राजा राममोहन राय पर निबंध Raja ram mohan roy essay in hindi
Raja ram mohan roy essay in hindi
राजा राममोहन राय एक ऐसे समाज सुधारक थे जिन्होंने 18 वीं शताब्दी के दौरान कई ऐसी प्रथाओं के विरुद्ध आवाज उठाई जिन प्रथाओं के कारण हमारा देश विकास नहीं कर पा रहा था । कई ऐसी प्रथाओं के कारण हमारे देश की नारी पर अत्याचार किया जा रहा था एवं कई लोग इस विचारधारा के कारण प्रगति की राह पर नहीं चल पा रहे थे । राजा राममोहन राय जीने अपने अथक प्रयासों के माध्यम से इन प्रथाओं को खत्म किया और हमारे देश को सही रास्ता भी दिखाया है ।
राजा राममोहन राय जी का जन्म 1772 में बंगाल के राधा नगर में हुआ था । राजा राममोहन राय जी के पिताजी का नाम रमाकांत राय है उनके पिता ने बचपन से ही पढ़ने लिखने की सलाह दी और उनको आगे बढ़ने के रास्ते भी बताएं । उनकी माता जी का नाम तारिणी देवी था उनकी माता तारिणी देवी उनको बहुत प्यार करती थी । राजा राममोहन राय जी का विवाह 3 स्त्रियों से हुआ । उनकी पहली और दूसरी पत्नी का स्वर्गवास हो चुका था जब उनकी पहली पत्नी का स्वर्गवास हुआ तो वह पूरी तरह से टूट गए फिर उन्होंने दूसरा विवाह किया लेकिन उनकी दूसरी पत्नी का भी बीमारी के कारण देहांत हो गया और वह फिर से अकेले हो गए लेकिन राजा राममोहन राय जी ले अपनी जिंदगी मैं कभी भी हार नहीं मानी और वह एक जगह पर रुकना नहीं चाहते थे इसलिए वह अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाते गए फिर उन्होंने तीसरा विवाह किया और अपने परिवार को पूरा किया ।
राजा राममोहन राय जी बचपन से ही पढ़ाई में रुचि रखते थे उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई अपने गांव के ही एक स्कूल में की जहां पर उन्होंने बंगाली और संस्कृत भाषा मैं अपनी पढ़ाई को पूरा किया इसके बाद है उनको पटना भेजा गया जहां पर उन्होंने अरबी और फारसी भाषाओं को सिखा जब वह पढ़ाई करते थे और भारत की इन बुरी प्रथाओं को देखते थे तो उनको बड़ा दुख होता था की सारी दुनिया कितनी आगे बढ़ रही है और हमारा देश इन प्रथाओं से घिरा हुआ है जिसके कारण हमारे देश की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है उन्होंने इन प्रथाओं से लड़ने का विचार बना लिया था ।
राजा राममोहन राय जी की पढ़ाई पूरी होने के बाद उनको 18 साल की उम्र में कलेक्टर के दीवान की नौकरी मिल गई और वह नौकरी पूरी ईमानदारी से करने लगे लेकिन वह ऐसे लोगों से मिलते थे जो इन प्रथाओं के कारण परेशान और दुखी थे तब उनको बड़ा बुरा लगता था कि हमारे देश में कितनी गलत प्रथा है और उन्होंने 1812 में सती प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई और उन्होंने सती प्रथा को जड़ से खत्म करने के प्रयास किए एवं उन्होंने अपने इन प्रयासों से यह साबित कर दिया की सती प्रथा एक ऐसी प्रथा है जिसके कारण हमारे देश की महिला परेशान हैं इस प्रथा के कारण हमारी देश की महिलाओं के ऊपर कितने अत्याचार किए जा रहे हैं यह बात राजा राम मोहन राय जी ने हमारे देश के लोगों को बताई और इस प्रथा को खत्म किया । सन 1829 को कानून बनाकर सती प्रथा को पूरी तरह से हमारे भारत में बंद कर दिया गया और यह कानून भी बनाया गया कि अगर कोई किसी महिला पर सती प्रथा के नाम पर अत्याचार करेगा तो उसको हमारे भारतीय कानून के हिसाब से सजा दी जाएगी ।
ऐसी कई प्रथाए है जिनके खिलाफ राजा राममोहन राय जी ने विरोध किया जैसे कि बाल विवाह , मूर्ति पूजा , बहु विवाह , सती प्रथा। वह यह जान चुके थे की जब तक हमारे देश से इन प्रथाओं को खत्म नहीं करेंगे तब तक हमारे देश का विकास संभव नहीं है और उन्होंने इन प्रथाओं को खत्म करने के लिए कई पुस्तकें भी लिखी हैं । सन 1823 में उन्होंने हिंदू नारी पर एक पुस्तक लिखी है जिसमें नारी पर क्या क्या अत्याचार किए जा रहे हैं इसके बारे में बताया गया है जिससे लोग पढ़ कर यह ज्ञान ले सकें की जब तक हमारे देश में नारी का सम्मान नहीं किया जाएगा तब तक हम सभी सफल व्यक्ति नहीं बन पाएंगे ।
इसके बाद उन्होंने 1827 में वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध वर्ण सूची नामक एक पुस्तक लिखी गई और इसमें भारत की अर्थव्यवस्था के बारे में बताया गया है । राजा राममोहन राय जी ने हमारे भारत की कई ऐसी खराब कुरीतियों को बदला है जिसके कारण हमारा देश आगे नहीं बढ़ पा रहा था जैसे की बुरी प्रथाओं को हमारे देश से हटाया गया और लोगों को जागरुक करके उनको धर्म के नाम पर इन प्रथाओं को ना मानने की सलाह भी दी गई और कई लोगों ने इनकी बातों को मानकर इन प्रथाओं का बहिष्कार किया । हमारे देश के लोगों को सही रास्ते पर चलाने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की हैं आज हम ऐसे महापुरुष राजा राममोहन राय जी को याद करते हैं ।
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