सत्यनिष्ठा पर निबंध Satyanishtha essay in hindi

Satyanishtha essay in hindi

सत्य निष्ठा एक ऐसा शब्द है जिस शब्द से मनुष्य अपना जीवन बदल सकता है । सत्य निष्ठा शब्द का प्रयोग सच्चाई के लिए किया जाता है । जो व्यक्ति सत्य के रास्ते पर चलता है वह कभी भी असफलता प्राप्त नहीं करता है । वह सदैव दिन प्रतिदिन सफल व्यक्ति बनता जाता है । वह व्यक्ति जो किसी भी परिस्थिति मैं सच्चाई का साथ ना छोड़े और वह सदैव सत्य के रास्ते पर चलता रहे ऐसा व्यक्ति कभी भी अपने मान सम्मान को नहीं खोता है । उस व्यक्ति की सभी चर्चा करते हैं और उस व्यक्ति को कभी भी किसी तरह की पीड़ा नहीं देते वह सदैव दूसरों के हृदय में वसा रहता है ।

Satyanishtha essay in hindi
Satyanishtha essay in hindi

जो व्यक्ति सत्य के रास्ते पर चलता है उस व्यक्ति का जीवन बड़े सुकून से गुजरता है । सत्य के रास्ते पर चलकर कई ऐसे महान लोगों ने अपना नाम कमाया है। जो आज तक हम लोगों के हृदय में बसे हुए हैं । कुछ लोग धन कमाने के लिए तरह-तरह के झूठ बोलते हैं और धन कमाने के लोभ में वह दूसरों को नुकसान पहुंचा देते हैं । उन लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि धन कभी भी समाप्त हो सकता है । जब हम सत्य के रास्ते पर चलते हैं और हम मान-सम्मान प्राप्त कर लेते हैं तब हमें धन की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि मनुष्य का सबसे बड़ा धन है उसका चरित्र । चरित्र सही रखने के लिए उसको सच्चाई के रास्ते पर चलना होता है । जो व्यक्ति सच्चाई के रास्ते पर चलता है शुरुआत में थोड़ी कठिनाई होती है लेकिन जब वह सफलता प्राप्त कर लेता है तब उसको इतनी खुशी मिलती है की वह अपने आप को सबसे सफल व्यक्ति मानने लगता है ।

सच्चाई के रास्ते बड़े कठिन माने जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे महान लोग हैं जो सभी सच्चाई के रास्ते पर चलते रहे और आज वह दुनिया के इतिहास में अपना नाम लिख कर चले गए , वह इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनका नाम सदैव इतिहास के पन्नों में लिखा जा चुका है । जो व्यक्ति कभी भी झूठ नहीं बोलता है उसको समाज मान सम्मान देता है, उसके अड़ोस पड़ोस के व्यक्ति भी उसको मान सम्मान देते हैं । इसलिए सदैव सच्चाई के साथ खड़ा होना चाहिए । कभी भी हमारे सामने ऐसी परिस्थिति आए जिससे हमें झूठ बोलना पड़े तो हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए । जो व्यक्ति एक बार झूठ बोलता है तो उसे झूठ बोलने की आदत पड़ जाती है और वह व्यक्ति गलत रास्ते पर चलने के लिए मजबूर हो जाता है ।

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विवेकानंद जी सभी विद्यार्थियों से यह कहते थे कि सभी सच्चाई के रास्ते पर चलें और अपने चरित्र को खराब ना करें । हम सभी को क्रोध के साथ कभी नहीं चलना चाहिए जो व्यक्ति क्रोध में होता है वह कभी भी अपना भला नहीं सोच पाता है वह सदैव असफलता के रास्ते पर चलता रहता है । जब उसे ज्ञात होता है कि उसका सबसे बड़ा शत्रु क्रोध है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । इसलिए हम सभी को अपना क्रोध त्यागना चाहिए , कभी भी मोह माया के बंधन में नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि जो व्यक्ति मोह माया के बंधन होता है वह सदैव मोह माया के जाल में फसता जाता है ।

इसलिए हम सभी को सदैव कोशिश करना चाहिए कि हम सदैव सत्य के रास्ते पर चलें कभी भी असत्य के रास्ते को ना चलें । सत्य के रास्ते पर चलने से थोड़ी मुश्किलें जरूर आती है अगर हम उन मुसीबतों का सामना करके आगे बढ़ेंगे तो हम अपनी मंजिल तक जरूर पहुंच जाएंगे । हमें कोशिश करना चाहिए कि हम कभी अपने आप पर घमंड ना करें क्योंकि जो व्यक्ति घमंड करता है वह अपने आप को बर्बाद कर लेता है क्योंकि वह घमंड के माया जाल में फंसकर दूसरों पर भरोसा नहीं करता है और दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए कई सारे गलत काम करने लगता है । वह सिर्फ अपने बारे में ही सोचता है उस व्यक्ति को यह मालूम नहीं होता है कि वह अपनी सफलता को पाने के लिए दूसरों का नुकसान पहुंचा रहा है ।

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