टूटी कुर्सी की आत्मकथा Tuti kursi ki atmakatha in hindi
Tuti kursi ki atmakatha in hindi
दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं एक टूटी कुर्सी की आत्मकथा, यह आर्टिकल एक काल्पनिक आर्टिकल है जो केवल आपकी जानकारी के लिए लिखा गया है। चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को।
मैं एक टूटी कुर्सी हूं जो एक घर के एक कोने में पड़ी रहती हूं। जब मुझे अपने पुराने दिन याद आते हैं तो मुझे थोड़ी खुशी भी होती है लेकिन उन दिनों और आज के दिनों को देखकर थोड़ा दुख भी होता है कि आज मैं किसी भी काम की ना रह गई। पहले मैं लोगों की मदद कर पाती थी मैं जब जवान थी तब बाजार में एक दुकान पर बेचने के लिए रखी जाती थी।
1 दिन दुकानदार ने मुझे अपने एक ग्राहक को बेच दिया वह मुझे कुर्सी के साथ कुछ अन्य कुर्सी भी साथ में ले गया और उसने कुछ कुर्सियों को अपने ऑफिस में और मेरे जैसी कुछ और कुर्सियों को अपने घर में लाकर रख दिया।अब घर में जब भी कोई व्यक्ति बाहर से आता तो मैं खुश हो जाती क्योंकि मुझे बहुत ही अच्छा लगता था कि कोई मेरी मदद ले।
मैं घर में आ रहे नए नए मेहमान को बैठाने के लिए तैयार रहती थी। समय गुजरता गया कहीं बार मालिक मुझे अपने ऑफिस में भी ले जाता था क्योंकि कभी-कभी ज्यादा लोग आ जाते थे तो मेरी जरूरत पड़ जाती थी उसके बाद वह वापस मुझे लाकर घर पर रख देता था। ऐसे ही समय गुजरता गया और काफी दिनों तक इस्तेमाल करने के बाद मैं टूट गई। जब मैं टूट गई तो मेरे मालिक ने मुझे घर के कोने में रख दिया।
आज कई महीने हो चुके हैं लेकिन घर का कोई भी सदस्य या बाहर से आ रहे मेहमान मेरा उपयोग ही नहीं करता मुझे उन्होंने घर की एक कोने में रख दिया। वह मेरी साफ-सफाई भी नही करते। पहले सुबह शाम मेरी सफाई बो किया करते थे लेकिन अब उन्हें जरूरत ही नहीं पड़ती मेरी सफाई करनी की यह सोच कर मुझे थोड़ा दुख भी होता है। समय गुजर रहा है और मैं बस अपने दिन काट रही हु।
आज मैं घर की इस कोने में बैठी बैठी बोर हो जाती हूं और सोचती हूं की जैसा मेरे जैसी अन्य कुर्सियों के साथ हुआ वैसा ही मेरे साथ ही होगा। 1 दिन मेरा मालिक मुुझे किसी टूटे-फूटे सामान खरीदने वाले व्यक्ति को बेच देगा और मैं अपने मालिक से हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाऊंगी। हो सकता है मुझे खरीदने वाला व्यक्ति मुझे जोड़ कर उपयोग में ले या मेरा किसी और तरह से उपयोग करें वह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन मैं बस इतना जानती हूं की जीवन में ज्यादातर हर किसी के साथ ऐसा ही होता है समय के साथ जब उसका शरीर काम नहीं करता तो लोग उसको कुछ भी नहीं समझते।
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