सागर की आत्मकथा Sagar ki atmakatha in hindi
Sagar ki atmakatha in hindi
हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज का हमारा आर्टिकल सागर की आत्मकथा आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है हमारे आज के इस आर्टिकल में हम सागर के बारे में जानेंगे यह आर्टिकल हमारे द्वारा लिखित एक काल्पनिक आर्टिकल है तो चलिए पढ़ते हैं हमारे आज के इस आर्टिकल को

मैं एक सागर हूं मेरे अंदर बहुत सारा पानी भरा हुआ है ज्यादातर लोग मेरा पानी पीना पसंद नहीं करते क्योंकि मेरा पानी खारा होता है. मैं बहुत गहरा होता हूं मेरी लंबाई और चौड़ाई बहुत होती है मैं दो देशों के बीच में या राज्यों के बीच में व्यापार करने में सहयोग प्रदान करता हूं मैं हमेशा खुश रहता हूं क्योकी मेरी वजह से ही मानव जाति और हर एक जीव पृथ्वी पर रहने लायक बनता है मेरी वजह से पृथ्वी को शीतलता प्रदान होती है और जीव जंतुओं का निवास हो पाता है.
मेरे अंदर बहुत सारे पेड़ पौधे भी लगे हुए होते हैं बहुत सारे जीव जंतु छोटी मछली,बड़ी मछली, मगरमच्छ और कई सारे जलीय प्राणी मेरे अंदर समाहित होते हैं मेरे अंदर ही उनका जीवन होता है. मछली जो जल की रानी होती है वह मेरे अंदर झूमती नाचती रहती है मैं कई सारे जलीय जीवो और पौधों को जीवनदान देता हूं मेरे बाहर भी कई सारे पेड़ पौधे लगे होते हैं.बहुत सारे लोग ठंडक प्राप्त करने के लिए मेरे आस पास आते हैं और मुझे देखकर खुशी का अनुभव करते हैं.
इस दुनिया में कई यात्रा के मार्ग होते हैं जैसे कि सड़क मार्ग,वायु मार्ग उन मार्ग में से समुद्र मार्ग भी है समुद्र के जरिए लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचते हैं और अपना व्यापार भी करते हैं समुद्र की कहानियों में बहुत सी कहानियां प्रसिद्ध भी हैं लोग मेरी उन कहानियों को पढ़ना पसंद करते हैं सिंदबाद जहाजी जो कि एक व्यापारी था उसने कई बार मेरे जरिए ही यात्रा की है वह वास्तव में एक महान यात्री था जो कभी भी किसी से भी नहीं डरता था.
मैं बहुत ही विशाल हूं मेरे अंदर कुछ कुछ जीव तो इतने विशालकाय होते हैं कि लोग उन्हें जजीरा ही समझने लगते हैं बड़ी-बड़ी मछलियां,बड़े-बड़े मेंढक सभी अजीबो गरीब होते हैं.मैं विशालकाय होता हूं मुझ समुद्र के ऊपर ही बड़े-बड़े नाव और जहाज चलते हैं जिसमें यात्री बैठकर दूसरे स्थानों पर सफर करते हैं समुद्र की वजह से ही ठंडी ठंडी हवाएं चलती हैं लोग उनका आनंद लेते हैं कभी-कभी लोग समुद्र के पास घूमने भी जाते हैं.आज हम देखें तो इस पृथ्वी पर पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है लेकिन मैं विशालकाय हूं मुझे कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.
बहुत सारे लोग समुद्र में खोजबीन करते हैं वह मेरी गहराई में जाकर कुछ खोजते है लेकिन में उन्हें कुछ नही कहता.श्री रामचंद्र जब अपनी पत्नी सीता को लंकापति रावण से छुड़ाने के लिए लंका की ओर जा रहे थे तब मैं ही उन्हें रास्ते में मिला था मेरे ऊपर से उन्होंने सेतु बांधा था वह चाहते तो एक तीर कमान से मुझे सौख डालते लेकिन सबसे पहले उन्होंने मेरी आराधना की थी मैंने ही उन्हे पत्थरों के जरिए सेतु बनाने के बारे में बताया था इस तरह वह लंका पहुंच पाए.जब से पृथ्वी का जन्म हुआ है तब से ही मेरा जन्म हुआ है मैं विशालकाय हूं में एक देश को दूसरे देश से जोड़ता हूं.
मेरी वजह से इस पृथ्वी के सभी जीव धारियों को बहुत से लाभ मिलते हैं मैं इस पृथ्वी को शीतलता प्रदान करता हूं जिस वजह से जीव जंतु इस पृथ्वी पर रह पाते हैं मेरा पानी ही बिजली बनाने के काम आता है जिससे आप सभी के घरों में उजाला होता है,मेरी वजह से ही जलीय जीव और मानव जाति जीवित है मेरी वजह से ही आसपास के पेड़ पौधे फल फूल देते हैं और हम सभी को छाया और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं और वर्षा को आकर्षित करते हैं.
किसी स्थान पर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग कुछ लंबा या टेढ़ा-मेढ़ा हो सकता है लेकिन मुझ में से यात्रा करने में सुलभ होती है बहुत सारे यात्री मुझमें यात्रा करना पसंद करते हैं मुझे समुद्र या सागर देवता कहकर बुलाते हैं मेरे किनारों पर नहाने के लिए आते हैं कुछ लोग मुझे प्रदूषित भी करते हैं जिससे मुझे अच्छा नहीं लगता. मैं हमेशा दूसरों का भला करता हूं लेकिन कभी-कभी मुझमें एकदम से लहरें आ जाने के कारण कुछ नाव और जहाजों को नुकसान उठाना पड़ता है कभी-कभी तो मुझमें तूफान आ जाने की वजह से कई लोगों की जान चली जाती है लेकिन मेरा कुछ नहीं होता मैं हमेशा से ही अपने स्थान पर हूं.
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