सिक्के की आत्मकथा sikke ki atmakatha in hindi
Sikke ki atmakatha in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं सिक्के की आत्मकथा पर हमारे द्वारा लिखित एक काल्पनिक आर्टिकल आप इसे जरूर पढ़ें तो चलिए पढ़ते हैं आज के इस आर्टिकल को।
मैं एक सिक्का हू जिससे आप कुछ भी खरीद सकते हैं बच्चे भी मुझे देख कर मुस्कुरा जाते हैं क्योंकि उन्हें भी पता होता है कि इस सिक्के के बदले हम अपने पसंद के खिलौने ले सकते हैं। मैं अपने जीवन में काफी खुश हूं क्योंकि मुझे देख कर बहुत सारे लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हैं. मैं स्टील का बना हूं मेरा आकार गोलाकार है मैं सबसे पहले रिजर्व बैंक में भेजा गया और वहां से दूसरे बैंकों के जरिए में काफी लोगों के पास से गुजरता हुआ आज एक सेठ के घर रहता हूं।
बैंक से एक व्यक्ति मुझे लेकर गया उसने मेरे जैसे ही और सिक्कों को भी साथ में लिया हुआ था उसने सिक्के को एक बच्चे को दे दिया उस बच्चे ने मुझे अपनी छोटी सी गुल्लक में डाल दिया अब मैं अंदर उस छोटी सी गुल्लक में अंधेरे से घिरा रहता तो मुझे काफी दुख होता. कुछ महीनों के बाद जब उस गुल्लक में मेरे जैसे कई सारे सिक्के हो गए तो उस बच्चे ने उस गुल्लक को फोड़ दिया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा.
मैं अब आजाद हो चुका था वह बच्चा मुझे लेकर एक दुकानदार के पास गया उसने मेरे बदले में दुकानदार से कुछ खरीदा अब मैं उस दुकानदार के पास ही रहता. एक दिन उस दुकानदार के पास एक भिखारी आया उस दुकानदार ने मुझ सिक्के को उस भिखारी के पास भेज दिया। भिखारी मेरा बहुत ही अच्छी तरह से ख्याल रखता क्योंकि उसके पास कुछ गिने चुने सिक्के थे वह मेरे जैसे सिक्कों के जरिए ही अपना गुजर बसर करता था वह रोजाना एक सिक्का खर्च करता था.
एक दिन उसने मुझे भी एक सेठ को दे दिया और आज मैं यहां पर पहुंचा वास्तव में मेरे जीवन का सफर काफी लंबा था इस 5 साल के अभी तक के सफर में मैं बहुत खुश हूं कि मुझे कई सारे लोगों से मिलने का मौका मिला।
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