वीर तेजाजी महाराज का इतिहास व् जीवनी Veer tejaji maharaj history in hindi

Veer tejaji maharaj history in hindi

Veer tejaji maharaj – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से वीर तेजाजी महाराज के इतिहास व् जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं ।  चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और वीर तेजाजी महाराज का इतिहास व् जीवन परिचय को जानते हैं ।

Veer tejaji maharaj history in hindi
Veer tejaji maharaj history in hindi

Image source – https://www.google.com/amp/s/m.patrika.com

वीर तेजाजी महाराज के जन्म स्थान व् परिवार के बारे में – वीर तेजाजी महाराज राजस्थान के लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं । राजस्थान में वीर तेजाजी महाराज को शिवजी के 11 वे अवतार के रूप में मानते हैं , उनकी पूजा करते हैं । वीर तेजाजी महाराज का जन्म विक्रम संवत माघ सुदी की 1130 चौदस के दिन खरनाल के सबसे धनी व्यक्ति नागवंशी धौल्या गोत्र के जाटों के परिवार में हुआ था । वीर तेजाजी महाराज के माता पिता का वीर तेजाजी के जन्म के बारे में यह कहना है की वीर तेजाजी महाराज का जन्म नाग देवता के आशीर्वाद से हुआ था ।

जब वीर तेजाजी की माता ने नाग देवता की आराधना की तब नाग देवता ने उनकी माता की तपस्या को स्वीकार किया और वीर तेजाजी की माता को एक सूर्यवान पुत्र होने का वरदान दिया था । वीर तेजाजी महाराज के पिताजी का नाम ताहड़ देव के घर पर हुआ था । वीर तेजाजी महाराज कि पिता ताहड़ देव राजस्थान राज्य मे स्थित नागौर जिले के खरनाल के प्रमुख कुंवर थे । जो बहुत ही साहसी व्यक्ति थे । पूरा गांव उनकी वीरता , उनके साहस से परिचित था । वीर तेजाजी महाराज की माता का नाम रामकंवरी था ।

जो अपने पुत्र वीर तेजाजी से बहुत प्रेम करती थी । वीर तेजाजी महाराज के माता पिता शिव जी के सबसे बड़े भक्त थे । जो हर समय महादेव की पूजा में व्यतीत रहते थे , उनकी उपासना करते थे और अपने पुत्र को भी शिवजी की उपासना करने के लिए कहते थे । वीर तेजाजी महाराज अपनी माता जी के द्वारा बताए गए रास्ते पर चलते थे । वीर तेजाजी महाराज ने कभी भी अपनी माता की आज्ञा को मानने से मना नहीं किया है । इसलिए वीर तेजाजी महाराज एक आज्ञाकारी पुत्र भी थे । जो हर समय अपने माता पिता की आज्ञा को मानते थे ।

वीर तेजाजी महाराज की पत्नी का नाम पेमल था । वीर तेजाजी महाराज और उनकी पत्नी पेमल का विवाह बचपन में ही हो गया था । परंतु कुछ कारणों के कारण वीर तेजाजी महाराज को उनके विवाह के बारे में वीर तेजाजी महाराज के परिवार वालों ने कुछ भी नहीं बताया था । वीर तेजाजी के माता-पिता ने वीर तेजाजी महाराज से विवाह की बात को छुपाई थी । वीर तेजाजी महाराज की एक बहन भी थी जिसका नाम राजल था । वीर तेजाजी महाराज और उनकी बहन आपस में बहुत प्रेम करते थे । बचपन से लेकर युवा अवस्था तक दोनों भाई बहन खेल कुंद कर बड़े हुए थे ।

वीर तेजाजी महाराज की बहन का विवाह हो जाने के बाद अपनी बहन को बहुत याद करते थे । जब वीर तेजाजी महाराज की बहन का विवाह हुआ तब वीर तेजाजी महाराज कुछ समय तक परेशान रहे थे क्योंकि वीर तेजाजी महाराज अपनी बहन से लड़ते , झगड़ते , खेलते थे । वीर तेजाजी महाराज के माता पिता वीर तेजाजी महाराज को सदैव समाज हित एवं राज्य हित के लिए कार्य करने के लिए कहते रहते थे । वीर तेजाजी महाराज ऐसे साहसी और वचनबद्ध व्यक्ति थे जिसने अपने वचन को निभाने के लिए अपनी जान दे दी थी ।

जिसके बाद वीर तेजाजी महाराज राजस्थान राज्य ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश और गुजरात में देवता के रूप में पूजे जाते हैं । वीर तेजाजी महाराज के मंदिर भी राजस्थान राज्य में स्थित है । जिस स्थान पर जाकर दूर-दूर से लोग अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । वीर तेजाजी महाराज का अस्त्र भाला है । वीर तेजाजी महाराज घोड़ी पर सवार होकर यात्रा करते थे । उनको घोड़ी पर सवारी करना बहुत अच्छा लगता था इसलिए वीर तेजाजी महाराज के मंदिरों में वीर तेजाजी महाराज की मूर्ति को घोड़ी पर बैठाया गया है । तेजाजी के परदादा , बुजुर्ग उदय राज थे ।

जिन्होंने खरनाल पर कब्जा करके अपनी राजधानी बनाई थी । जिस समय वीर तेजाजी महाराज के परदादा उदय राज ने खरनाल में अपनी राजधानी बनाई थी उस समय खरनाल परगने में सिर्फ 24 गांव ही थे ।

वीर तेजाजी महाराज के विवाह के बारे में – वीर तेजाजी महाराज का विवाह बचपन में ही पेमल से हुआ था । जो झांझर गोत्र के रायमल जाट की पुत्री थी । जब वीर तेजाजी महाराज और पेमल का विवाह हुआ था तब वीर तेजाजी महाराज की उम्र सिर्फ 9 महीने की थी और पेमल की उम्र सिर्फ 6 महीने की थी । जब वीर तेजाजी महाराज के पिता ताहड़ देव ने अपने पुत्र वीर तेजाजी महाराज का विवाह रायमल की पुत्री पेमल से करने का विचार किया तब ताहड़ देव और रायमल ने मिलकर यह विवाह करने का निर्णय कर लिया था और वीर तेजाजी महाराज और पेमल का विवाह 1074 ईसवी में पूर्णिमा के दिन पुष्कर घाट पर जाकर वीर तेजाजी महाराज और पेमल को विवाह के बंधन में बांध दिया था , दोनों की शादी कर दी गई थी और दोनों परिवार खुश थे ।

वीर तेजाजी महाराज के पिता ताहड़ देब और पेमल के मामा खाजू काला के संबंधों के बारे में – जब वीर तेजाजी महाराज के पिता ताहड़ देव ने अपने पुत्र वीर तेजाजी का विवाह रायमल की पुत्री पेमल के साथ कर दिया था तब पेमल के मामा खाजू काला को यह रिश्ता मंजूर नहीं था क्योंकि पेमल के मामा खाजू काला की धौला परिवार से दुश्मनी थी । जब पेमल के मामा को इस रिश्ते के बारे में मालूम पड़ा तब पेमल के मामा ने इस रिश्तेदारी का विरोध किया था । कहने का तात्पर्य यह है कि पेमल के मामा इस रिश्ते के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थे ।

जब वीर तेजाजी का विवाह पेमल से हो गया था तब ताहड़ देव और पेमल के मामा खाजू काला का आपसी विवाद और भी अधिक बढ़ गया था । जब ताहड़ देव और पेमल के मामा खाजू काला की आपसी बहस हुई तब दोनों के बीच दुश्मनी और भी अधिक हो गई थी । दुश्मनी इतनी बढ़ गई थी कि पेमल के मामा खाजू काला ताहड़ देव को जान से मारने के प्रयास करने लगा था । जब पेमल के मामा  खाजू काला ने ताहड़ देव की फैमिली पर हमला कर दिया था तब ताहड़ देव ने तलवार उठा कर पेमल के मामा से लड़ाई करने का फैसला किया और अपने परिवार की जान बचाने के लिए ताहड़ देव ने तलवार से खाजू काला को मार दिया था ।

जिस समय ताहड़ देव में अपनी तलवार से खाजू काला को मार दिया था उस समय वीर तेजाजी महाराज के चाचा असकरन भी वहां पर मौजूद थे । तेजाजी महाराज के चाचा असकरन नेे इस घटना की विस्तृत जानकारी बताई थी ।

वीर तेजाजी महाराज और पेमल के परिवार के बीच बढ़ती हुई दुश्मनी के बारे में – जब ताहड़ देव ने अपने परिवार की रक्षा के लिए पेमल के मामा खाजू काला को अपनी तलवार से मार दिया था तब पेमल की मां बहुत ही दुखी एवं क्रोधित हुई थी । जिसके बाद वीर तेजाजी महाराज और पेमल के परिवार के बीच की दूरी और भी बढ़ गई थी । दोनों परिवार एक दूसरे के दुश्मन हो गए थे । जो आपस में जुड़ने का नाम नहीं ले रहे थे । जब पेमल के मामा खाजू काला की मौत हो गई थी तब पेमल की मां को यह सब अच्छा नहीं लगा था ।

जब पेमल की मांं ने इस घटना के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त की तब पेमल की मां वीर तेजाजी महाराज के परिवार से बदला लेने के लिए उतावली हो गई थी । इस तरह से वीर तेजाजी महाराज और पेमल के परिवार के बीच में वाद , विवाद बढ़ता चला गया था ।

वीर तेजाजी महाराज और पेमल की प्रथम मुलाकात के बारे में – वीर तेजाजी महाराज जब खेत पर काम कर रहे थे और उनको बहुत तेज भूख लग रही थी तब उनको बहुत तेज क्रोध आ रहा था । जब खेत पर वीर तेजाजी महाराज की भाभी खाना लेकर पहुंची तब वीर तेजाजी महाराज ने अपनी भाभी पर बहुत क्रोध किया था । जिस क्रोध को वीर तेजाजी महाराज अपनी भाभी पर लाठी फेंककर व्यक्त कर रहे थे । जब भाभी ने वीर तेजाजी महाराज को इस अवस्था में देखा तब वीर तेजाजी महाराज की भाभी वीर तेजाजी महाराज के क्रोध को सहन नहीं कर सकी थी और वीर तेजाजी महाराज को उनके ससुराल वालों की दुश्मनी के बारे में बता दिया था ।

वीर तेजाजी महाराज से उनके विवाह के बारे में उनके माता-पिता ने उनको कुछ भी नहीं बताया था । जब वीर तेजाजी महाराज ने खेत से सीधे घर पर जाकर अपनी मां से विवाह के बारे में पूछा तो मांं ने वीर तेजाजी महाराज को सब कुछ बता दिया था और वीर तेजाजी महाराज ने ससुराल जाने का निर्णय ले लिया था ।  वीर तेजाजी महाराज घोड़ी पर सवार होकर ससुराल जाने के लिए निकल पड़े थे । जब वीर तेजाजी महाराज ससुराल जा रहे थे तब रास्ते में वीर तेजाजी महाराज को एक सांप आग में जलता हुआ दिखा तब वीर तेजाजी महाराज ने अपनी जान पर खेलकर उस सांप को बचाया था  और उस सांप को आग  से बाहर ले आए थे ।

परंतु वह सांप अपने जोड़े से बिछड़ जाने के कारण बहुत अधिक क्रोधित था और वीर तेजाजी महाराज को डसने की कोशिश करने लगा था ।  जब वीर तेजाजी महाराज ने यह देखा कि यह सांप मुझे डसने  की कोशिश कर रहा है । यदि इस सांप ने मुझे डस लिया तो मे यहीं पर अपने प्राण त्याग दूंगा और अपनी ससुराल में जाकर अपनी पत्नी से मुलाकात नहीं कर पाऊंगा । उस समय वीर तेजाजी महाराज ने सांप से हाथ जोड़कर यह प्रार्थना की कि अभी मे अपनी ससुराल जा रहा हूं । मुझे कृपया कर जाने दें ।

जब मैं अपनी ससुराल वालों से मिलकर वापस लौट कर यहां आऊंगा तब आप मुझे डस लेना । इस तरह से वीर तेजाजी महाराज ने सांप को वचन दिया और वहां से सीधे ससुराल की ओर निकल पड़े थे । जब वीर तेजाजी महाराज ससुराल जा रहे थे उसी रात में पेमल की सहेली लाछा गुजरी की सभी गाय को मीणा लुटेरे लूट कर ले गए थे । जब तेजाजी महाराज अपनी ससुराल पहुंचे तब ससुराल बालों से बहुत वाद विवाद हुआ और वह वहां से वापस लौटने लगे ।

जब वीर तेजाजी महाराज अपने घर की और वापस लौट कर आ रहे थे तब वह लाछा गुजरी के यहां पहुंचे । वहां पर पहुंचने के बाद जब गुजरी लाछा के कहने पर , प्रार्थना करने पर वीर तेजाजी महाराज ने मीणा लुटेरों से सभी गाय को छुड़ाने के लिए संघर्ष किया , लड़ाई की तब उस लड़ाई में वीर तेजाजी महाराज को बहुत अधिक चोटे शरीर पर आई थी और उसी समय वीर तेजाजी महाराज घायल अवस्था में अपनी घोड़ी पर सवार होकर घर की ओर चल दिए थे ।

इसके बाद वीर तेजाजी महाराज उस जगह पर पहुंचे जहां पर वीर तेजाजी महाराज ने सांप को यह वचन दिया था कि वह लौटकर उसके पास अवश्य आएंगे ।  वीर तेजाजी महाराज  सांप के बिल के पास पहुंचे और सांप से जीभ पर काटने के लिए कहा था । उसी समय सांप अपने बिल  से बाहर निकल कर वीर तेजाजी महाराज को डस लिया और उनकी वहीं पर मृत्यु हो गई थी । जिस समय वीर तेजाजी महाराज को सांप ने डसा था  वह समय भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160 का समय था ।

जब सांप ने वीर तेजाजी महाराज को काटा था उसी समय वीर तेजाजी महाराज की मृत्यु हो गई थी ।  जब वीर तेजाजी महाराज की मृत्यु हो गई तब उनकी पत्नी पेमल ने भी सती होने का फैसला किया और सती होकर एक पति व्रता व्रत का पालन किया था । जब वीर तेजाजी महाराज को सांप ने डस लिया था और उनकी मृत्यु हो गई थी तब सांप उनके वचनबद्ध से प्रसन्न था और वीर तेजाजी महाराज की  वचनबद्धता को देखकर वीर तेजाजी महाराज को यह वरदान दिया कि वह सांपों के देवता के रूप में पूजे जाएंगे ।

इसीलिए वीर तेजाजी महाराज सांपों के देवता कहे जाते हैं । सांपों के देवता के रूप में वीर तेजाजी महाराज की पूजा की जाती है ।

धौलिया शासकों की वंशावली के बारे में – वीर तेजाजी महाराज से पहले उनके वंशज बहुत ही शक्तिशाली , बुद्धिहीन थे । वीर तेजाजी महाराज के पूर्वजों ने कई बार वीरता का परिचय दिया है । इस तरह से वीर तेजाजी महाराज के वंशजों , शासकों की वंशावली के नाम  हैं । महारावल, भौमसेन, पील पंजर , सारंग देव , शक्ति पाल , रायपाल , धवल पाल , नयन पाल , घर्षण पाल , तक्कपाल , मूल सेन , रतन सेन , शुण्डल , कुंडल , पिप्पल , उदय राज , नर पाल , कामराज , बोहितराव , ताहड़देव , तेजाजी आदि धौलिया शासकों की वंशज है ।जिसमें वीर तेजाजी महाराज राजस्थान के एवं सांपों के देवता के रूप में पूजे एवं माने जाते हैं ।

वीर तेजाजी महाराज और उनकी मां के बीच में हुए संवाद के बारे में –  वीर तेजाजी महाराज एक बार जब खेत पर काम करके हरजोत कर घर पर वापस आए थे तब वीर तेजाजी महाराज ने अपने विवाह के बारे में मां से पूछ लिया था । जब वीर तेजाजी महाराज ने अपनी मां से विवाह के बारे में पूछा तब वीर तेजाजी की मां को वह दुश्मनी याद आ गई जिस दुश्मनी की आग की लपटें बहुत तेज थी । कई बार अपनी मां से वीर तेजाजी ने विवाह के बारे में पूछा और उनकी मां ने वीर तेजाजी की बातों का जवाब उलट-पुलट करके दीया था ।

वीर तेजाजी की मां ने वीर तेजाजी से उनके विवाह के बारे में यह बताया की तुम्हारा विवाह उनके ताऊ बक्सर राम जी ने तय किया था । जब तुम्हारे ताऊ बक्सर रामजी ने तुम्हारा विवाह तय किया तब लड़की के मामा ने शादी की मोहर लगा दी थी और तुम्हारा विवाह रायमल की बेटी के साथ पीले पोतड़ो से हुआ था ।

दोस्तों हमारे द्वारा लिखा गया यह जबरदस्त आर्टिकल वीर तेजाजी महाराज का जीवन परिचय एवं इतिहास Veer tejaji maharaj history in hindi यदि आपको पसंद आए तो सबसे पहले आप सब्सक्राइब करें इसके बाद अपने दोस्तों एवं रिश्तेदारों में शेयर करना ना भूलें धन्यवाद ।

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *