साहित्य का महत्व पर निबंध sahitya ka mahatva essay in hindi
sahitya ka mahatva essay in hindi
दोस्तों आज हम आपको इस लेख के माध्यम से साहित्य के महत्व के बारे में बताने जा रहे । चलिए अब हम इस आर्टिकल के माध्यम से साहित्य के महत्व के बारे में पढ़ेंगे ।
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मानव जीवन में साहित्य का सबसे अधिक महत्व है क्योंकि साहित्य ही मनुष्य की बुराइयों का अंत करता है ।साहित्य समाज का दर्पण होता है । समाज को साहित्य से ज्ञान की प्राप्ति होती है । हर युग में साहित्यकारों के द्वारा साहित्य लिखा जाता है । साहित्य की अनेक विधाएं होती हैं जैसे कि खंडकाव्य , कहानी , महाकाव्य , नाटक आदि । साहित्य के माध्यम से ही हमें राजनीति साहित्य , विज्ञान साहित्य , इतिहास साहित्य , पत्र साहित्य आदि पढ़ने को मिलता है । साहित्य ने मनुष्य जीवन को सरल बनाया है ।
अनेक साहित्यकारों का मानना है की साहित्य के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है । मुंशी प्रेमचंद्र जी का भी यही मानना था कि जीवन में साहित्य का बहुत बड़ा स्थान है ।साहित्य से ही मनुष्य का जीवन खुशियों से भरता है ।साहित्य से ही मनुष्य के जीवन में आनंद आता है । मुंशी प्रेमचंद्र जी कहते थे कि साहित्य के माध्यम से ही मनुष्य अच्छा बोलना , सुनना सीखता है , अच्छी बातचीत करने के गुण साहित्य को पढ़कर ही मनुष्य के अंदर आते हैं ।
जिस तरह से एक भवन की नीव नीचे से खड़ी की जाती है एवं नीचे की नींव को मजबूत किया जाता है और उस नीव पर पूरा भवन खड़ा रहता है उसी तरह से मनुष्य का जीवन साहित्य से मजबूत होता है । साहित्य के द्वारा मनुष्य के अनेक विकारों को दूर किया जा सकता है । लोगों के कल्याण के लिए साहित्य का निर्माण किया गया था । साहित्य को पढ़कर ही हम साहित्यकार की भावनाओं को जान सकते हैं । साहित्यकार हमेशा लोगों की भलाई के लिए साहित्य लिखते हैं ।
साहित्य मनुष्य के जीवन का दर्पण होता है इसलिए हम कह सकते हैं कि साहित्य के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है । सभी देशों में साहित्य लिखा जाता है । साहित्य के माध्यम से ही हम राम भगवान एवं कृष्ण भगवान के जन्म के बारे में पढ़ सकते हैं , उनके बताए हुए रास्तों पर चल सकते हैं । यदि साहित्य नहीं होता तो हमें भगवान राम एवं कृष्ण भगवान के विचार कैसे मालूम पड़ते । साहित्य ने पूरे संसार को बदला है । साहित्य के माध्यम से ही आज हम राजनीति के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं ।
साहित्य के माध्यम से ही हम विज्ञान क्षेत्र को जान पाए हैं । साहित्य ही हमको सुख दुख के मायने दिखलाता है । साहित्य ही है जो मनुष्य के जीवन को निखारता है , मनुष्य के जीवन को खुशियों से भरता है । साहित्य ही मनुष्य की सबसे बड़ी पूंजी होती है । साहित्य के माध्यम से ही हमें प्राचीन काल की घटित घटनाएं पढ़ने को मिलती हैं । मुंशी प्रेमचंद जी का मानना है कि जो व्यक्ति साहित्य पढ़ता है वह जीवन में हर सफलता प्राप्त करता है ।
अनेकों साहित्यकारों का भी यही मानना है कि मनोरंजन से लेकर ज्ञान प्राप्त तक साहित्य का योगदान है । साहित्य से समाज को संस्कार प्राप्त होते हैं । समाज के अंदर जो विकार हैं उन विकारों को दूर करने में साहित्य का योगदान रहा है । साहित्यकारों का मानना है कि साहित्य को पढ़कर ही नव युवकों को ज्ञान प्राप्त होगा । साहित्य से ही मनुष्य को अपने जीवन में सफलता पाने की चेतना जागृत होती है । समाज में साहित्य का प्रतिबिंब दिखाई देता है ।
समाज के अंदर जो विकार है उनको साहित्य के द्वारा ही दूर किया जा सकता है । जातिवाद भेदभाव जैसी कुरीतियों को खत्म करने में साहित्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और आगे भी साहित्य के माध्यम से जाति भेदभाव जैसी कुरीतियों को खत्म किया जा सकता है । साहित्य से ही हम हमारी संस्कृति को बचा सकते हैं ।
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