एवं रोमांचकारी है क्योंकि मुगल साम्राज्य के बाद पश्चिम बंगाल एवं भारत पर अंग्रेजों का आधिपत्य स्थापित हुआ था . पश्चिम बंगाल राज्य भारत देश का पूर्वी राज्य है . इस राज्य में बांग्ला भाषा बोली जाती है . इस राज्य के पड़ोसी देश झारखंड , नेपाल , सिक्किम , असम , भूटान , बांग्लादेश, बिहार , ओडिशा आदि हैं जो पश्चिम बंगाल की सीमाओ से लगे हुए हैं .
हाल ही में पश्चिम बंगााल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं और यहां के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी जी हैं . यदि हम इस राज्य की जनसंख्याा के बारे मेंं बातचीत करें तो 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 9,13,47,736 है . पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता है . पश्चिम बंगाल के 23 जिले हैं . यदि हम पश्चिम बंगाल के इतिहास की बात करें तो यहां का इतिहास काफी रोचक रहा है . ऐसा कहा जाता है कि 13 वी शताब्दी में यहां पर इस्लामिक शासन स्थापित हुआ था .
इस्लामिक शासन ने यहां पर अपना शासन काल चलाया था लेकिन 16 वी शताब्दी के दौरान जब मुगल शासन काल था तब उस समय यहां पर व्यापार एवं उद्योग केंद्र स्थापित किए गए थे . जैसे जैसे समय निकलता गया वैसे वैसे अंग्रेजी शासन भारत पर अपनी जड़ें फैला रही थी . इसके बाद 18वीं शताब्दी में यह पूरा राज्य एवं भारत देश ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के अधीन हो गया था . ब्रिटिश शासन ने अपनी जड़े यहां पर मजबूत कर ली थी .
ऐसा कहा जाता है कि भारत देश में ब्रिटिश शासन का उद्गम सबसे पहले पश्चिम बंगाल से ही हुआ था . इसके बाद धीरे-धीरे ब्रिटिश शासन ने पूरे देश को अपना गुलाम बना लिया था . अब हमें पश्चिम बंगाल के इतिहास के बारे में जानने के लिए सबसे पहले मुगल साम्राज्य और वहां के राजाओं के बारे में जानना जरुरी हैं . जब सिकंदर ने पश्चिम बंगाल पर अपने सैनिकों के साथ मिलकर हमला किया , आक्रमण किया तब इस राज्य पर गंगारिदयी नामक साम्राज्य का राज था .
इस राजा के राज में यहां पर गुप्त तथा मौर्य सम्राटों के द्वारा पश्चिम बंगाल पर हमले किए गए लेकिन इन हमलों का कोई भी प्रभाव पश्चिम बंगाल पर नहीं पड़ा था . इसके बाद पश्चिम बंगाल की डोर शशांक नामक राजा के हाथ में पहुंच गई थी . शशांक को बंगाल का नरेश यानी राजा बनाया गया था . कई समय तक शशांक ने बंगाल को संभाले रखा था . इसके बाद पश्चिम बंगाल की सत्ता गोपाल के हाथों में पहुंच गई थी .
गोपाल ने पश्चिम बंगाल में पाल राजवंश की स्थापना की और पाल राजवंश ने पश्चिम बंगाल पर अपना आधिपत्य स्थापित करते हुए 4 शताब्दी तक यहां पर राज किया था . पाल राजवंश साम्राज्य के बाद पश्चिम बंगाल में सेन राजवंश स्थापित किया गया और सेन राजवंश ने पश्चिम बंगाल पर शासन किया था . सेन राजवंश को इस राज्य से हराकर एवं इस राज्य को जीतकर दिल्ली के मुगल शासकों ने अपनी सत्ता स्थापित कर ली थी .
दिल्ली के मुगल साम्राज्य के मुस्लिम शासक ने सेन राजवंश को बुरी तरह से हराया था . ऐसा कहा जाता है कि पश्चिम बंगाल में सबसे पहले इख्तियारउद्दीन मोहम्मद ने जीत हासिल की थी . इस युद्ध में काफी भयंकर लड़ाई हुई थी और मुस्लिम समुदाय ने यह जीत हासिल की थी . इस तरह से मुगल साम्राज्य के सम्राटों ने पश्चिम बंगाल पर अपनी सत्ता स्थापित की थी . मुगल साम्राज्य के बाद पश्चिम बंगाल पर अंग्रेजों का आधिपत्य स्थापित हो गया था .
अंग्रेजों ने भी पश्चिम बंगाल को तोड़ने की काफी कोशिश की थी . सन 1757 में जब पश्चिम बंगाल में प्लासी का युद्ध हुआ तब अंग्रेजों ने अपने पैर भारत एवं बंगाल राज्य में जमा लिए थे . पश्चिम बंगाल को तोड़ने का काम भी अंग्रेजों के द्वारा किया गया था . 1905 में पश्चिम बंगाल का विभाजन अंग्रेजो के द्वारा किया गया लेकिन बाद में जब इस विभाजन को लेकर आक्रोश प्रकट हुआ तब अंग्रेजों ने पश्चिम बंगाल को 1911 में पुनः एक कर दिया था .
इसके बाद हमारा देश स्वतंत्र हुआ . जब हमारा देश स्वतंत्र हुआ तब राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की सिफारिश से पड़ोसी राज्यों में जो शहर बांग्ला भाषा के थे उन सभी शहरों को पश्चिम बंगाल में मिला दिया गया था . इस तरह से पश्चिम बंगाल का इतिहास काफी रोमांचिक रहा है .
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