स्वामी विवेकानंद के कामयाबी पर विचार “swami vivekananda thoughts on success in hindi”

दोस्तों आज हम जानेंगे स्वामी विवेकानंद के कामयाबी पर विचार जो आपकी जिंदगी में आगे बढ़ने में मदद करेंगे,दोस्तों स्वामी विवेकानंद एक महान इंसान थे,

swami vivekananda thoughts on success in hindi

वोह एक ऐसे इंसान थे जिन्होंने कम समय में ही एक बहुत बड़ा स्थान हासिल किया था,वह लोगों को आगे बढ़ाना चाहते थे उनके मुख से निकला हुआ हर एक शब्द लोगों को प्रेरणा देता था आज हम उन्हीं के विचार आप सभी के समक्ष प्रस्तुत करने वाले हैं चलिए पढ़ते हैं स्वामी विवेकानंद जी के कामयाबी पर विचार-

(१)उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक कि तुम्हें लक्ष्य प्राप्त न हो जाए

(२) कभी मत सोचिए की आत्मा के लिए कुछ असंभव है ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है अगर कोई पाप है तो वह यही पाप है कि ये कहना की तुम निर्बल हो

(३) हम अभी वह हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं

(४) जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते

(५) किसी दिन जब आपके सामने कोई समस्या ना आए तो आप सुनिश्चित हो जाइए कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं

(६) तुम्हें अंदर से बाहर की तरफ विकसित होना है कोई तुम्हें पढ़ा नहीं सकता कोई तुम्हें अध्यात्म नहीं बना सकता तुम्हारी आत्मा के अलावा कोई और तुम्हारा गुरु नहीं है

(७) जो तुम सोचोगे वह तुम हो जाओगे,यदि तुम खुद को कमजोर सोचोगे तो तुम कमजोर हो जाओगे,अगर तुम खुद को ताकतवर सोचोगे तो तुम ताकतवर हो जाओगे.

(८) किसी चीज से बिल्कुल मत डरो,तुम अद्भुत काम करोगे,यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है

(९) एक विचार लो उस विचार को अपना जीवन बना लो,उस विचार के बारे में सोचो और उसके सपने देखो उस विचार को जिओ,अपने मस्तिष्क मांसपेशियों नसों शरीर के हर हिस्से को उस विचार में दूब जाने दो और बाकी सभी विचारो को किनारे रख दो यही सफल होने का तरीका है.

(१०) सच्ची सफलता और आनंद का सबसे बड़ा रहस्य यही है कि पुरुष या स्त्री जो बदले में कुछ नहीं मांगता,पूर्ण रुप से निस्वार्थ व्यक्ति सबसे सफल है.

(११) दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो

(१२) एक समय में एक ही काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ

(१३) खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप होता है

(१४) हम जो बोलते हैं वह कहते हैं,हम स्वयं अपने भाग्य विधाता हैं

(१५) उठो मेरे शेरों और इस सोच को मिटा दो कि तुम निर्बल हो,मेरे शेरों तुम एक अमर आत्मा हो सिर्फ सजीव हो,सनातन हो,तुम तत्व नहीं हो ना ही शरीर हो तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हूं.

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