तुकडोजी महाराज जीवन परिचय sant tukdoji maharaj information in hindi

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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं तुकडोजी महाराज के जीवन परिचय को । चलिए अब हम पढ़ेंगे तुकडोजी महाराज के जीवन परिचय को ।

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जन्म स्थान – तुकडोजी महाराज हमारे भारत देश के राष्ट्रीय संत के रूप में जाने जाते हैं । इन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई थी । देश आजाद होने के बाद तुकडोजी महाराज देश के गरीब किसानों एवं गांव के हालातों को सुधारने के लिए आगे आए थे । तुकडोजी महाराज का जन्म 30 अप्रैल 1909 को हुआ था । इनका जन्म महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था । यह हमारे भारत देश के राष्ट्रसंत थे ।

यह बहुत ही सच्चे एवं इमानदार व्यक्ति थे । इनके अंदर मानवता कूट-कूट के भरी हुई थी । इन्होंने मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कार्य किए थे । तुकडोजी महाराज के गुरु आडकोजी महाराज थे । उन्होंने आडकोजी महाराज से शिक्षा प्राप्त करके यह मानव जाति के कल्याण के लिए आगे आए थे । उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र के लिए बहुत काम किया था । वह महाराष्ट्र के किसानों की भलाई के लिए काम किया करते थे ।

तुकडोजी महाराज के द्वारा किए गए कार्य – तुकडोजी महाराज 1941 के आंदोलन में भी शामिल हुए थे । तुकडोजी महाराज भारत छोड़ो आंदोलन में भी शामिल हुए थे । तुकडोजी महाराज ने 1941 में ब्रिटिश शासन का विरोध किया था । ब्रिटिश शासन का विरोध करने के बाद उनको 1942 में ब्रिटिश सरकार के अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया था । गिरफ्तार करने के बाद उनको नागपुर की जेल में बंद कर दिया था ।

वह हमेशा अंग्रेजों के खिलाफ खड़े हुआ करते थे । उन्होंने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी थी । उन्होंने मानव जाति कल्याण के लिए नागपुर से 120 किलोमीटर दूरी पर स्थित मोझरी नामक गांव में गुरुकुंज नामक आश्रम बनवाया था । उस आश्रम में उनके साथ कई शिष्य भी रहते थे जो मानव जाति के कल्याण के लिए कार्य करते थे ।

उनके आश्रम के दीवाल पर एक श्लोक भी लिखा हुआ है इस मंदिर के द्वार सभी के लिए खुले हैं हर धर्म और हर पंथ के लोगों का यहां पर स्वागत है देश विदेश के हर व्यक्ति का स्वागत है । उन्होंने गांव के विकास के लिए एकीकृत ग्रामीण विकास के लिए कई कार्यक्रम किए थे और उनको सफलता भी मिली थी । 1945 में जब बंगाल में अकाल पड़ा था तब उनके द्वारा कई कार्य वहां के लोगों की भलाई के लिए किए गए थे ।

1962 में चीन युद्ध के बाद जो सैनिक घायल हुए थे उनकी सुरक्षा के लिए भी उनके द्वारा कई काम किए गए थे । 1965 में जब पाकिस्तान से युद्ध हुआ था तब तुकडोजी महाराज ने काफी लोगों की सहायता की थी । उन्होंने आचार्य विनोबा भावे के भूदान आंदोलन ने भी भाग लिया था ।

पुरस्कार – संत तुकडोजी महाराज को हमारे भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी के द्वारा राष्ट्रसंत की उपाधि से सम्मानित किया गया था ।

ग्रंथ – सार्था आनंद मृत,सार्थ आत्म प्रभव, ग्रामगीता, गीता प्रसाद आदि

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