विजय शेखर शर्मा पेटीएम founder की कहानी Vijay shekhar sharma biography in hindi
Vijay shekhar sharma biography in hindi
Vijay shekhar sharma biography in hindi-हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज हम आपको paytm founder vijay shekhar sharma की कहानी बताने वाले हैं वास्तव में कुछ लोग होते हैं जो जीवन में कुछ ऐसा करते हैं कि हर कोई उनसे प्रेरणा लेता है कहते हैं जो आपकी किस्मत में होता है वही आपको मिलता है लेकिन विजय शेखर शर्मा ने अपनी मेहनत लगन और ईमानदारी से अपनी किस्मत को बदल के रख दिया उन्होंने जीवन में बहुत सारी परेशानियों के साथ सफलता के लिए मेहनत की और आज वह एक ऐसे मुकाम पर पहुंच चुके हैं की उनको हर कोई जानता है उनके द्वारा स्थापित की हुई कंपनी का नाम हर किसी की जुबान पर है.
नरेंद्र मोदी जी के डिमोनेटाइजेशन के बाद इनकी कंपनी paytm और भी तेजी से लोगों की जुबान पर छाने लगी है.आज हम बताने वाले हैं उनके पूरे जीवन के बारे में की एक मिडिल क्लास व्यक्ति जिसको कोई भी नहीं जानता था अपनी मेहनत और लगन से दुनिया में इतनी बड़ी पहचान कैसे बना लेता है तो चलिए पड़ते है vijay shekhar sharma story hindi जो हर किसी को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरक करेगी.

Image source- https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Vijay-Shekhar-Sharma.jpg
विजय शेखर शर्मा जोकि paytm के फाउंडर हैं उनका जन्म 8 जुलाई 1973 को उत्तर प्रदेश के गांव विजयगढ़ में हुआ था जोकि अलीगढ़ जिले के अंतर्गत आता है इनके पिता का नाम सुलोम प्रकाश शर्मा है जो कि एक सेवानिवृत्त टीचर थे जो पास के ही स्कूल में पढ़ाया करते थे इनकी दो बहनें भी हैं और उनका एक छोटा भाई भी है.विजय शेखर जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई अपने पास के स्कूल से की.वह स्कूल में टोपर विद्यार्थी थे वह हमेशा स्कूल में टॉप आते थे.
नवी क्लास की बात है कि विजय शर्मा जी क्लास में सेकंड आये इनके पिता को इस बात पर शक हुआ कि शायद कुछ गड़बड़ हुई हो जब उन्होंने पता लगाया तो उन्हें पता चला कि स्कूल के टीचर किसी और को स्कूल का टॉपर बनाने के लिए उनके लड़के को दूसरा स्थान दिया जिस वजह से उनके पिता ने उन्हें एक दूसरे स्कूल में दाखिला दिलवाया.
लगभग 15 साल की उम्र तक उन्होंने 12वीं पास कर ली थी अब वह अपनी आगे की पढ़ाई करना चाहते थे अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए विजय शेखर शर्मा दिल्ली आ गए दिल्ली में उन्होंने इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया जहां पर उन्हें आंसर इंग्लिश में लिखना होता था लेकिन उन्हें इंग्लिश ठीक तरह से नहीं आती थी क्योंकि वह एक हिंदी मीडियम स्कूल में पढ़ा करते थे जिस वजह से उन्हें अपने कॉलेज में बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
उनको स्कूल के दिनों से ही आदत थी कि वह क्लास की आगे वाली टेबल पर बैठते थे जब वह कॉलेज में आए तब भी वह आगे वाली सीट पर बैठते थे लेकिन एक बार उनके टीचर ने उनसे इंग्लिश में एक सवाल किया जिसको वो नहीं समझ सके और सभी ने उनका मजाक उड़ाया और अगले दिन से विजय शेखर शर्मा सबसे पीछे वाली टेबल पर बैठने लगे उन्हें बहुत ही दुख हुआ अब वह इंग्लिश सीखने की कोशिश करने लगे
इसके लिए अपने दोस्तों से भी मदद लेते थे कभी कभी वह लाइब्रेरी में भी जाते थे जहां पर वह बहुत ही सक्सेस स्टोरी पढ़ते थे वह इंग्लिश सीखने के लिए एक ही तरह की किताब हिंदी और इंग्लिश में लेते और उसको पढ़ते थे इस तरह से धीरे-धीरे उन्हें इंग्लिश का ज्ञान होने लगा.
विजय शेखर शर्मा जी ने बहुत से लोगों की सक्सेस स्टोरी पढ़ी थी जब उन्होंने याहू के फाउंडर की सक्सेस स्टोरी पढ़ी तो वो बहुत ही inspire हुए और उन्होंने कुछ बड़ा करने का सोचा इसके लिए उन्होंने xs नाम की कंपनी शुरू की लेकिन कुछ समय बाद ही किसी वजह से उन्होंने इस कंपनी को बेच दिया.भले ही उन्होंने उस कंपनी को बेच दिया हो लेकिन तभी से वह कुछ बड़ा कुछ बिजनेस करना चाहते थे.
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इसके कुछ समय बाद ही उन्होंने 2001 में वन 97 नाम की कंपनी की स्थापना की जिसमें उनके कुछ दोस्त भी शामिल थे लेकिन कुछ समय बाद ये कंपनी नहीं चली और इसका बिजनेस धीरे-धीरे बहुत ही कमजोर जाने लगा कुछ सालों तक ऐसा ही चलता गया और इनके दोस्त कंपनी को छोड़ भागे.अब सिर्फ विजय शेखर शर्मा जी इस कंपनी को चला रहे थे,आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे बहुत से लोग जो उनके यहां नौकरी करते थे विजय शर्मा को उन्हें सैलरी देना था.नौकरी कर रहे लोगों की सैलरी देने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों,रिश्तेदारों से ब्याज पर भी रूपये लिए.
विजय शेखर शर्मा जी के जीवन में कभी कभी तो ऐसी स्थिति आई कि उन्होंने खाना तक नहीं खाया और सिर्फ चाय पीकर अपने जीवन को जिया लेकिन कहते हैं कि जिंदगी में अगर कोई इंसान सच्ची लगन और मेहनत से कोशिश करें तो वह हमेशा अपने सपने को पा लेता है विजय शेखर शर्मा जी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ उनकी इस कंपनी में एक व्यक्ति ने इन्वेस्टमेंट किया और उसके बाद ये कंपनी लगातार मुनाफा करने लगी फिर कुछ समय बाद जब मोबाइल फोन का चलन धीरे-धीरे बढ़ रहा,स्मार्टफोन पॉपुलर हो रहे थे तभी विजय शेखर शर्मा जी के दिमाग में पेटीएम की स्थापना करने का विचार आया.
उन्होंने अपने इस Idea को कुछ लोगों के साथ शेयर किया लेकिन किसी ने साथ नहीं दिया उन्होंने Paytm की स्थापना की और शुरुआत में payTM के जरिए सिर्फ मोबाइल और डीटीएच रिचार्ज होते थे लेकिन धीरे-धीरे paytm इलेक्ट्रिसिटी बिल,गैस पेमेंट आदि सेवाएं देने लगी. इनकी ऑनलाइन सेवाओं को लोग पसंद करने लगे.धीरे-धीरे इनके paytm से बहुत से product भी बिचने लगे. धीरे-धीरे paytm ऊंचाई पर पहुंचने लगी और इसी के साथ विजय शेखर शर्मा जी भी सफलता की नई बुलंदियों पर पहुंच गए.
2016 में नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले के बाद तो Paytm और भी तेजी से चलने लगा और बहुत सारे लोग डिजिटल पेमेंट करने लगे आखिर अपनी सच्ची लगन और लगातार की हुई मेहनत से विजय शेखर शर्मा जी आज उस मुकाम पर पहुंच चुके हैं जहां पर पहुंचना हर किसी के लिए संभव नहीं है विजय शेखर शर्मा हर उस नौजवान के लिए एक मिसाल हैं जो कुछ करना चाहता है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता है जो दुनिया में अपना नाम कमाना चाहता है कि हर समय उसके नाम को जाना जाए.
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