उधम सिंह का इतिहास व् जीवन परिचय Udham Singh History & Biography in Hindi

Udham singh history in hindi

Udham singh – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से उधम सिंह का इतिहास एवं जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं ।  चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और उधम सिंह के जीवन परिचय को पढ़कर उधम सिंह के बारे में जानते हैं ।

Udham singh history in hindi
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जन्म स्थान व् परिवार के बारे में about udham singh in hindi- उधम सिंह भारत के स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पहचाने जाते हैं । उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को भारत देश के पंजाब राज्य के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था । उधम सिंह एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जिनके अंदर भारत देश को आजादी दिलाने का जज्बा था । वह ब्रिटिश शासन को भारत देश से खत्म करना चाहते थे । जिसके लिए उधम सिंह कुछ भी करने के लिए तैयार थे । उधम सिंह के पिता का नाम टहल सिंह था । उधम सिंह के पिता टहल सिंह रेलवे के क्रॉसिंग फाटक पर चौकीदारी किया करते थे ।

उधम सिंह अपने प्रारंभिक जीवन काल से ही अपने देश की आजादी के सपने देखा करते थे । जब वह अंग्रेजो के द्वारा किए गए अन्याय को देखते थे तब उधम सिंह को अच्छा नहीं लगता था । उधम सिंह के माता पिता का देहांत हो गया था । जब उधम सिंह के माता पिता का देहांत हो गया था तब उधम सिंह और उनके बड़े भाई मुक्ता सिंह जिसे साधु सिंह के नाम से भी सभी लोग जानते थे दोनों भाई अकेले हो गई थे । जब उधम सिंह के माता-पिता का देहांत हुआ था तब उधम सिंह बहुत छोटे थे ।

उधम सिंह के बड़े भाई मुक्ता सिंह अपने भाई को लेकर अमृतसर चले गए थे । अमृतसर जाने के बाद वह इधर उधर भटकते रहे । इसके बाद मुक्ता सिंह उधम सिंह को लेकर एक खालसा अनाथालय में चले गए थे क्योंकि उनका कोई और सहारा नहीं था । इसीलिए मुक्ता सिंह ने खालसा अनाथालय में जाने का फैसला किया था । जब मुक्ता सिंह ने अपने छोटे भाई उधम सिंह के साथ खालसा अनाथालय की शरण ली तब दोनों भाई अनाथालय में अपना  जीवन यापन करने लगे थे ।

उधम सिंह धीरे धीरे बड़े होने लगे जैसे जैसे उधम सिंह की उम्र बढ़ती गई उनके अंदर देशभक्ति का जज्बा जागता गया था । अपने मित्रों के साथ मिलकर वह खेलकूद के साथ-साथ देश की आजादी का सपना सजाने लगे थे । धीरे-धीरे यह जज्बा एक क्रांति में बदलता गया और वह देश को आजाद कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने लगे थे । अंग्रेजों का डटकर सामना करने के लिए उधम सिंह हमेशा तत्पर रहते थे । जब भी उनको अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने का मौका मिलता था वह तुरंत अपने मित्रों के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाते थे ।

उधम सिंह को सभी शेर सिंह के नाम से जानते थे । यह उधम सिंह जी का बचपन का नाम था ।

उधम सिंह जी की शिक्षा के बारे में udham singh education- उधम सिंह जी भारत देश के स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं । उधम सिंह के जब माता-पिता का देहांत हो गया था तब उनके बड़े भाई उनको पंजाब राज्य के अमृतसर के खालसा अनाथालय मे ले गए थे । वहीं से उधम सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी । जब उधम सिंह अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त कर रहे थे तब वह अपने देश के प्रति जिम्मेदारियां निभाने के बारे में सीख रहे थे । धीरे धीरे उधम सिंह  अपनी शिक्षा प्राप्त करते गए और तीसरी आजादी का सपना सजाते गए थे ।

इसके बाद अनाथालय से ही उधम सिंह ने मैट्रिक की पढ़ाई पास की थी । मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उधम सिंह जी ने अपने जीवन का एक ही लक्ष्य बना लिया था और वह लक्ष अपने देश को , अपने वतन को आजाद कराना था । अपने देश की आजादी के लिए वह मर मिटने के लिए भी तैयार थे । मैट्रिक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उधम सिंह ने अनाथालय छोड़ दिया था । इसके बाद वह देश की आजादी के लिए क्रांतिकारी बनने के लिए तैयार हो गए थे ।

उधम सिंह के द्वारा एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में दिए योगदान के बारे में – उधम सिंह के अंदर बचपन से ही देश को आजाद कराने का जज्बा था । वह देश को आजाद कराने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार थे । जिसके लिए वह जाने-माने स्वतंत्रता सेनानियों से जाकर के मिल गए थे । उधम सिंह ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे जो अपना जीवन देश के नाम कर चुके थे । जब उधम सिंह के बड़े भाई मुक्ता सिंह का देहांत 1917 को हो गया था तब वह पूरी तरह से अकेले हो गए थे । परंतु उधम सिंह अपने देश की आजादी के लिए निरंतर काम करते रहते थे ।

उधम सिंह ने अपने आपको कमजोर नहीं समझा वह जानते थे की यदि आज मे कमजोर पड़ गया तो मेरे मित्र , मेरे देश के लोग , स्वतंत्रता सेनानी कमजोर पड़ जाएंगे इसलिए उधम सिंह ने निरंतर भारत की आजादी के लिए काम किया । इतिहासकारों के द्वारा उधम सिंह के बारे में यह बताया गया है की वह अपने वतन से बहुत प्रेम करते थे । ब्रिटिश शासन के द्वारा जो अन्याय भारतीय लोगों पर किया जाता था अन्याय के खिलाफ वह हमेशा खड़े रहते थे ।

उधम सिंह ने एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था । आज हम सभी उधम सिंह की कुर्बानी को याद करते हैं क्योंकि उधम सिंह जैसे भारत देश के कई स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा हमारे देश को आजादी मिली है और हम आज आजादी के साथ अपना जीवन जी रहे हैं । उधम सिंह जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजो के द्वारा किए गए अत्याचार को सहन किया है और उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के अथक प्रयासों के बाद देश को आजादी प्राप्त हुई है ।

देश में स्वतंत्रता की लहर इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों ने फैलाई थी । उधम सिंह किसी भी धर्म पर विश्वास नहीं करते थे । उधम सिंह एक नास्तिक प्रवृत्ति के थे परंतु अपने देश के प्रति , अपने वतन के प्रति सजग थे क्योंकि उधम सिंह जानते थे कि अंग्रेजों ने भारतीय लोगों को धर्म के नाम पर आपस में लड़ा कर भारत को गुलाम बनाया हैं । उधम सिंह यह जानते थे की यदि देश को आजाद कराना है तो हम सभी भारतीय लोगों को एक साथ मिलकर आजादी की जंग लड़नी होगी ।

जो जाति भेदभाव हमारे देश में फैला हुआ है उस जाति भेदभाव को खत्म करना होगा । उधम सिंह अपने मित्रों से , अपने मिलने वालों से यही कहते थे कि देश की आजादी का सबसे बड़ा मंत्र एकता है । इसलिए हम सभी को एकता के बंधन में बंधना चाहिए । उधम सिंह भारत को स्वतंत्रता दिलाने के उद्देश्य से 1924 में गदर पार्टी में शामिल हो गए थे । जहां पर उधम सिंह की मुलाकात कई स्वतंत्रता सेनानियों से हुई थी । जब उधम सिंह की मुलाकात और भी स्वतंत्रता सेनानियों से हुई तब उधम सिंह के अंदर भारत को आजादी दिलाने का जज्बा और भी मजबूत हो गया था ।

इस तरह से भारत को आजादी दिलाने के लिए उधम सिंह अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहते थे । उधम सिंह ने देश को आजादी दिलाने का अपना सबसे बड़ा धर्म , कर्तव्य बना लिया था ।

स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा बनाई गई गदर पार्टी के बारे में – भारत के कई स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा देश को आजाद कराने के लिए , भारत देश में भारत की आजादी की लहर फैलाने के लिए गदर पार्टी की स्थापना की गई थी । इस गदर पार्टी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह भारतीय लोगों को यह समझाती थी कि हमारे देश को आजादी मिल सकती है । यदि हम सभी एकजुट होकर अंग्रेजों का डटकर सामना करें तो हमारे देश को आजादी मिल सकती है ।

इस गदर पार्टी की स्थापना कनाडा में रहने वाले भारतीय नागरिकों के द्वारा की गई थी क्योंकि अंग्रेजो के द्वारा जो अत्याचार भारतीय लोगों पर किया जा रहा था उस अत्याचार के खिलाफ गदर पार्टी आवाज उठाना चाहती थी । गदर पार्टी मे काम करने वाले लोगों का एक ही मकसद था भारत देश में आजादी की क्रांति भड़काने का । जब उधम सिंह जी ने इस पार्टी के बारे में सुना तब उधम सिंह ने इस पार्टी में शामिल होने का फैसला कर लिया था और वह इस पार्टी में अपना योगदान देने लगे थे ।

जब भी देश की आजादी के लिए कुछ कर गुजरने का समय आता था तब उधम सिंह सबसे आगे रहते थे क्योंकि उधम सिंह यह जानते थे कि आज हम सभी की एकता ही देश को आजादी दिला सकती है और आने वाली पीढ़ी चैन की सांस ले सकती है । इसी उद्देश्य से उधम सिंह गदर पार्टी में शामिल हुए थे । धीरे-धीरे समय बीतने के साथ-साथ कदर पार्टी  में सदस्यों की संख्या बढ़ती गई और सभी स्वतंत्रता सेनानी एकत्रित होकर अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुए थे ।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी उधमसिंह और भगत सिंह की मित्रता के बारे में – उधम सिंह बचपन से ही देश को आजादी दिलाने के सपने देते रहते थे और वह देश को आजादी दिलाने के लिए निरंतर काम करते थे । उधम सिंह और भगत सिंह के बीच में गहरी मित्रता थी । वह  जब भी  मिलते  थे देश की आजादी के बारे में बातचीत किया करते थे । उधम सिंह की भगत सिंह से पहली मुलाकात लाहौर जेल में हुई थी । जब उधम सिंह को अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठाने पर लाहौर जेल में बंद कर दिया गया था तब लाहौर जेल में वह स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह से मिले थे ।

उनसे मिलने के बाद उधम सिंह के अंदर भारत की आजादी का जज्बा और भी मजबूत हो गया था । लाहौर जेल के बाद भगत सिंह और उधम सिंह की मुलाकात कई बार हुई थी । उधम सिंह भगत सिंह को अपना सबसे प्रिय मित्र मानते थे । उधम सिंह भगत सिंह के द्वारा किए गए आजादी के लिए कार्य से खुश थे  इसलिए उनको अपना सबसे अच्छा मित्र मानते थे ।

जलियांवाला बाग के प्रत्यक्षदर्शी उधम सिंह के बारे में – उधम सिंह जलियांवाला बाग कांड के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं । स्वतंत्रता सेनानी के द्वारा जब जलियांवाला बाग में भारत की आजादी को लेकर एक मीटिंग रखी गई थी तब उस मीटिंग में लाखों कार्यकर्ता शामिल हुए थे । उस मीटिंग में उधम सिंह भी शामिल थे । अंग्रेजों ने स्वतंत्रता सेनानियों को रास्ते से हटाने के लिए अपनी पावर का गलत इस्तेमाल किया था । 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में स्वतंत्रता सेनानियों की एक मीटिंग चल रही थी और अंग्रेजों ने उस मीटिंग को ना होने देने के लिए  सभी स्वतंत्रता सेनानियों को पर गोली चलवा दी थी ।

यह गोलियां माइकल ओ डायर के कहने पर एवं जनरल डायर के कहने पर चलाई गई थी । जिसके बाद कई स्वतंत्रता सेनानियों का देहांत हो गया था । यह जलियांवाला बाग कांड बहुत ही भयानक कांड था । जिस जलियांवाला बाग कांड में एक प्रत्यक्षदर्शी के रूप में उधम सिंह भी शामिल थे । माइकल डायर उस समय ब्रिटिश शासन में गवर्नर थे ।उन्हीं के कहने पर निर्दोष लोगों पर गोलियां बरसाई गई थी । जब यह घटना घटी तब उधम सिंह वहीं पर मौजूद थे ।

उधम सिंह ने अपने मित्रों , स्वतंत्रता सेनानियों के सीने पर पर गोली चलते हुए देखा था । उसी समय उधम सिंह ने प्रतिज्ञा ली थी और अपने जीवन का एक ही लक्ष्य बना लिया था और वह लक्ष्य माइकल ओ डायर को सबक सिखाने का था । वह निरंतर अपने आप को मजबूत करते गए और माइकल ओ डायर को सबक सिखाने का इंतजार करते रहते थे । इसके बाद वह माइकल ओ डायर को सबक सिखाने के उद्देश्य से कई देशों की यात्रा करने लगे थे । उधम सिंह ने अफ्रीका , ब्राजील , अमेरिका देशों की यात्रा की और इन देशों में अपना नाम बदल बदल कर रहने लगे थे ।

उधम सिंह के लंदन मिशन के बारे में – उधम सिंह ब्रिटिश शासन में रहे गवर्नर माइकल ओ डायर से बदला लेना चाहते थे । जब उधम सिंह को यह मालूम चला कि लंदन में 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी लंदन में स्थित काक्सटन मे मीटिंग होनी है तब उधम सिंह माइकल ओ डायर से बदला लेने के लिए अपने आप को मजबूत करने लगे थे । माइकल ओ डायर से बदला लेने के लिए उधम सिंह 1934 में लंदन में जाकर के रहने लगे थे । उधम सिंह ने लंदन में जाकर 9 एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर एक मकान किराए पर लिया और वहां पर रहकर माइकल ओ डायर से बदला लेने का इंतजार करने लगे थे ।

उधम सिंह ने एक कार एवं रिवाल्वर खरीदी थी । जिस रिवाल्वर से वह माइकल ओ डायर को मारकर जलियांवाला बाग कांड का इंतकाम लेना चाहते थे  और यह मौका उधम सिंह जी को 1940 में मिला था । जब 13 मार्च 1940 में रॉयल सेंट्रल सोसाइटी एशियन की लंदन में स्थित काक्सटन में बैठक चल रही थी तब उस मीटिंग में , उस बैठक में माइकल ओ डायर भी आए थे । उधम सिंह एक किताब में रिवाल्वर छुपाकर उस मीटिंग में प्रवेश कर गए वह । मीटिंग खत्म हुई तब सभी लोग अपनी कुर्सी से उठकर जाने लगे थे ।

उसी समय भारत के स्वतंत्रता सेनानी उधमसिंह ने अपनी रिवाल्वर निकाली और माइकल ओ डायर को गोली मार दी थी । जिसके बाद माइकल ओ डायर की मौके पर ही मौत हो गई थी । गोली मारने के बाद उधम सिंह ने भागने का प्रयास नहीं किया ने था । उधम सिंंह ने गोली चलाने के बाद ब्रिटिश पुलिस को सरेंडर कर दिया था । जिसके बाद ब्रिटिश पुलिस उधम सिंह जी को पकड़ कर जेल में ले गई थी । गिरफ्तार करने के बाद ब्रिटिश शासन के द्वारा उधम सिंह पर मुकदमा चलाया गया था ।

कई समय तक यह मुकदमा चला और ब्रिटिश शासन ने 4 जून 1940 को भारत के स्वतंत्रता सेनानी उधमसिंह को माइकल ओ डायर की हत्या का दोषी ठहराया था और उधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी पर लटकाने का फैसला किया था । जब 31 जुलाई 1940 का दिन आया तब पेंटनविले की जेल में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह को फांसी दे दी गई ।ऐसे स्वतंत्रता सेनानी को हमें मान सम्मान देना चाहिए और उनके द्वारा दिए गए योगदान को हमें हमेशा याद करते रहना चाहिए ।

जनरल डायर की मौत की अफवाह के बारे में – जनरल डायर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि जनरल डायर को उधम सिंह ने मारा था । परंतु यह बात सही नहीं है । उधम सिंह ने जनरल डायर को नहीं मारा था क्योंकि जनरल डायर का देहांत 1927 को हो गया था और उनका देहांत कई बीमारियों के कारण हुआ था । जनरल डायर को लकवे की बीमारी थी । लकवे के साथ-साथ और भी  कई  बीमारी  जनरल डायर को हुई थी । जनरल डायर पूरी तरह से बीमारियों से घिर चुके थे जिसके बाद उनका देहांत हो गया था ।

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