रेणुका मंदिर का इतिहास Renuka ji temple history in hindi
Renuka ji temple history in hindi
Renuka ji temple – दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से रेणुका मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं । तो चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और इस बेहतरीन आर्टिकल को पढ़कर रेणुका मंदिर के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करते हैं ।
रेणुका मंदिर के बारे में – रेणुका मंदिर भारत देश का सबसे सुंदर अद्भुत चमत्कारी मंदिर है , सबसे पुराना मंदिर है जिस मंदिर की सुंदरता देखने के लायक है । भारत देश का यह सुंदर चमत्कारी अद्भुत मंदिर भारत देश के हिमाचल प्रदेश की नाहन रेणुका झील के निकट स्थित है जिसकी सुंदरता देखने के लायक है । दूर-दूर से पर्यटक इस मंदिर की सुंदरता को देखने के लिए आते हैं और इस मंदिर की सुंदरता को देखकर अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं ।
भारत देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी पर्यटक हिमाचल प्रदेश में स्थित रेणुका मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं और रेणुका मंदिर के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । रेणुका मंदिर की सुंदरता , मंदिर के आसपास की सुंदरता देखने के लायक है । रेणुका मंदिर माता रेणुका देवी के लिए समर्पित है । जहां पर लोग रेणुका मंदिर पर जाकर माता रेणुका के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । माता रेणुका के बारे में हम सभी जानते हैं कि माता रेणुका ऋषि परशुराम की माता जी थी ।
प्राचीन ग्रंथों में यह बताया गया है कि माता रेणुका का विवाह जमदग्नि ऋषि से हुआ था । एक बार परशुराम की माता जी स्नान करने के उद्देश्य से तालाब में गई हुई थी । उसी समय उस तालाब में पानी पीने के लिए राजा चित्ररथ आए हुए थे । जब माता रेणुका ने चित्ररथ को देखा तब वह राजा चित्ररथ को देखकर मुग्ध हो गई थी । इसके बाद जब माता रेणुका जमदग्नि के आश्रम में वापस लौट कर आई तब जमदग्नि ने अपनी दिव्य दृष्टि से सब कुछ जान लिया था । इसके बाद ऋषि जमदग्नि को बहुत तेज क्रोध आ गया था और उन्होंने अपने बेटों को बुलाया था ।
एक-एक करके सभी बेटों से अपनी मां को जान से मार देने के लिए कहा था । परंतु जमदग्नि की पहली दूसरी और तीसरी संतान ने मां को मारने से मना कर दिया था । परंतु जब ऋषि जमदग्नि ने अपने पांचवे पुत्र परशुराम से मां की गर्दन काटने के लिए कहा तब परशुराम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए अपने फरसे से माता रेणुका की गर्दन काट दी थी । इसके बाद ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र के द्वारा किए गए आज्ञा का पालन करने से खुश था और ऋषि जमदग्नि ने भगवान परशुराम को मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा था ।
भगवान परशुराम ने वरदान में अपने पिता जमदग्नि से यह मांगा था कि वह सभी भाइयों को क्षमा कर दें और माता रेणुका को पुनः जीवन दान दें । यह सुनकर जमदग्नि ने भगवान परशुराम की प्रार्थना स्वीकार की और ऋषि जमदग्नि ने अपने चारों पुत्रों को श्राफ मुक्त कर दिया था और माता रेणुका को भी जीवित कर दिया था । भगवान परशुराम और उनके पिता जमदग्नि के बीच बहुत प्रेम था । वह अक्सर अपनी प्रेम को प्राप्त करने के लिए एक दूसरे से मिलते थे । उनका अपार प्रेम को देखते हुए भारत देश के हिमाचल प्रदेश में स्थित रेणुका मंदिर पर प्रतिवर्ष एक मेले का आयोजन भी कराया जाता है ।
यह मेला प्रतिवर्ष कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की दशमी को लगाया जाता है और यह मेला पूर्णिमा तक आयोजित किया जाता है जिस मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और मेले में घूम कर माता रेणुका के मंदिर पर जाकर माता रेणुका के दर्शन करके अपने जीवन में आनंद प्राप्त करते हैं । भारत देश में कई सुंदर सुंदर मंदिर है सभी सुंदर मंदिरों में हिमाचल प्रदेश का यह रेणुका मंदिर बहुत ही अद्भुत चमत्कारी मंदिर है । इस मंदिर से भारतीय लोगों की आस्था जुड़ी हुई है । मंदिर के बगल में एक रेणुका झील स्थित है जिस झील की सुंदरता देखने के लायक है ।
जब कोई पर्यटक मंदिर के दर्शन करने के लिए हिमाचल प्रदेश जाता है वह रेणुका झील की सुंदरता को देखने के लिए अवश्य जाता है । जब कोई व्यक्ति , पर्यटक रेणुका झील को देखने के लिए जाता है वह रेणुका झील में स्नान करके आनंद प्राप्त करता है । रेणुका झील का जल कंचन , सुंदर , शुद्ध जल है । जब हम झरने के नीचे स्नान करते हैं तब बड़ा ही आनंद प्राप्त होता है । मेले के आयोजन पर दूर-दूर से लोग वहां पर पहुंचते हैं और मेरे को देख कर अपने जीवन में खुशी प्राप्त करते हैं ।
रेणुका मंदिर से लोगों की आस्था इसलिए जुड़ी हुई है क्योंकि जो भी व्यक्ति रेणुका मंदिर के दर्शन करने के लिए जाता है वह माता रेणुका से मनचाहा वर प्राप्त करता है । वह दुखों से दूर हो जाता है उसके सभी संकट टल जाते हैं ।
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