रखमाबाई राऊत जीवनी rukhmabai in hindi

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दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं रखमाबाई राऊत की जीवनी को । चलिए अब हम पढ़ेंगे रखमाबाई राऊत की जीवनी को ।

जन्म स्थान – रखमाबाई राऊत का जन्म 22 नवंबर 1864 को हुआ था । इनका जन्म मुंबई में हुआ था । इनके पिता का नाम जनार्धन पांडुरंग था । इनकी माता का नाम जयंति बाई था । रखमाबाई राऊत अपने परिवार के साथ मुंबई में रहती थी । जब रखमाबाई राऊत की उम्र 8 वर्ष की थी तब उनके पिता का देहांत हो गया था । रखमाबाई की उम्र जैसे ही 11 साल की हुई तब उनकी मां ने पूरी संपत्ति रखमाबाई को सौंप दी थी और 11 साल की उम्र में रखमाबाई का विवाह दादाजी भीकाजी से कर दिया था लेकिन रखमाबाई इस विवाह से प्रसन्न नहीं थी ।

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प्राचीन समय में बाल विवाह किए जाते थे । पहले लड़कियों की कोई भी बात नहीं मानी जाती थी । इसलिए उन्हें भी दादाजी भीकाजी से विवाह करना पड़ा था । विवाह करने के बाद वह अपने पति के घर पर नहीं गई थी । वह अपने ही घर पर रहती थी । वह बचपन से ही शिक्षा प्राप्त करना चाहती थी । इसलिए वह अपने पति के घर ना जाकर अपने घर पर ही रहकर पढ़ाई करती रहती थी । वह चर्च से पुस्तकें लाकर घर पर अध्ययन किया करती थी । रखमाबाई हमारे भारत देश की प्रथम भारतीय महिला डॉक्टर बनी थी ।

शिक्षा – रखमाबाई बचपन से ही शिक्षा में रुचि रखती थी । उन्होंने 1894 में अपनी पूरी पढ़ाई कर ली थी । वह 1889 में इंग्लैंड गई थी इंग्लैंड से उन्होंने मेडिसिन फॉर विमेन का अध्ययन किया था । इंग्लैंड से उन्होंने डॉक्टर की उपाधि प्राप्त की थी । इसके बाद वह सूरत के एक अस्पताल में काम करने लगी थी ।

विवाह – रखमाबाई का पहला विवाह दादाजी भीकाजी से हुआ था लेकिन वह इस शादी से खुश नहीं थी । वह यह सोचती थी कि अभी मेरी उम्र पढ़ने-लिखने की है यदि मैं अपने ससुराल में रहने लगी तो मैं पढ़ाई नहीं कर पाऊंगी । इसके बाद उनके पति दादाजी भीकाजी ने मुंबई के हाई कोर्ट में अपने पत्नी के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया था और उस मुकदमे में उनके पति जीत गए थे ।

इस मुकदमे में अदालत ने यह फैसला सुनाया था कि रखमाबाई को अपने पति के साथ ही रहना होगा यदि वह अपने पति के साथ में नहीं रहेगी तो उसको जेल में बंद कर दिया जाएगा । तब रखमाबाई ने कोर्ट से यह कह दिया था कि ससुराल में रहने से तो अच्छा है कि मैं जेल में रहूं । मेरी उम्र ससुराल जाने कि नहीं है । उन्होंने घर पर ही पढ़ाई करना प्रारंभ कर दिया था । पूरी पढ़ाई करने के बाद वह इंग्लैंड चली गई थी और इंग्लैंड से डॉक्टर बनकर भारत आ गई थी ।

इसके बाद उनके पहले पति दादाजी भीकाजी का निधन हो गया था और वह सफेद साड़ी पहनने लगी थी लेकिन उन्होंने अपना दूसरा विवाह डॉक्टर सखाराम अर्जुन से कर लिया था और उनके साथ अपना जीवन बिताने लगी थी ।

मृत्यु – रखमाबाई का निधन 25 सितंबर 1955 को हो गया था । आज पूरा देश उनको याद करता है क्योंकि उन्होंने उस समय पढ़ाई की थी जिस समय लड़कियों को कोई भी नहीं पढ़ाता था । रखमाबाई अपनी मेहनत से पढ़ाई करके एक अच्छी डॉक्टर बनी थी ।

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