सद्बुद्धि पर निबंध Sadbuddhi essay in hindi
Sadbuddhi essay in hindi
Sadbuddhi – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सद्बुद्धि पर लिखें निबंध के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस आर्टिकल को पढ़कर सद्बुद्धि के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं ।
सद्बुद्धि के बारे में – सद्बुद्धि के द्वारा मनुष्य हर क्षेत्र में एक सफल इंसान बन सकता है । सद्बुद्धि को प्राप्त करने के लिए मनुष्य को अपनी आत्मा को ज्ञान से जोड़ना होता है । जब व्यक्ति अपने मन से अच्छे कर्म करना प्रारंभ कर देता है तब उसे सद्बुद्धि प्राप्त होती है । सद्बुद्धि प्राप्त करने के लिए मनुष्य को परमात्मा से ध्यान लगाना होता है । जो व्यक्ति परमात्मा की पूजा करता है , उपासना करता है वह व्यक्ति परमात्मा से सद्बुद्धि प्राप्त करता है । जब परमात्मा से प्राप्त सद्बुद्धि का उपयोग व्यक्ति अपने विवेक से अपने और समाज के कल्याण के लिए करता है तब वह एक ज्ञानी बन जाता है । ज्ञान की प्राप्ति से ही मनुष्य का कल्याण होता है ।
जब व्यक्ति को सद्बुद्धि आ जाती है तब वह व्यक्ति अपने ऊपर संयम रखता है और कोई ऐसा कार्य नहीं करता है जिस कार्य को करने से उसका और समाज का नुकसान हो । जब व्यक्ति को सही और गलत कार्य को पहचानने की शक्ति आ जाती है तब वह सत्य का मार्ग अपनाकर उस पर चलता है और उसे सफलता प्राप्त होती है । व्यक्ति सत्य के मार्ग पर तभी चलता है जब उसे सद्बुद्धि प्राप्त होती है । इसीलिए व्यक्ति के पास सद्बुद्धि अवश्य होनी चाहिए जिसका उपयोग करके वह समाज कल्याण के लिए कार्य करें । व्यक्ति सद्बुद्धि प्राप्त करने के लिए मंदिर जाता है और भगवान की उपासना करता है जिससे उसे सद्बुद्धि प्राप्त होती है ।
सद्बुद्धि सिर्फ पढ़े-लिखे व्यक्ति को ही नहीं मिलती है बल्कि अनपढ़ व्यक्ति के पास भी सद्बुद्धि होती है । ऐसे कई लोग हैं जो पढ़े लिखे नहीं हैं पर उनके पास सद्बुद्धि होती है जिस सद्बुद्धि का उपयोग करके वह अपने भविष्य को उज्जवल बनाते है । कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो पढ़े लिखे होते हैं परंतु उनके पास सद्बुद्धि नहीं होती इसीलिए वह पढ़े लिखे होने के बाद भी एक सफल इंसान नहीं बन पाते हैं । सद्बुद्धि के द्वारा ही सत्य और असत्य की पहचान होती है । यदि सद्बुद्धि प्राप्त करना चाहते हो , सद्बुद्धि से अपने जीवन को सफल बनाना चाहते हो तो हमें मंदिर जाना चाहिए , भगवान की उपासना करना चाहिए और संत जनों के साथ रहकर उनसे ज्ञान प्राप्त करना चाहिए ।
जब हम संत जनों के साथ रहते हैं , उनसे ज्ञान प्राप्त करते हैं तब हमें सद्बुद्धि प्राप्त होती है । यदि व्यक्ति सद्बुद्धि के माध्यम से अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहता है तो उसे ऐसे व्यक्ति के साथ में नहीं रहना चाहिए जो असत्य के मार्ग पर चल रहा हो और वह बुरे कार्य करके आगे बढ़ रहा हो । असत्य के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को असफलता ही प्राप्त होती है । यदि हम असफलता नहीं चाहते हैं तो बुरे दोस्तों का साथ छोड़ने में ही हमारी भलाई होती है । सत्य के मार्ग पर चलकर अपने जीवन को तबाही के रास्ते पर ले जाने से तो अच्छा है हम ऐसे व्यक्ति के साथ में रहे जो सत्य के मार्ग पर चलता हो और उसके पास सद्बुद्धि हो ।
जब हम उसके साथ में रहते हैं तब हमें भी सद्बुद्धि प्राप्त होती है और हम अपने विवेक का उपयोग करने लगते हैं । जब हम अपने विवेक का उपयोग करने लगते हैं तब हमें सफलता प्राप्त होती है । जो व्यक्ति लालच , धन , दौलत की चाह में दूसरों को नुकसान पहुंचाता है उस व्यक्ति के पास सद्बुद्धि होती ही नहीं है क्योंकि वह लालच के मोह जाल में पूरी तरह से फस जाता है और उस व्यक्ति को सत्य और असत्य के बारे में कुछ पता ही नहीं होता है । वह निरंतर असत्य के रास्ते पर चलता रहता है । अंत में उसकी बुरी दशा होती है और वह असफलता की मार प्राप्त करता है ।
जब किसी व्यक्ति पर असफलता की मार पड़ती है तब वह अपने आप को असहाय और अकेला पाता है । सद्बुद्धि प्राप्त करने के बाद वियक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है ।सत्य के मार्ग पर चलने से भले ही कठिनाइयां आए परंतु जब सफलता प्राप्त होती है तब वह सफलता हमारे जीवन को सफल बना देती है । हमें अच्छे इंसानों के साथ रहना चाहिए । यह जीवन हमें अच्छे कर्म करने के लिए मिला है इसलिए सत्य के मार्ग पर चलकर हमें अच्छे अच्छे कर्म करने चाहिए और अपने विवेक से सोच समझकर सत्य का मार्ग अपनाना चाहिए ।
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