सिंदबाद जहाजी की दूसरी यात्रा Sindbad jahazi ki dusri yatra
Sindbad jahazi ki dusri yatra
में होसले हो तोह कुछ भी किया जा सकता है,सिंदबाद गरीबो की मदद करता था और बुरे लोगो को सबक सिखाता था,वोह अल्ला का एक नेक बाँदा था और बहुत ही अच्छा इन्सान था,सिंदबाद एक जहाजी था वोह अक्सर जहाज में सफ़र किया करता था,उसने जहाज में सफ़र करके पूरी दुनिया देख ली थी.आज हम आपको सिंदबाद के दूसरे सफ़र की जानकारी देने वाले है.
मेने आपको अपनी पिछली पोस्ट में सिंदबाद के पहले सफ़र के बारे में बताया जो आप यहाँ पर क्लिक करके पढ सकते है
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अब अगले सफ़र के बारे में जानते है,अगले दिन हिंद्बाद सिंदबाद के पास आया और सिंदबाद हिंद्बाद को अपने दुसरे सफ़र की कहानी सुनाने लगा.
जब मेरे पास रूपये कम हो गए तोह मेंने यात्रा करने का सोचा और अपने साथियों के साथ चल पड़ा.सोचा की कुछ पूँजी इकठ्ठा कर ली जाए.अब में अपने साथियों के साथ जहाज पर सवार हो गया,जहाज चलता गया और फिर जहाज एक द्वीप के पास रुका,ये एक ऐसा द्वीप था,जहा पर इन्सान का तोह नामो निशान भी नहीं था,मेरे साथी पेड़ो से मेवा तोड़कर खाने लगे लेकिन मेंने सोचा क्यों ना इस द्वीप की सेर की जाए.
में अकेले ही उस द्वीप की और आगे बढने लगा,में एक झरने के पास आ गया,में खाना पीना खाने के बाद वही पर सो गया,जब नींद खुली तोह पाया की मेरे साथी मुझसे दूर जा चुके है,में बुरी तरह घवरा चूका था क्योकि उस द्वीप पर कोई भी नहीं था,अगर में हिम्मत से काम ना लेता तोह जरुर ही मारा जाता.
फिर मे आगे की और पेदल ही चलने लगा,मेंने देखा की एक गोल सफ़ेद रंग की कोई चीज थी,मेउसे गोर से देखने लगा.लेकिन उसमे अन्दर जाने का कोई रास्ता नहीं था,में वही पर बेठ गया तभी मेंने देखा की आसमान से एक विशालकाय पक्षी आ रहा है,उसे देखकर में काफी डर गया,थोड़ी देर बाद मुझे अहसास हुआ की ये एक शरभ पक्षी है.और जो गोलाकार सफ़ेद चीज है वोह इस पक्षी का अंडा है.मेंने सोचा की अब यहाँ से कैसे निकला जाए तोह मेंने अपनी टोपी उस विशालकाय पक्ची के पंजो में फसा दिए.कुछ समय बाद वोह पकची आसमान में उड़ा और काफी ऊचा उड़ा.
मुझे काफी दर लग रहा था,में काफी वह्भीत था,मुझे नीचे पृथ्वी भी नजर नहीं आ रही थी.
तभी सरभ एक स्थान पर रुका जहा पर एक अजगर था,सिंदबाद ने जल्दी से अपनी टोपी को उस पक्ची के पंजो में से निकाला,इतने में वोह पक्ची अजगर को लेकर आसमान में उड़ पड़ा.
लेकिन जिस जगह पर उस पक्ची ने मुझे छोड़ा वोह जगह एक पहाड़ी इलाका था,वोह इतनी नीची गुफा में जा पंहुचा जहा से आदमी का निकलना असंभव था.वहा पर काफी अजगर थे वोह इतने विशालकाय थे की एक हाथी को आसानी से खा सकते है,लेकिन वोह सरभ पक्ची के दर से दिन में कम ही निकलते,जेसे ही शाम हुयी,में एक घुफा में जा छिपा और उस घुफा के दरवाजे को बड़े बड़े पत्थरो से धक दिया.अब सुबह हुयी तोह सिंदबाद बहुत ही डरा हुआ थे,मेंने सोचा की पहले में जिस स्थान पर था वहां से तोह निकल ही जाता लेकिन यहाँ से निकलना असंभव है.
जब सुबह हुयी और सभी अजगर सरभ पक्षी के डर से छुप गए तोह मेंने देखा की उस स्थान पर बहुत सारे हीरे मोती डले है,मेंने कुछ हीरे मोती को बाँध कर रख लिया,अब मेंने देखा की कुछ ही दूर कुछ मास के टुकड़े डले हुए है,तोह मुझे याद आया की ये मास के टुकड़े जरुर ही व्यापारी लोगो ने डाले होंगे क्योकि कुछ समय पहले मुझे एक व्यापारी ने बताया था की घुफाओ में से हीरे लाने की उनकी तरकीब ऐसी ही होती है,वोह मास के टुकड़े फेक देते है और उन मास के टुकडो से हीरे चिपक जाते है,कोई गिद वहां से उन मास के टुकडो को उठा के ले जाता है.और उन मास के टुकडो को गीध अपने घोसले में रख है.वहा के गीद काफी बड़े होते थे.
मेंने अपने शरीर से एक मास का टुकड़ा बाँधा और इन्तजार किया तोह एक गीद आया और मुझे लेके आसमान की और उड़ने लगा और वोह जब अपने घोसले में पंहुचा तोह उसने मुझे घोसले में रख दिया,घोसलों के वहार कुछ लोग थे.गीध उन लोगो को देखकर उस मास के टुकड़े को अपनी घुफा में रखकर उड़ गया.
जब उन लोगो ने उस मास के टुकड़े से बंधा हुआ मुझे देखा तोह वोह मेरे पास आये और भहवीत हुए की ये इन्सान मॉस के टुकडो से कैसे बंधा है.
तोह मेने उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाई और कहा की मुझे अपने साथ रख लो,में उन लोगो के साथ वही रुका,मेने उन्हें कुछ हीरे भी दिये.
इस तरह से मेने उस द्वीप पर अनेक प्रकार के जीव देखे,वहां पर एक जीव था जिसको गेंदा कहते है,गेंदा हाथी के पेट के अन्दर अपना सिंग घुसा देता है,और जब हाथी के पेट में सिंग घुसता है तोह उसके पेट से खून निकलने लगता है,और वोह खून जब गेंदे की आँखों में पड़ता है तोह वोह अंधा हो जाता है,और इस अवस्था में उन दोनों को शरव पक्षी आसमान में लेकर उड़ जाता है,और इस तरह से शरव पक्षी के कई दिनों के खाने का प्रवंध हो जाता है,
इस तरह से मेने उस द्वीप पर कई तरह के पक्षी और कई तरह के करिश्मे देखे,मेने उन द्वीपों में घोड़ो को गाये के बछ्ले के बराबर देखा,और कौवे को ऊंट के बराबर देखा,और वहा की बिल्लियों को शेर के बराबर देखा.
इस तरह से मेने वहां पर कई जानवरों को देखा जिनका आकर अलग था,फिर अंत में में अपने माल का क्रय विक्रय करके अपने नगर को लोट आया और अपने घरवालो से मिला,घरवाले मुझे देखकर खुश हुए और फिर मेने सोचा की इस दूसरी यात्रा में मेने इतनी भयंकर परेशानी झेली है,अब में कभी भी यात्रा करने के लिए नहीं जाऊंगा.
ये कहकर सिंदबाद ने अपनी दूसरी यात्रा का व्रतांत पूरा किया और हिंद्बाद को कुछ मुद्राए दी,और अगले दिन अगली यात्रा सुनाने का वादा किया.
इस तरह से सिंदबाद ने अपनी हिम्मत से बहुत सारा पैसा कमाया.
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