रॉयल एनफील्ड का इतिहास Royal enfield history in hindi

Royal enfield history in hindi

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से रॉयल एनफील्ड के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और 100 साल पुरानी बाइक रॉयल एनफील्ड के इतिहास के बारे में जानते हैं ।रॉयल एनफील्ड का इतिहास काफी पुराना है । यह तकरीवन 100 साल पुरानी बाइक है । इस बाइक के बारे में बात करें तो 100 साल के भीतर रॉयल एनफील्ड को काफी उतार-चढ़ाव झेलने पड़े हैं ।

royal enfield history in hindi
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सबसे पहले बाइक रॉयल एनफील्ड का निर्माण इंग्लैंड में ब्रिटिश सैनिकों के लिए किया गया था । यह बाइक सबसे मजबूत बाइक थी , इसका इंजन काफी मजबूत था । इसलिए इंग्लैंड की ब्रिटिश सरकार ने यह बाइक सैनिकों को दे दी थी । इसके बाद यह बाइक इंग्लैंड की पुलिस को भी दी गई थी । इस बाइक की डिमांड धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी और इस बाइक को बनाने का ऑर्डर रशियन सरकार के द्वारा भी दिया गया था । यह बाइक ऑर्डर पर बनाई जाती है ।

यदि हम भारत की बात करें तो भारत में रॉयल एनफील्ड को सबसे पहले सैनिकों के लिए मंगवाई गई थी । 1954 को भारत सरकार ने सैनिकों के लिए 800 बुलेट बनाने का आर्डर दिया था । जब देखा कि यह बाइक बहुत अच्छी मजबूत है , इसके कई फायदे सैनिकों को हुए हैं तब भारत सरकार ने भारत देश की पुलिस के लिए यह बाइक उपलब्ध कराने का सोचा और रॉयल एनफील्ड को बाइक बनाने का ऑर्डर दे दिया था ।

जब देखा की यह बाइक बहुत अच्छी तरह से बनाई जाती है , यह बहुत अच्छी और मजबूत है तब भारत के कुछ युवाओं को इंग्लैंड में रॉयल एनफील्ड बनाने की ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था । रॉयल एनफील्ड के मालिक ने इंडिया में अधिक डिमांड को देखते हुए भारत में एनफील्ड इंडिया लिमिटेड कंपनी खोलने का प्रस्ताव रखा और भारत सरकार ने यह प्रस्ताव मान लिया था ।

जब सरकार के माध्यम से मंजूरी दी गई थी तब रॉयल एनफील्ड की फैक्ट्री मद्रास में खोली गई थी और इस कंपनी का नाम एनफील्ड इंडिया लिमिटेड रखा गया था । यह फैक्ट्री मद्रास में खोली गई थी जो शहर अब चेन्नई के नाम से जाना जाता है । पहली रॉयल एनफील्ड बुलेट मद्रास में बनाई गई थी । इसकी मांग को देखते हुए रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिल के सभी पार्ट्स 1957 से भारत में ही बनाए जाने लगे थे लेकिन इंग्लैंड की यह कंपनी थी और इंग्लैंड में यह कंपनी दिवालिया हो जाने के कारण बंद कर दी गई थी ।

भारत में इसकी अधिक बिक्री को देखते हुए भारत ने यह कंपनी चलती रही । भारत के ही एक बिजनेसमैन जो ईसर कंपनी के मालिक थे । जिनका नाम सिद्धार्थ लाल था उन्होंने 1990 में रॉयल एनफील्ड इंडिया कंपनी में 25% की हिस्सेदारी ली । 1990 में जब ईसर के मालिक सिद्धार्थ लाल ने इस कंपनी में हिस्सेदारी ली तब रॉयल एनफील्ड के शेयर और भी बढ़ गए थे । रॉयल एनफील्ड भारत देश के अलावा दक्षिण अफ्रीका , यूरोप , अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी इस बाइक की डिमांड है ।

ऐसा कहा जाता है कि इस बाइक को खरीदने के लिए पहले से ही ऑर्डर दिया जाता है । जितने ऑर्डर होते हैं उतनी ही  बाइक बनाकर तैयार की जाती है । रॉयल एनफील्ड के नाम के पीछे होल्डर परिवार की सबसे अहम भूमिका रही है ।  जब यह कंपनी दिवालिया हो गई थी तब होल्डर परिवार ने यह नाम भी कंपनी के साथ खरीद लिया था । तभी से कंपनी का नाम  रॉयल एनफील्ड है । कंपनी के मालिक ने भारत  में रॉयल एनफील्ड  इंडिया लिमिटेड के नाम से ऐतराज जताया था ।

इस बात पर केस भी दायर किया गया था लेकिन भारत ने यह केस जीत लिया था । इस कंपनी का नाम एनफील्ड इंडिया लिमिटेड ही है । इस तरह से बुलेट एनफील्ड का इतिहास काफी रोचक है । यह सबसे पुरानी और मजबूत बाइक है । यह दुनिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइको में से एक है । इस बाइक को खरीदने से पहले इसकी बुकिंग करना होती है । भारत देश में इसकी फैक्ट्री चेन्नई में स्थित है ।

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