अध्यापकों के लिए धन्यवाद भाषण Thank you speech for teachers in hindi
Thank you speech for teachers in hindi
Thank you speech for teachers – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से अध्यापकों के लिए धन्यवाद भाषण सुनाने जा रहे हैं ।चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस लेख को पढ़कर अध्यापकों के लिए धन्यवाद भाषण को पढ़ते हैं ।
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दोस्तों नमस्कार मैं अरुण नामदेव आप सभी लोगों का इस कार्यक्रम में स्वागत , वंदन , अभिनंदन करता हूं । जैसा कि आप सभी लोगों को यह मालूम है कि हमने यह कार्यक्रम अध्यापकों के सम्मान में रखा है और हम सभी मिलकर अध्यापकों से यह आशय करेंगे कि वह इसी तरह से अपने अनुभवी जीवन को हम जैसे कई लोगों को सफल बनाने में लगाएंगे । दोस्तों सबसे पहले मैं यहां पर उपस्थित सभी अतिथि गणों का स्वागत , बंधन , अभिनंदन करता हूं और उनका मैं तहे दिल से धन्यवाद करता हूं की उन्होंने अपने कीमती समय में से कुछ समय निकालकर यहां पर उपस्थित हुए ।
मैं यहां पर उपस्थित सभी विद्यार्थियों एवं स्कूल के स्टाफ से विनम्र अनुरोध करता हूं कि वह अतिथियों और शिक्षकों को सम्मान देने के लिए जोरदार तालियां बजाएं । अब हम इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हैं । मैं इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने से पहले आप सभी लोगों को यह बताना चाह रहा हूं कि हम इस कार्यक्रम को स्टेप बाय स्टेप आने बढ़ाएंगे । हमारी पहली स्टेप है कि हम अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत करें क्योंकि वह अपने व्यस्त जीवन में से समय निकालकर यहां पर उपस्थित हुए हैं । मैं सभी अतिथियों से यह विनम्र निवेदन करता हूं कि वह इस स्टेज पर आएं और अपना स्थान ग्रहण करें ।
अब मैं हमारे स्कूल के ट्रस्टी से विनम्र निवेदन करता हूं कि वह स्टेज पर आएं और यहा पर उपस्थित सभी अतिथियों का माला पहनाकर उनका स्वागत करें । अब हम इस कार्यक्रम को आगे की ओर ले जाते हैं । दोस्तों जैसे कि हम सब जानते हैं कि एक विद्यार्थी के जीवन को बदलने में अध्यापक की अहम भूमिका होती है । प्राचीन समय से ही भारत देश में गुरुओं का एक विशेष स्थान होता है । माता पिता के बाद यदि हमें सही रास्ते पर चलाने वाला व्यक्ति है तो वह व्यक्ति गुरु होता है । विद्यार्थी को एक अध्यापक एक सफल व्यक्ति बनने के लिए ज्ञान देकर आगे बढ़ाता है ।
एक अध्यापक ही विद्यार्थी के जीवन को बदलने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है । आज भारत देश में जो भी व्यक्ति एक सफल व्यक्ति बना है उस व्यक्ति को सफल व्यक्ति बनाने के लिए किसी ना किसी अध्यापक के द्वारा उसको शिक्षा दी गई है । इसलिए अध्यापक का स्थान हमारे जीवन में सर्वोपरि है । हमें हमारे अध्यापकों का सम्मान करना चाहिए , उनका आदर करना चाहिए । हम सभी को एक सफल इंसान बनाने के लिए यहां पर उपस्थित सभी अध्यापकों को तहे दिल से हाथ जोड़कर आशीर्वाद लेना चाहिए ।
आज मैं अपने बारे में कुछ बताना चाहता हूं । जिसके माध्यम से आपको यह बात समझ में आएगी की अध्यापक हमारे लिए , हमारे जीवन के लिए कितने आवश्यक होते हैं । मैं जब स्कूल में पढ़ता था तब स्कूल के अध्यापक मुझे प्रतिदिन अच्छी पढ़ाई करने के लिए कहते थे । जब स्कूल के अध्यापक के द्वारा मुझे होमवर्क दिया जाता था तब मुझे बहुत गुस्सा आता था क्योंकि मुझे होमवर्क करने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता था । मुझे पढ़ने की आदत नहीं थी । मेरा दिमाग सिर्फ खेलने कूदने नहीं लगता था ।
परंतु अध्यापक के द्वारा दिया गया होमवर्क मुझे पूरा करना पड़ता था क्योंकि मैं जानता था कि यदि मैंने होमवर्क पूरा नहीं किया तो मुझे सुबह अध्यापक के द्वारा सजा दी जाएगी । मुझे कई बार अध्यापक के द्वारा सजा दी गई हैं । धीरे धीरे मैं पढ़ाई में अपना ध्यान लगाने लगा और अपनी परीक्षा में अच्छे नंबर से उत्तीर्ण होने लगा था । जब परीक्षा का परिणाम आता था तब मुझे एहसास होता था कि यदि ध्यापक मेरे ऊपर दबाव नहीं डालते तो मैं अच्छी पढ़ाई नहीं कर पाता । इसीलिए मैं इस स्टोरी के माध्यम से यही कहना चाहता हूं कि हमारे जीवन में अध्यापक का सर्वोपरि स्थान है ।
अब हम इस कार्यक्रम की बेला को आगे बढ़ाते हैं और हमारे स्कूल के सफल विद्यार्थियों को अब स्टेज पर बुलाया जाएगा और सभी अध्यापकों का माल्यार्पण कर उनका इस कार्यक्रम में स्वागत , वंदन , अभिनंदन किया जाएगा ।मैं एक-एक करके सभी विद्यार्थियों को नाम बोल रहा हूं वह सभी स्टेज पर आएं और सभी अध्यापकों का माल्यार्पण कर उनका सम्मान करे क्योंकि दुनिया में कुछ लोगों को ही गुरु , अध्यापकों का आशीर्वाद प्राप्त होता है । जिस व्यक्ति को अध्यापकों का आशीर्वाद प्राप्त होता है वह अपने जीवन में बहुत जल्द ही एक सफल इंसान बन जाता है ।
इस तरह से हम सभी लोगों ने माल्यार्पण कर सभी अध्यापकों का सम्मान किया । अब मैं यहां पर बैठे सभी लोगों से विनम्र निवेदन करता हूं कि सभी लोग तालियां बजाकर सभी अध्यापकों जो सम्मान दें क्योंकि हम सभी बहुत भाग्यशाली हैं कि हमें अध्यापकों का सम्मान करने का मौका प्राप्त हुआ है । मैं अपनी ओर से सभी अध्यापकों का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हम सभी लोगों का जीवन सफलता की ओर बढ़ाया है । यहां पर मेरे गुरु जिसके माध्यम से मुझे बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त हुआ है वह भी यहां पर उपस्थित हैं । जिनके माध्यम से मैंने अपने जीवन को सफल बनाया है ।
मैं उनको अपनी ओर से ताली बजाकर धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने मुझ जैसे बुद्धिहीन बालक को ज्ञान देकर मेरे जीवन में ज्ञान का उजाला किया है । अब हम इस कार्यक्रम को और आगे बढ़ाते हैं । मैं हमारे मुख्य अतिथि गण से विनम्र अनुरोध करता हूं कि वह स्टेज पर आए और हम सभी को अपने शब्दों से कुछ ज्ञान दे ।
नमस्कार दोस्तों मैं यहां पर उपस्थित सभी विद्यार्थियों और यहां पर उपस्थित सभी अध्यापकों को तहे दिल से धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे अध्यापक सम्मान समारोह में अतिथि के रुप में बुलाया और स्टेज पर बोलने का मौका दिया । मैं सबसे पहले यहां पर उपस्थित सभी विद्यार्थियों से यह कहना चाहता हूं कि वह सदैव अपने अध्यापकों का सम्मान करें और अध्यापकों के द्वारा बताए गए रास्तों पर चलें क्योंकि अध्यापकों के बिना हम एक सफल इंसान नहीं बन सकते हैं । हम सभी लोग स्कूल से ही शिक्षा प्राप्त करते हैं और अपना जीवन सफल बनाते हैं ।
ऐसा कोई भी सफल इंसान नहीं है जो स्कूल मैं पढ़ाई किए बिना एक सफल इंसान बना हो । एक अध्यापक ही मनुष्य के जीवन को सफलता की ऊंचाई तक ले जाता है । हमारे पास समय का बहुत ही अभाव है । इसीलिए मैं अपने छोटे शब्दों में यही कहना चाहता हूं कि हमें अध्यापकों का सम्मान करने में कुछ भी कमी नहीं करनी चाहिए । मैं स्कूल के ट्रस्टी और स्कूल के प्राध्यापक , अध्यापक सभी को सभी विद्यार्थियों की ओर से धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस स्कूल को संस्कार का मंदिर बनाया और विद्यार्थियों को उच्च संस्कार दिए ।
प्रतिवर्ष इस स्कूल से अच्छी रैंक प्राप्त कर विद्यार्थी पास होते हैं और जिले का नाम रोशन करते हैं । एक विद्यार्थी को अच्छे नंबर दिलाने मे अध्यापक का एक विशेष योगदान होता है । अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं धन्यवाद ।
नमस्कार दोस्तों आप सभी को मुख्य अतिथि के द्वारा दी गई स्पीच बहुत अच्छी लगी होगी । अब हम सभी तालियां बजाकर मुख्य अतिथि को भाषण देने के लिए धन्यवाद देते हैं । अब हम इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हैं । अब मैं विद्यार्थियों को स्टेज पर बुलाना चाहता हूं और वह अपने अध्यापक के सम्मान में कुछ दो शब्द बोलें ।
नमस्कार अध्यापक महोदय , नमस्कार हमारे स्कूल के अतिथि । मैं यहां पर उपस्थित सभी विद्यार्थी भाई को मैं धन्यवाद करता हूं । मैं अपने गुरु अध्यापक का बहुत सम्मान करता हूं । मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझता हूं कि मुझे अपने अध्यापक का सम्मान करने का मौका प्राप्त हुआ हैं । मैं स्कूल के सभी संचालकों को भी नमन करता हूं कि उन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मेहनत की और हमें अध्यापकों का सम्मान करने का मौका दिया । मैं अपने सभी अध्यापकों को हाथ जोड़कर नमन करता हूं और आशा करता हूं कि वह इसी तरह से हम सभी विद्यार्थियों को ज्ञान देकर सफलता दिलाते रहे ।
मैं पढ़ने लिखने में बहुत ही बुद्धिहीन था मुझे मेरे सभी अध्यापकों ने पढ़ाया है और मुझे अधिक समय देखकर मेरे ज्ञान को बढ़ाया है । मैं अपने गुरु से यह आशा करता हूं कि वह मुझे आशीर्वाद देंगे कि मैं एक सफल इंसान बनू क्योंकि मैं जानता हूं कि एक गुरु के आशीर्वाद के बिना कोई भी विद्यार्थी सफल नहीं हो सकता है । अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं और मैं हमारे अध्यापक महोदय को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे स्टेज पर आने का मौका दिया और अध्यापकों के सम्मान में दो शब्द बोलने का मौका दिया गया धन्यवाद , जय हिंद ,जय भारत ।
दोस्तों यह भावना होती है एक विद्यार्थी की अपने अध्यापक के प्रति । इसीलिए हमारा देश एक सांस्कृतिक देश कहलाता है क्योंकि यहां पर संस्कार का भंडार भरा हुआ है । जब एक विद्यार्थी स्कूल में शिक्षा प्राप्त करता है तब एक अध्यापक के द्वारा ही विद्यार्थी को संस्कार सिखाए जाते हैं । इसलिए हमारे जीवन में गुरु का उचित स्थान माना जाता है । एक गुरु के बिना हम सभी का जीवन अंधकार में होता है । गुरु ही हमारे जीवन में ज्ञान का उजाला करते हैं और हमें एक सफल इंसान बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हैं ।
अब हम इस कार्यक्रम को और आगे बढ़ाते हैं । अब इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथियों के द्वारा यहां पर उपस्थित सभी अध्यापकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा क्योंकि उन्होंने स्कूल के कई विद्यार्थियों को उचित शिक्षा देकर शिक्षित किया है । अब मैं यहां पर उपस्थित सभी मुख्य अतिथियों से विनम्र निवेदन करता हूं कि वह स्टेज पर आए और यहां पर उपस्थित सभी अध्यापकों को पुरस्कार देकर सम्मानित करें । अब हम इस कार्यक्रम को और भी आगे ले जाते हैं ।मैं उन सभी विद्यार्थियों से अनुरोध करता हूं कि वह गुरु अध्यापकों के सम्मान में जो सांस्कृतिक कार्यक्रम , गीत , भजन नृत्य करना चाहता है वह स्टेज पर आए और अपनी सांस्कृतिक कला का प्रदर्शन करें ।
सॉरी मुझे माफ करना सभी विद्यार्थियों को एक साथ स्टेज नहीं आना है । हमारे अध्यापक और स्कूल के संचालक के द्वारा एक लिस्ट मुझे भेजी गई है । अब मैं उस लिस्ट के माध्यम से एक-एक करके सभी विद्यार्थियों का नाम बोलूंगा और जैसे ही मैं नाम बोलूं वह अपनी टीम के साथ स्टेज पर आकर टीम के साथ सांस्कृतिक प्रदर्शन प्रस्तुत करेंगे । मैं एक बार और आप लोगों को बताना चाहता हूं कि इस प्रतियोगिता मे जो भी विद्यार्थी प्रथम स्थान प्राप्त करेगा उसको यहां पर उपस्थित मुख्य अतिथि और स्कूल के ट्रस्टी के माध्यम से निश्चित किया हुआ पुरस्कार दिया जाएगा । अब मैं नाम बोलने जा रहा हूं ।
इस तरह से सभी विद्यार्थियों ने स्टेज पर सांस्कृतिक कार्यक्रम किए । अब हम इस प्रतियोगिता का पुरस्कार कार्यक्रम के अंत में देंगे । अब मैं उन सभी अध्यापकों से विनम्र निवेदन करता हूं कि वह स्टेज पर आएं और दो शब्द बोलने की कृपा करें ।
मैं यहां पर उपस्थित सभी स्कूल के संचालक एवं यहां पर उपस्थित सभी अतिथि गणों का और यहां पर उपस्थित सभी विद्यार्थियों को धन्यवाद देता हूं की उनके द्वारा हम सभी अध्यापकों का सम्मान किया गया है । जब हम अध्यापकों का सम्मान किया जाता है तब वह दिन हमारे जीवन का सबसे अच्छा दिन होता है । एक अध्यापक की सबसे बड़ी जिम्मेदारी विद्यार्थी को शिक्षित करना होती है ।एक अध्यापक को विद्यार्थी को शिक्षा देना कोई काम नहीं होता है बल्कि अध्यापक की बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है क्योंकि विद्यार्थी ही आने वाले समय में देश का भविष्य होते हैं ।
स्कूल से जो विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करके अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं । जब कोई विद्यार्थी डॉक्टर बनता है , कलेक्टर बनता है , राजनीति करता है तब वह अपने देश के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है । हम सभी अध्यापकों का विद्यार्थियों की प्रति सिर्फ एक ही मकसद होता है कि हम अधिक से अधिक ज्ञान विद्यार्थियों को दे सकें । विद्यार्थियों को गलत रास्ते पर भटकने से रोक सकें क्योंकि हम जानते हैं कि विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते समय जैसी मानसिकता बनाएगा वह आने वाले समय में अपने जीवन को उसी मानसिकता के आधार पर ले जाएगा ।
यदि विद्यार्थी जीवन काल में विद्यार्थी गलत रास्ते पर चलना प्रारंभ कर दे तो उसका जीवन अंधकार से भर जाता है । वह एक उचित शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता है और वह अपने जीवन को बर्बाद कर देता है । यदि विद्यार्थी जीवन काल में विद्यार्थी गलत रास्ते पर चलना प्रारंभ कर दे तो उसका जीवन अंधकार से भर जाता है । वह एक उचित शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता है और वह अपने जीवन में दुख ही दुख प्राप्त करता है । इसलिए हम सभी अध्यापकों की यह सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि विद्यार्थी का हाथ जब तक ना छोड़ा जाए तब तक कि वह एक सफल इंसान ना बन जाए ।
यदि विद्यार्थी गलत रास्ते पर जाने के लिए अपने इरादे कायम करता है तब एक अध्यापक की जिम्मेदारी उस विद्यार्थी को गलत रास्ते पर ना जाने के लिए कहा जाए और उस व्यक्ति को सही रास्ते पर ला करके खड़ा किया जाए । आज मैं अपने आप को बड़ा भाग्यशाली समझता हूं कि इस स्टेज पर मुझे एक अध्यापक के रूप में सम्मान प्राप्त हुआ हैं । अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं और यहां पर उपस्थित सभी अतिथियों का एक बार फिर तहे दिल से धन्यवाद करता हूं कि वह इस कार्यक्रम में पधारे और हम सभी अध्यापकों का सम्मान किया । धन्यवाद ,जय हिंद , जय भारत ।
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