सुमित्रानंदन पंत पर निबंध व् जीवनी sumitranandan pant biography, essay in hindi

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सुमित्रानंदन पंत जी हमारे भारत के महान छायावादी कवि थे । सुमित्रानंदन पंत जी ने कई ऐसी कविताओं को लिखा है जिन कविताओं को पढ़कर हम सभी ज्ञान प्राप्त करते हैं । सुमित्रानंदन पंत जी एक महान कवि थे । आज हम आपको उनका जीवन परिचय और उनकी कहानी बताने वाले हैं ।

सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म – सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा के कैसोनि गांव में सन 20 मई 1900 में हुआ था । जन्म के बाद उनका नाम गुसाई दत्त रखा था । उनके जन्म के तुरंत बाद ही उनकी मां की मृत्यु हो गई थी । उनकी मां की मृत्यु के बाद उनका लालन पोषण उनकी दादी के द्वारा किया गया था । जब वह बड़े होने लगे और पढ़ाई करने लगे तब उन्हें अपना नाम गुसाई दत्त पसंद नहीं आता था इसलिए उन्होंने अपना नाम सुमित्रानंदन पंत रखा और आज हम सभी उनको सुमित्रानंदन पंत के नाम से जानते हैं ।

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जीवन परिचय- सुमित्रानंदन पंत जी बचपन से ही पढ़ने , लिखने के शौकीन थे । वह छोटी उम्र से ही कविताएं पढ़ना और अपनी कविताएं लिखना पसंद करते थे । सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई अल्मोड़ा से ही की थी । सुमित्रानंदन पंत जी बचपन से ही कविता लिखने के शौकीन थे और 1907 से उन्होंने अपनी कविताएं लिखना प्रारंभ कर दिया था। इसके बाद वे 1918 में अपने भाई के साथ काशी चले गए और काशी में उन्होंने क्वींस कॉलेज में एडमिशन ले लिया और क्वींस कॉलेज से उन्होंने मैट्रिक पास की । मैट्रिक पास करने के बाद वह इलाहाबाद में रहने के लिए चले गए और वहां पर उन्होंने इलाहाबाद के कॉलेज में एडमिशन लेकर इंटर की पढ़ाई पूरी की । इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कविताएं , कहानी , जीवनी लिखने लगे । सन 1919 में महात्मा गांधी जी के द्वारा किया गया सत्याग्रह में भाग लेने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई त्याग दी और वह सत्याग्रह में अपना योगदान देने लगे। वह अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को सही रास्ते पर लाने की कोशिश करते थे । उनके द्वारा कई ऐसी कविताएं भी लिखी गई हैं जिन कविताओं में मनुष्य के जीवन को दिखाया गया है । सुमित्रानंदन पंत जी के द्वारा कई पुस्तकें भी लिखी गई हैं जैसे कि पल्लव ,काला तारा पर बूढ़ा चांद।

सुमित्रानंदन पंत जी की प्रमुख रचनाएं – अमृत, अनुभूति , अप्सरा , अग्नि , अमर स्पर्श , अमृत क्षण, अवरोहण, अहिंसा, अज्ञात स्पर्श, अंत लोक, आकांक्षा, आज रहने दो यह ग्रह काज, आगमन, आज शिशु के कवि को अंजाम, आजाद, आत्मबोध, आते कैसे सूने पल, आधुनिका, आत्मानुभूति, आवाहन, आंसू, आंसू की आंखों से मिल, इंद्रिय प्रमाण, इंद्र, कठपुतले, यह मिट्टी के ढेले अंजान, कृष्ण धन, करुणा, कर्म कामन, कवि किसान, क्रोटन की टहनी, कला, काव्य चेतना, कीर्ति, पशुओं के जीवन का पल, काले बादल, कौवे की प्रतीक खिड़की से, जीवन का पल, कुंठित , कोपले, खो गई स्वर्ग की स्वर्ण, किरण खोज, गणपति उत्सव, गंगा का प्रभात, गंगा आदि।

पुरस्कार – सुमित्रानंदन पंत जी ने सन 1958 में एक कविता काला और बूढ़ा चांद लिखी थी वह कविता इतनी प्यारी और अच्छी थी जिसके कारण सुमित्रानंदन पंत जी को सन 1960 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया, इसके बाद उनको 1961 में पदम भूषण से भी सम्मानित किया गया है । 1968 में पंत जी ने चिदंबरा नामक कविता लिखी थी जिसके लिए उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था इसके बाद उनको नेहरू शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है ।

मृत्यु – सुमित्रानंदन पंत जी का देहांत 28 दिसंबर 1977 को इलाहाबाद में हुआ था । उनके देहांत के बाद आज हम सभी को उनकी कमी महसूस होती है। जब हम उनके द्वारा लिखी गई कविताएं , निबंध और जीवनी पढ़ते हैं तो हमें उनकी बहुत याद आती है । हम अपने आपको बहुत ही भाग्यशाली समझते हैं कि हमारे देश में ऐसे महान कवि ने जन्म लिया जिसने अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को सही रास्ते पर लाने की कोशिश की है । उनकी कविताएं और कहानियों में अधिकतर लोगों के जीवन को दर्शाया गया था ।

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