रेल यात्रा पर निबंध short essay on rail yatra in hindi
Short essay on rail yatra in hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सब, आज हम आपके लिए लाए हैं रेल यात्रा पर हमारे द्वारा लिखित यह आर्तिकल आप इसे पढ़ें
रेल में यात्रा करना वास्तव में काफी अच्छा लगता है बहुत सारे लोगों को रेल में यात्रा करना काफी पसंद होता है मुझे भी रेल में यात्रा करना काफी पसंद है। मैंने जब पहली बार रेल में यात्रा की थी तो मुझे काफी खुशी का अनुभव हुआ मैंने जब पहली बार रेल में यात्रा की थी तब मेरी उम्र लगभग 8 साल थी। मुझसे पहले मेरी बहन मम्मी पापा के साथ रेल की यात्रा करके आई थी। मेरी बहन ने जब मुझे अपनी रेल यात्रा के बारे में बताया तो मुझे बहुत ही खुशी हुई।
मैं भी रेल से यात्रा करना चाहता था। एक दिन हमारे परिवार वालों ने रेल के द्वारा उज्जैन नगरी घूमने का निर्णय लिया फिर एक दिन निश्चय किया गया उज्जैन जाने का तब हमें सुबह ही ट्रेन से निकलना था इसीलिए हम सभी ने सुबह से पहले ही सब सामान रख लिए। सामान रखने के बाद सुबह 5:30 पर हम अपने घर से निकल पड़े अब हम रेलवे स्टेशन पर थे हम अंदर गए और रेल का इंतजार करने लगे। लगभग 10 मिनट में ही हमारी ट्रेन आ चुकी थी मैं जब पहली बार रेल में बैठा तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा। सुबह सुबह काफी ठंड थी लेकिन फिर भी रेल में सफर करना मुझे काफी अच्छा लग रहा था।
रेल में जब मैं बैठा हुआ था तो मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो मैं अपने घर पर ही बैठा हूं। बस में अक्सर हम जब बैठते हैं तो कई बार हम हिल जाते हैं और हमें कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है लेकिन हमारे इस ट्रेन के सफर में ऐसा कुछ भी नहीं था। ट्रेन की कई सारी खिड़कियां बंद थी कहीं से भी हवा नहीं आ रही थी। मुझे ट्रेन के अंदर बहुत ही अच्छा लग रहा था। ट्रेन में पंखे भी लगे हुए थे जो गर्मी के दिनों में यात्रियों को हवा लेने के लिए होते हैं, बैठने की भी ट्रेन में अच्छी सुविधाएं होती हैं जब हमारी ट्रेन एक स्टेशन पर रुकी तो वहां पर चाय समोसे बेचने वाले थे वह ट्रेन के अंदर आए तव हमने चाय पी और नाश्ता भी किया।
मुझे ट्रेन में सफर करना बहुत ही अच्छा लग रहा था फिर कुछ समय बाद ही हमारी ट्रेन वहां से चल पड़ी हम सभी एक दूसरे के सामने बैठे हुए थे और ट्रेन में ट्रेन के बारे में मैं अपने मम्मी पापा से कई बातें कर रहा था मुझे ट्रेन में बैठना बहुत ही अच्छा लग रहा था। जब ट्रेन रूकती थी तो मैं सोचता था कि ये तेजी से चलने लगे। ट्रेन धीरे-धीरे चलते हुए एकदम से रफ्तार पकड़ लेती थी वास्तव में यह पल मुझे काफी खुशी दे रहा था। मैं ट्रेन में से कई हरी-भरी फसलें देख रहा था कई खेत खदान भी मुझे चारों ओर दिख रहे थे। ट्रेन उस स्थान के बीच में से निकलती हुई जा रही थी।
मैंने थोड़ा सा जब नीचे की ओर देखने की कोशिश की तब मुझे डर भी लगा कुछ ही समय बाद हमारी ट्रेन उज्जैन के स्टेशन पर जा पहुंची। मुझे ट्रेन में बैठना बहुत ही अच्छा लग रहा था इसलिए जैसे ही मैं उज्जैन के स्टेशन पर पहुंचा तो थोड़ा अच्छा नहीं लगा लेकिन मैंने सोचा कि उज्जैन की यात्रा करने के बाद वापस ट्रैन में ही बैठेंगे, यह सोचकर मुझे काफी खुशी हुई और हम रेलवे स्टेशन से होते हुए उज्जैन नगरी की यात्रा करने चले गए। मेरी यह पहली रेल की यात्रा बहुत ही अच्छी रही। शाम को उज्जैन की यात्रा करने के बाद हम वापस अपने शहर आ गए। हम रेल के द्वारा ही वापस शहर में आए रास्ते में मुझे बहुत ही खुशी हुई। ट्रेन में बैठना मुझे काफी अच्छा लगा।
- रेल दुर्घटना पर निबंध Train accident essay in hindi
- रेलवे स्टेशन का दृश्य पर निबंध Essay on railway station in hindi
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Very nice