संत नामदेव की रचनाएँ व कविता Sant namdev ki rachnaye, poems in hindi

Sant namdev ki rachnaye in hindi

दोस्तों कैसे है आप सभी, आज हम पढने वाले है महान संत एवं कवि संत नामदेव जी की कुछ रचनाये.संत नामदेव जी का जन्म 1270 में महाराष्ट्र में हुआ था इनके पिता का नाम दमशेटी था जो सिलाई का कार्य करते थे. संत नामदेव जी ने अपने जीवन में जो रचनाये एवं कविताएं लिखी है वो वास्तव में काफी प्रसिद्ध है तो चलिए पढ़ते है इनकी रचनाओं को

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दोहे

अभिअंतर नहीं भाव,नाम कहे हरी नांव सूं

नीर बिहूणी नांव, कैसे तिरिबो केसवे

 

अभि अंतरी काला रहे, बाहरी करे उजास

नांम कहे हरी भजन बिन,निह्चे नरक निवास

 

अभी अंतरी राता रहे, बाहरी रहे उदास

नाम कहे में पाइयो,भाव भगती बिस्वास

 

बालापन ते हरी भज्यो,जग तै रहे निरास

नामदेव चन्दन भया सीतल सबद निवास

 

पै पायो देवल फिरयो,भगती न आई तोहि

साधन की सेवा करिहो नामदेव,जो मिलियो चाहे मोहि

 

जेता अंतर भगत सू तेता हरी सू होई

नाम कहे ता दास की मुक्ति कहा ते होई

 

ढिग ढिग ढूंढें अंध ज्यू,चीन्हे नाही संत

नाम कहे क्यों पाइए,बिन भागता भगवंत

 

बिन चिन्हया नहीं पाइयो, कपट सरे नहीं काम

नाम कहे निति पाइए,राम जनां तै राम

 

नांम कहै रे प्रानीयां,नीदंन कूं कछू नांहि

कौन भाँती हरी सेयिये, राम सबन ही मांही

 

समझया घट्कूं यू बणे, इहु तो बात अगाधि

सबहनी सूं निर्बैर्ता, पूजन कूं ऐ साध

 

साह सिहाणों जीव मै, तुला चाहोडो प्यंड

नाम कहे हरि नाम समि, तुले न सब ब्रह्मण्ड

sant namdev poems in hindi

घर की नारी तिआगे अंधा

पर नारी सिउ घाले धंधा

जैसे सिम्बलू देखि सूआ बिगसाना

अंत की बार मूआ लपटाना

 

पापी का घरु अगने माहि

जलत रहे मितवे कब नाहि

 

हरी की भगति न देखे जाई

मारगु छोड़ी अमारगी पाई

मूलहू भूला आवे जाई

अम्रितु डारी लादि बिखु खाई

 

जिउ बेसवा के परे अखारा

कापरू पहिरी करही सींगारा

पूरे ताल निहाले सास

वा के गले जम का है फास

 

जा के मसतकि लिखिओ करमा

सो भजि परि है गुर की सरना

कहत नामदेउ इहु बीचारु

इन बिधि संतहु उतरहू पारि

दोस्तों हमें जरुर बताये की ये पोस्ट Sant namdev ki rachnaye, in hindi आपको केसी लगी.

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