सम्राट अशोक पर निबंध व् जीवनी Samrat Ashok biography, Essay in Hindi
Samrat Ashok biography in Hindi
दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज हम पढ़ेंगे महान सम्राट अशोक के पूरे जीवन के बारे में तो चलिए पढ़ते हैं आज के लिखे इस आर्टिकल को
सम्राट अशोक जो कि महान प्रतापी राजा थे वह मौर्य साम्राज्य के तीसरे राजा थे, वह युद्ध कला में निपुण थे महान सम्राट अशोक को इसी वजह से अशोका सम्राट भी कहते हैं।

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जन्म और परिवार- सम्राट अशोक का जन्म लगभग 304 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में हुआ था इनके पिता का नाम सम्राट बिंदुसार एवं माता का नाम सुभाद्रंगी था। सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के शासक थे ये महान सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के पौत्र थे। सम्राट अशोक के पिता सम्राट बिंदुसार की 16 पटरानियां थी जिनसे कई पुत्र थे, सम्राट अशोक के कई भाई भी थे।
सम्राट अशोक का राज्य- सम्राट अशोक का राज्य चारों ओर फैला हुआ था यह पूरे भारत एवं ईरान की सीमा तक फैला हुआ था. सम्राट अशोक शुरू से ही अपने राज्य का विस्तार करना चाहते थे, धीरे-धीरे उनका राज्य और भी विस्तारित होता चला गया। सम्राट अशोक महान थे , वह इतने शक्तिशाली थे कि वह किसी से भी लड़ने से पीछे नहीं हटते थे और सामने वाले का डटकर सामना किया करते थे। सम्राट अशोक के साथ उनके आचार्य चाणक्य थे जिन्होंने सम्राट अशोक को कई नीतियां सिखाई जिससे सम्राट अशोक अपने राज्य को आगे बढ़ाने में सफल हुए।
कलिंग का युद्ध और हृदय परिवर्तन- सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए कलिंग राज्य पर हमला बोल दिया इस भयंकर युद्ध में लाखों लोग मारे गए। कई महिलाएं, छोटे-छोटे बच्चे मारे गए जिस वजह से सम्राट अशोक को काफी बुरा लगा और उन्होंने अपने आपको बदलने की कोशिश की, उनका हृदय परिवर्तित हो गया और फिर सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया। बौद्ध धर्म को अपनाने के बाद उन्होंने इस बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार किया। उन्होंने भारत एवं देश विदेश में इस बौद्ध धर्म का प्रचार किया। सम्राट अशोक इस युद्ध के बाद सम्राट के साथ एक संत के रूप में भी नजर आए।
कुछ अन्य बातें- सम्राट अशोक ने केवल 3 वर्ष में ही कई स्तूपो का निर्माण कराया था उन्होंने बौद्ध धर्म को आगे बढ़ाने का काफी प्रयत्न किया था। सम्राट अशोक एक ऐसे महान शासक थे जिनके अशोक चक्र को धर्म का चक्र भी कहा जाता है यह सब हमें आज भी देखने को मिलता है। आज भी भारत देश के तिरंगे के मध्य में अशोक चक्र मौजूद है।
सम्राट अशोक के बच्चों ने भी बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में उनकी काफी मदद की थी। वो जीवनभर बौद्ध धर्म के प्रचार में लगे रहे।
सम्राट अशोक की मृत्यु- सम्राट अशोक की मृत्यु 232 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र में ही हुई थी वह भले ही आज दुनिया में नहीं है लेकिन आज भी यह दुनिया उस महान सम्राट अशोक के पराक्रम और महानता को नहीं भूली है।
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