शिक्षा का बदलता स्वरूप निबंध Shiksha ka badalta swaroop in hindi
Shiksha ka badalta swaroop in hindi
दोस्तों आज हम देख रहे है की दुनिया किस तरह से बदल रही है। आपने सुना ही होगा की पुराने जमाने में जब गुरु अपने शिष्य को पढ़ाते थे, तब गुरु अपना पूरा ज्ञान शिष्य को दे देते थे।
पुराने जमाने में गुरु और शिष्य के बीच का संबंध गहरा होता था । आपने देखा होगा कि गुरु और शिष्य एक दूसरे की कितनी इज्जत करते थे। उनका मान सम्मान रखते थे। गुरु के द्वारा जो शिष्य को कहा जाता था ,वह पत्थर की लकीर होती थी ।
लेकिन आज की बात करें हम तो, आजकल के ज्यादातर बच्चों का ध्यान पढ़ाई की ओर या ज्ञान की ओर केंद्रित नहीं है। आजकल ज्ञान को दौलत से आंका जाता है हम देखते हैं कि पहले जब गुरु अपने शिष्य को ज्ञान देते थे ,तब उस ज्ञान का कोई मोल नहीं लगाता था लेकिन आज के इस युग में ज्ञान को दौलत से मापने लगे हैं, जो ज्ञान सिर्फ पैसों से दिया जाता है वह ज्ञान सफलता की ओर नहीं बढ़ाता बल्कि उसमें पैसों की चमक होती है ।
पहले जब टीचर अपने स्टूडेंट को पढ़ाता था, तो वह पूरा ध्यान अपने शिष्य की ओर केंद्रित करता था। उसको पूर्ण रूप से तैयार करता था और जब उसकी परीक्षा का समय आता था ,तो बह उसको पूरा ज्ञान दे देता था जिससे कि वह उस परीक्षा में पूर्ण रूप से सफलता प्राप्त कर सकें लेकिन आज हम बात करें की ज्ञान की कोई कीमत नहीं है तो यह बात गलत है आज हम किसी से ज्ञान लेने के लिए जाते हैं तो कुछ शिक्षक उस ज्ञान की कीमत हमको बता देते है इसलिए हम कहते हैं की इस बदलते जमाने में ज्ञान की भी कीमत होने लगी है।
पहले जो पढ़ाई होती थी बह पढ़ाई गुरु अपने शिष्य को कहीं पर भी बैठकर या नीम के पेड़ के नीचे या पीपल के पेड़ के नीचे ठंडी छांव मैं बैठकर ज्ञान देते थे लेकिन बदलते इस प्रकृति में आज ज्ञान की कुछ झलकियां मैं आपको बताता हूं, अगर मैं टीचर बनना चाहता हूं तो मुझे पढ़ाई में कम से कम लाखो रुपए लगाने होंगे लेकिन इसके बाद भी यह पक्का नहीं है कि मुझे शिक्षक बनने का मौका मिलेगा या नहीं।
पुराने समय में जो ज्ञान दिया जाता था ।उसके बदले शिष्य अपने गुरु को कुछ भी देने के लिए तैयार हो जाता था और ज्ञान के बदले गुरु जो भी अपने शिष्य से मांगते थे बह उनको दे देते थे लेकिन आजकल की जो पढ़ाई है पैसों के बल पर निर्भर करती है। जैसे कि दोस्तों मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहता हूं तो मुझे इंजीनियरिंग कॉलेज में ऐडमिशन लेना होगा, जिसकी फीस लाखों में होगी तो मैं आपसे पूछना चाहता हूं अगर मेरे पास लाखों रुपए नहीं है तो क्या मैं इंजीनियर बन सकता हूं? ज्यादातर नहीं , पहले जो पढ़ाई होती थी वह अलग थी छात्रो को काबिलियत के दम पर नौकरी मिलती थी ।
आज अगर किसी को ज्ञान भी हो जाए तब भी जरूरी नहीं की उसको नौकरी मिले क्योंकि पढ़ाई के साथ – साथ उसके पास जान पहचान या पैसा नहीं होता जिससे कि गरीब पढ़ाई मैं पीछे रह जाता है और उसको ज्ञान भी नहीं मिल पाता है. हमको यहां पर बदलाव लाने की जरूरत है बदलती दुनिया मैं ज्ञान का प्रचार प्रसार करना होगा। ज्ञान का कोई भी मोल नहीं होता ज्ञान तो अनमोल होता है।
आजकल के जो गुरु शिक्षा देते हैं उनको खुद पता नहीं होता है कि हमारा शिष्य उस शिक्षा को ग्रहण कर रहा है या नहीं उनको तो सिर्फ अपने पैसों की पड़ी होती है उनको यह मतलब नहीं होता है कि हमारा शिष्य ज्ञान प्राप्त कर रहा है या नहीं जिससे शिक्षा का स्तर नीचे गिर रहा है और पैसों का स्थान ऊपर उठता जा रहा है. शिक्षा के इस बदलते स्वरूप को हमें रोकना होगा, शिक्षा कों हमें नए नए आयाम देने होंगे जिससे कि शिक्षा का स्तर ऊपर उठ सके.
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Bahut sach bat ki he