शहीदी जोड़ मेला फतेहगढ़ साहिब Shaheedi jor mela fatehgarh sahib essay in hindi

Shaheedi jor mela fatehgarh sahib essay in hindi

Shaheedi jor mela fatehgarh sahib – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से शहीदी जोड़ मेला फतेहगढ़ साहिब पर लिखे निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और सिख समुदाय का सबसे सुंदर मेला शहीदी जोड़ मेला फतेहगढ़ साहिब के बारे में जानते हैं ।

Shaheedi jor mela fatehgarh sahib essay in hindi
Shaheedi jor mela fatehgarh sahib essay in hindi

Image source – https://m.hindustantimes.com/punjab/shaheedi-jor-mela-gets

शहीदी जोड़ मेला फतेहगढ़ साहिब के बारे में – हमारे भारत देश में सिख समुदाय के लोग काफी संख्या में रहते हैं । सिख समुदाय के लोगों की आस्था सिख समुदाय के गुरु गोविंद सिंह से जुड़ी हुई है । शहीदी जोड़ मेला सिख धर्म के इतिहास का सबसे सुंदर मेला है । जिस मिली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और गुरुद्वारे में जाकर आनंद प्राप्त करते हैं । शहीदी जोड़ मेला भारत देश के पंजाब राज्य के फतेहगढ़ साहिब में बड़े ही धूमधाम से  लगता है ।

शहीदी जोड़ मेला फतेहगढ़ साहिब मे सभी लोग यानी सिख धर्म के साथ-साथ और भी कई धर्म के लोग वहां पर आकर गुरुद्वारे में माथा टेकते हैं । गुरु गोविंद  जी ने एवं उनके परिवार ने सिख धर्म के लिए काफी कुर्बानियां दी हैं । एक बार  गुरु गोविंद सिंह के छोटे बेटे जिनके नाम साहिब जादे जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह दोनों को सरहिंद के गवर्नर के पद पर विराजमान वजीर खान ने चालाकी से  बंदी बना लिया था ।

जिसके बाद उनको तहखाने में डाल दिया गया था क्योंकि वजीर खान यह चाहता था कि  सिख समुदाय के सभी लोग  इस्लाम कबूल कर ले । जब गोविंद सिंह के छोटे बेटों को तहखाने में डाल दिया था और तहखाने मेे डालने के बाद  उनसे इस्लाम कबूल करने के लिए कहा गया तब उन्होंने वजीर खान की बात को मानने से इनकार कर दिया था । जब साहिबजादा जोरावर सिंह एवं फतेह सिंह ने वजीर खान के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था , इंकार कर दिया था तब 26 दिसंबर 1705 को वजीर खान के कहने पर गोविंद सिंह के दोनों छोटे बेटों को जिंदा दीवार में चुनवा दिया था ।

गोविंद सिंह के बेटों की इस कुर्बानी को याद करने के लिए शहीदी जोड़ मेला लगाया जाता है । जिस मेले में सिख समुदाय के लोग आकर उनकी शहादत को नमन करते हैं । शहीदी जोड़ मेला में जो भी लोग आते हैं उन सभी लोगों को सिख समुदाय के द्वारा लंगर के माध्यम से खाना खिलाया जाता है । शहीदी जोड़ मेला को देखने के लिए भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं और मेले में घूम कर आनंद प्राप्त करते हैं । जिस दीवार में वजीर खान ने साहिबजादा जोरावर सिंह और फतेह सिंह को चुनवाया गया था आज उस जगह पर गुरुद्वारा बना है ।

जहां पर शहीदी जोड़ मेला का आयोजन किया जाता है और सिख समुदाय के सभी लोग वहां पर आकर  सिखों के दसवें गुरु गोविंद जी के छोटे बेटे की शहादत को याद करते हैं । यह मेला तकरीबन 2 दिनों तक चलता है । 26 दिसंबर से लेकर 28 दिसंबर तक इस मेले का आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया जाता है । इस मेले का आयोजन करने से पहले पंजाब राज्य की सरकार के द्वारा कई व्यवस्थाएं रखी जाती हैं और सिख समुदाय के द्वारा दूर दूर से आए लोगों के लिए रुकने की उचित व्यवस्था भी की जाती है ।

शहीदी जोड़ मेला में जो सिख धर्म के लोगों के द्वारा लंगर किया जाता है उस लंगर को खाने से मन की शांति प्राप्त होती है । सिख समुदाय के लोग शहीदी जोड़ मेला में पधारे हुए सभी अतिथियों का स्वागत करते हैं और सिख समुदाय के सभी गुरुओं को सम्मान किया जाता है ।शहीदी जोड़ मेला में लाखों की संख्या में लोग आकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में जब 26 दिसंबर से शहीदी जोड़ मेला प्रारंभ हो जाता है तब कई संगत देश-विदेश से वहां पर आते हैं ।

भारत देश केे पंजाब राज्य के फतेहगढ़ साहिब में इस धार्मिक समारोह की शुरुआत  गुरुद्वारा श्री ज्योति स्वरूप साहिब में  श्री अखंड पाठ से हुई थी । जिस जगह पर गुरुद्वारा बनाया गया है उस जगह पर गुरु गोविंद सिंह के बेटों का अंतिम संस्कार किया गया था । जिसके बाद वहां पर गुरुद्वारे की नींव रखी गई थी । आज उस स्थान को पूरी दुनिया का सबसे कीमती स्थान होने का गर्व भी प्राप्त है । जिस स्थान को देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं ।

जब शहीदी जोड़ मेला का आयोजन किया जाता है तब गुरुद्वारे में सिख समुदायों के द्वारा कीर्तन , भजन , पाठ किए जाते हैं और गुरुद्वारे में सुबह शाम लंगर का आयोजन भी किया जाता है । भारत देश में शहीदी जोड़ मेला पूरे विश्व में अपनी एक पहचान बना चुका है । जो भी व्यक्ति शहीदी जोड़ मेला में आता है वह गुरु गोविंद सिंह के छोटे बेटों की शहादत को देखकर माथा अवश्य टेकता है । शहीदी जोड़ मेला को देखने के लिए हिंदू धर्म , मुस्लिम धर्म के लोग भी वहां पर जाते हैं ।

सभी व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म का हो वह शहीदी जोड़ मेला को देखने के लिए जाता है । वह सिर पर पगड़ी बांधकर गुरुद्वारे के अंदर प्रवेश करके माथा टेक कर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करता है । शहीदी जोड़ मेला मे जो भी युवा घूमने के लिए जाता है वह गुरु गोविंद सिंह के छोटे  बेटो शहादत को देखकर एक साहसी व्यक्ति बनने की भावना प्राप्त करता है । जिस तरह से गुरु गोविंद सिंह के छोटे बच्चों ने सिख धर्म के सम्मान के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे उसी प्रकार से युवा वर्ग पीढ़ी अपने कर्तव्यों को निभाने लगे तो आज पूरे हिंदुस्तान की तस्वीर बदल सकती है ।

सिख समुदाय के कई महान लोगों ने भारत देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए हैं । इसीलिए सिख समुदाय भारत का सबसे समृद्ध साली और शक्तिशाली समुदाय है । जब जब भारत देश पर संकट आया है सिख समुदाय के लोगों ने भारत की रक्षा के लिए अपने प्राण दांव पर लगाए हैं । हमें यदि वाकई में शहीदी जोड़ मेले का आनंद प्राप्त करना है तो हमें पंजाब राज्य के फतेहगढ़ साहिब में दिसंबर महीने की 26 तारीख को जाना चाहिए और शहीदी जोड़ मेले का आनंद प्राप्त करना चाहिए । शहीदी जोड़ मेला भारत के इतिहास का सबसे शहादती मेला है ।

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