सुदामा पांडेय धूमिल का जीवन परिचय Sudama pandey dhoomil biography in hindi
Sudama pandey dhoomil biography in hindi
Sudama pandey – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भारत देश के हिंदी कविता के संघर्ष कवि सुदामा पांडे धूमिल के जीवन परिचय के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर सुदामा पांडे धूमिल के जीवन परिचय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।

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सुदामा पांडे धूमिल के जन्म स्थान व् परिवार के बारे में – सुदामा पांडे धूमिल भारत के एक बेहतरीन जाने-माने हिंदी कविता के संघर्ष वादी कवि थे । सुदामा पांडे धूमिल का जन्म भारत देश के वाराणसी के निकट खेवली गांव में हुआ था । इनके पिता का नाम शिव नायक पांडे था जो एक मुनीम के रूप में कार्य करते थे । इनकी माता जी का नाम रजवंती देवी था जो एक अच्छी ग्रहणीका थी । इनके पिता के बारे में ऐसा कहा जाता है कि इनके पिता अपने बच्चे के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए निरंतर मेहनत करते थे ।
परंतु जब सुदामा पांडे धूमिल की उम्र 11 वर्ष की थी तब उनके पिता शिव नायक पांडे का देहांत हो गया था । इसके बाद सुदामा पांडे धूमिल की देखरेख उनकी माता रजवंती देवी के द्वारा की गई थी । इसके बाद इनकी माता रजवंती देवी ने सुदामा पांडे धूमिल का विवाह करने का फैसला किया था । जब इनकी उम्र 12 वर्ष की थी तब इनकी माता रजवंती देवी ने इनका विवाह मूरत देवी से करवा दिया था । इसके बाद सुदामा पांडे धूमिल और मूरत देवी की एक संतान हुई थी जिसका नाम रत्न शंकर है जो एक संपादन के रूप में कार्य करते हैं ।
सुदामा पांडे धूमिल की शिक्षा के बारे में – सुदामा पांडे धूमिल को अपने शुरुआती जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था क्योंकि उनके पिता का देहांत हो गया था । सुदामा पांडे धूमिल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव के ही स्कूल से प्राप्त की थी । जहां से उन्होंने मैट्रिक पास की थी । जब सुदामा पांडे धूमिल के द्वारा मैट्रिक की परीक्षा पास की गई थी तब उनके गांव में सिर्फ वे ही थे जिनके द्वारा मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की गई थी । गरीबी के अभाव में उन्होंने अपनी शिक्षा को बीच में ही छोड़ दिया था ।
परंतु कुछ समय बाद उन्होंने अपनी शिक्षा को पुनः प्रारंभ करने का फैसला किया था जिसके लिए उन्होंने 1957 में काशी विश्वविद्यालय के औद्योगिक संस्थान में प्रवेश लेने का फैसला किया था और उन्होंने काशी विश्वविद्यालय के उद्योग संस्थान में अपना प्रवेश ले लिया था । यहीं से वह अपनी आगे की शिक्षा प्राप्त करने लगे थे । जिसके बाद 1958 में उन्होंने प्रथम श्रेणी से इसी संस्थान से विद्युत का डिप्लोमा प्राप्त किया था ।
सुदामा पांडे धूमिल के कैरियर के बारे में – सुदामा पांडे धूमिल की आर्थिक स्थिति ठीक ना होने के कारण मैट्रिक पास करने के बाद उनको रोजगार की तलाश के लिए कोलकाता जाना पड़ा था । जहां पर उन्होंने कई काम की तलाश की परंतु उनको काम आसानी से नहीं मिला था ।भटकते भटकते जब उनको कोलकाता में लोहा ढोने का काम मिला तब वह उस काम को करने लगे थे । वहीं पर उन्होंने मजदूरों की जिंदगी के बारे में करीब से जाना था ।
जब उनके मित्र को यह पता चला कि वह लोहा ढोने का कार्य कर रहे हैं तब उनके मित्र तारक नाथ पांडे ने उनको एक लकड़ी कंपनी में काम दिला दिया था । जिस कंपनी में वह एक अधिकारी के तौर पर कार्य करने लगे थे । इस कंपनी में सुदामा पांडे धूमिल तकरीबन डेढ़ साल तक कार्य करते रहे थे । परंतु जब उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा तब वह अपने गांव वापस चले गए थे । जिसके बाद कंपनी के मालिक ने उनको मोतिहारी से गोहाटी चले जाने के लिए कहा परंतु स्वास्थ्य का हवाला देकर सुदामा पांडे धूमिल ने मना कर दिया था ।
जिसके बाद कंपनी के मालिक और सुदामा पांडे धूमिल के बीच में विवाद हो गया था और सुदामा पांडे धूमिल ने यह नौकरी छोड़ दी थी । जब सुदामा पांडे धूमिल के द्वारा विद्युत का डिप्लोमा प्राप्त कर लिया गया था तब वह विद्युत अनुदेशक के पद पर नियुक्त हो गए थे । इस पद पर नियुक्त होने के बाद वह बनारस , बलिया , सहारनपुर जैसे शहरों में कार्यरत रहे ।परंतु वहां पर भी उनके ऊपर के अधिकारियों के साथ उनकी बिल्कुल भी नहीं बन पा रही थी जिसके कारण उनको मानसिक तनाव होने लगा था ।
अक्टूबर 1974 को अचानक से उनके सिर में दर्द होने लगा जिसके बाद वह काशी विश्वविद्यालय के मेडिकल कॉलेज में भर्ती हो गए थे । जब उनकी जांच रिपोर्ट आई तब वहां पर डॉक्टरों ने उनको ब्रेन ट्यूमर बता दिया था । जिसके बाद वह नवंबर 1974 को लखनऊ के एक मेडिकल कॉलेज में भर्ती हो गए थे और उस कॉलेज का नाम किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज था । जहां पर उनके मस्तिष्क का ऑपरेशन हुआ था । जब उनके मस्तिष्क का ऑपरेशन हुआ तो वह कोमा में चले गए थे और कोमा में चले जाने के बाद 20 फरवरी 1975 को उनका देहांत हो गया था ।
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