रानी लक्ष्मी बाई पर भाषण speech on rani lakshmi bai in hindi
speech on rani lakshmi bai in hindi
दोस्तों कई बार हमें किसी महान महिला या पुरुष या किसी महापुरुष के बारे में भाषण देने को कहा जाता है आप झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पर हमारे द्वारा लिखित इस भाषण से अच्छी तैयारी कर सकते हैं चलिए पढ़ते हैं आज के हमारे इस आर्टिकल को।
speech on rani lakshmi bai in hindi
मेरे प्रिय साथियों नमस्कार मैं कमलेश कुशवाह आप सभी का दिल से स्वागत करता हूं सबसे पहले मैं अपने गुरुजनों को नमन करता हूं जिनकी बदौलत आज में जिस मुकाम पर भी हूं इतना काबिल हूं कि जीवन में आगे बढ़ता जा रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज मुझे आप सभी ने एक वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बारे में कुछ कहने का मौका दिया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वास्तव में एक ऐसी निडर, साहसी देशभक्त थी जिन्होंने अपने गुणों के जरिए हम सभी के दिलों में जगह बनाई हैं।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई नाम ही हर किसी महिला के मन में जोश जुनून पैदा कर सकता है उनको एक प्रेरणा दे सकता है। एक महिला होकर इतनी पराक्रमी निडर और साहसी होना वास्तव में बहुत बड़ी बात है। रानी लक्ष्मी बाई जिनका जन्म 1835 में हुआ था बचपन में उनका नाम मनु था उन्हें सभी प्यार से मनु कहते थे। वह बचपन से ही घुड़सवारी एवं तलवार चलाने में पारंगत थी कुछ ही समय बाद झांसी के राजा से उनका विवाह कर दिया गया विवाह के पश्चात उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया लेकिन किसी कारणवश उनके पुत्र की मृत्यु हो गई।
पुत्र की मृत्यु के बाद झांसी के राजा इतने दुखी हुए की कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई अब झांसी में अकेली हो गईं। झांसी की रानी ने एक पुत्र को गोद ले लिया जिससे वह उनके वंश को आगे बढ़ाएं और झांसी पर राज्य करें लेकिन अंग्रेजों को यह बात पसंद नहीं आई उन्होंने इस बात को मानने से इंकार कर दिया और झांसी पर कब्जा करने का विचार किया .
कुछ ही समय बाद अंग्रेजो और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के बीच युद्ध हुआ इस युद्ध में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जी के साथ में अन्य राजा जैसे कि नानासाहेब, तात्या तोपे आदि थे इन सभी ने मिलकर अंग्रेजों का डटकर सामना किया लेकिन काफी कोशिश के बाद भी अंग्रेज झांसी पर अपना कब्जा नहीं कर पाए। कुछ समय बाद जब 1857 में युद्ध हुआ तब रानी लक्ष्मी बाई एवं अन्य राजाओं ने अंग्रेजों का डटकर सामना किया उन्हें देश से निकालकर भगाने की काफी कोशिश की लेकिन अंत में झांसी पर अंग्रेजों का सम्राज्य हो गया।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर पर फिर से कब्जा कर लिया था लेकिन किसी देशद्रोही की वजह से उन्हें ग्वालियर छोड़ना पड़ा कुछ समय बाद फिर से युद्ध हुआ इस युद्ध में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अपने घोड़े पर सवार होकर अपनी तलवार के साथ काफी युद्ध किया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई महान थी, वीर थी वह कभी भी अंग्रेजों के सामने नहीं झुकीं उन्होंने अंग्रेजों का डटकर सामना किया लेकिन अंत में वह वीरगति को प्राप्त हो गई।
वास्तव में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई महान थी उनके इस जोश जुनून और हिम्मत को देखकर देश के युवा भी भारत देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए आगे आए और फिर देश में क्रांति की लहर आ गई और कुछ ही समय बाद हमारा भारत देश अंग्रेजों से पूर्णता आजाद हो गया। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई वास्तव में हर एक महिला एवं पुरुष के लिए उदाहरण है, हर किसी को झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की तरह साहसी एवं निडर होना चाहिए जब तक यह दुनिया रहेगी तब तक इस महान नायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को याद करती रहेगी।
हम सभी को भी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है हम सभी को देश प्रेम की भावना के लिए हर किसी दुश्मन का सामना करना चाहिए, किसी से भी नहीं डरना चाहिए, देश प्रेम को सबसे बढ़कर समझना चाहिए, अगर देश में कोई समस्या हो तो मिलकर समस्या का सामना करना चाहिए इसी आशा और विश्वास के साथ कि हम सभी इस महान नायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की तरह कदम से कदम मिलाकर चलेंगे। आप सभी को मेरा धन्यवाद। इन दो लाइनों के साथ मैं अपने शब्दों को समाप्त करता हूं बुंदेलो हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
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