राज्य सभा का इतिहास Rajya sabha details, history in hindi

Rajya sabha details in hindi

दोस्तों आज हम आपके लिए लाए हैं राज्यसभा के इतिहास को । चलिए अब हम पढ़ेंगे राज्य सभा के इतिहास को ।

राज्य सभा भारत देश की ऊपरी सभा कही जाती है । राज्यसभा के सदस्यों को राज्य के द्वारा चुना जाता है। राज्यसभा में धन विधेयक बिल पारित किया जाता है। राज्यसभा को स्थाई सदन भी कहा जाता है । राज्य सभा के सदन को कभी भी भंग नहीं किया जा सकता है । भारतीय लोकतंत्र में राज्यसभा को ऊपरी सभा माना जाता है । राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष तक का होता है ।

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राज्यसभा के सदस्यों की न्यूनतम आयु 30 वर्ष की होती है । राज्य सभा को राज्य की परिषद भी कहा जाता है । राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव विधानसभा के द्वारा चुने हुए विधायक करते हैं । राज्य सभा में जो प्रतिनिधि होते हैं उनकी संख्या राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है ।

राज्य की जनसंख्या के आधार पर लोकसभा के प्रतिनिधियों की संख्या चुनी जाती है । हमारे देश के राज्य सभा के सदस्य जो प्रधानमंत्री बन चुके हैं जैसे की इंदिरा गांधी जी, इंद्र कुमार गुजराल ,एच . डी . देवगौड़ा , डॉ मनमोहन सिंह जी आदि है । राज्यसभा का सभापति उपराष्ट्रपति होता है ।

राज्य सभा में धन विधेयक बिल पारित किया जाता है। राज्य सभा का सदस्य राज्यसभा का अध्यक्ष नहीं होता है । हमारे भारत देश की प्रथम महिला राज्यसभा सचिव वी .एस .रामादेवी को बनाया गया था । राज्यसभा में राज्यसभा के सदस्यों के द्वारा राज्यों की भलाई के लिए बिल लाए जाते हैं जहां पर पक्ष और विपक्ष के द्वारा बहस की जाती है ।

बहस करने के बाद राज्य सभा का अध्यक्ष इस बिल पर विचार-विमर्श करके यह फैसला लेता है कि यह बिल पास किया जाए या नहीं । लोकसभा के द्वारा जब किसी प्रकार का कोई भी बिल राज्य सभा में भेजा जाता है तब राज्य सभा 14 दिनों में इस बिल को लोकसभा में वापस भेजती है ।

rajya sabha history in hindi

राज्य सभा हमारे देश की भलाई के लिए बनाया गया सदन है । यह सदन स्थाई होता है । राज्यसभा सदन को कभी भी भंग नहीं किया जा सकता है । राज्य सभा में सदस्यों की संख्या 250 तक होती है । राज्यसभा के सदस्यों की संख्या राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है । राज्य सभा को राज्य की परिषद भी कहा जाता है ।

राज्यसभा हमारे भारत देश के लोकतंत्र की ऊपरी सदन है । राज्यसभा के बाद लोकसभा भारतीय लोकतंत्र की निचली सदन है । राज्य सभा के सदस्यों का जो कार्यकाल होता है वह 6 साल का होता है । लोकसभा के सदस्यों का कार्यकाल 5 साल का होता है। राज्य सभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है इनमें से एक तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 साल में सेवानिवृत्त होते हैं ।

राज्यसभा के सदस्यों का जो चुनाव होता है वह चुनाव राज्य विधानसभा के द्वारा चुने हुए विधायक करते हैं । आज हमारे भारत के सभी राज्यों में उत्तर प्रदेश राज्य सबसे बड़ा राज्य है । उत्तर प्रदेश राज्य के 34 सदस्य राज्यसभा में हैं । हमारे भारत देश को आजादी मिलने के बाद राज्य सभा की प्रथम बैठक 13 मई 1952 को की गई थी ।

राज्यसभा में सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति काम करता हैं । हमारे भारत देश में राज्य सभा की घोषणा सभा पीठ द्वारा 23 अगस्त 1954 को की गई थी । विधान मंडल की द्वितीय सदन के रूप में राज्य सभा की स्थापना की गई थी । राज्यसभा में सदस्यों की संख्या 250 तक होती है । इनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा चुने जाते हैं ।

राज्य सभा का पहला गठन 3 अप्रैल 1952 को किया गया था । राज्यसभा में जब सभापति अनुपस्थित रहता है तब उपसभापति राज्य सभा का संचालन करता है । राज्य सभा की बैठकों के मध्य में 6 माह का अंतर होता है । राज्य सभा में भारत के सभी राज्यों के द्वारा चुने गए सदस्यों की संख्या निम्न प्रकार से है जैसे कि मध्यप्रदेश में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 11 है ,महाराष्ट्र में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 19 है , मेघालय में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 1 है.

नागालैंड में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 1 है , मिजोरम में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 1 है , आंध्र प्रदेश में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 18 है , अरुणाचल प्रदेश में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 1 है , बिहार में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 16 हैं , असम में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 7 है , छत्तीसगढ़ में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 5 है , गुजरात में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 11 है , गोवा में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 1 है , हरियाणा में राज्य सभा के सदस्यों की संख्या 5 है.

कर्नाटक में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 12 हैं हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 3 है , जम्मू कश्मीर में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 4 है , केरल में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 9 हैं , झारखंड में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 6 हैं , राजस्थान में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 10 है , उड़ीसा में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 10 है , पंजाब में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 7 हैं , पश्चिम बंगाल में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 16 है , उत्तरांचल में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 3 है.

तमिलनाडु में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 18 है , त्रिपुरा में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 1 है , तेलंगाना में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 17 है , उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 31 है जो कि सबसे अधिक संख्या है । राज्यसभा में सदस्यों की संख्या राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है यदि राज्य की जनसंख्या बढ़ती है तब राज्यसभा में सदस्यों की संख्या भी बढ़ाई जाती है ।

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राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं जिसमें 12 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा चुने जाते हैं । 238 सदस्य विधान सभा से चुने गए विधायक चुनते हैं । लोकसभा में सदस्यों की संख्या 530 होती है । लोकसभा में राष्ट्रपति अधिकतम दो सदस्यों को चुन सकता है । राज्यसभा में सदस्य बनने की आयु 30 वर्ष की न्यूनतम आयु है ।

लोकसभा में अध्यक्ष बनने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष है । राज्य सभा में सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है । लोकसभा में सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है । राज्य सभा स्थाई सदन है इसे कभी भंग नहीं किया जा सकता है । लोकसभा को अविश्वास प्रस्ताव से भंग किया जा सकता है । लोकसभा में सदस्यों को सांसद के द्वारा चुना जाता है । राज्यसभा में सदस्यों को विधायकों के द्वारा चुना जाता है ।

लोकसभा को निचली सभा मानी जाती है । राज्यसभा को ऊपरी सभा मानी जाती है । राज्यसभा में उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा सीटें 38 हैं । लोकसभा में उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा सीटें हैं । राज्यसभा में सदस्यों की अध्यक्षता राज्यसभा का सभापति करता है । लोकसभा में सभी सदस्यों की अध्यक्षता सांसदों के द्वारा चुना गया अध्यक्ष करता है ।

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