पुष्प की अभिलाषा माखनलाल चतुर्वेदी कविता Hindi poem pushp ki abhilasha
Hindi poem pushp ki abhilasha
Hindi poem pushp ki abhilasha-माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के जिले होशंगाबाद के बाबई नामक ग्राम में हुआ था वह एक ऐसे महान कवि,लेखक और पत्रकार थे जिन्होंने अपनी सरल भाषा से काव्य की रचना की है ये एक ऐसे महान कवि है जिनके अन्दर देश प्रेम की भावना हमेशा से ही थी.
देश प्रेम के लिए इन्होने कुछ आंदोलनों में भी भाग लिया इन्होने अंग्रेजो के खिलाफ प्रदर्शन भी किया और अंग्रेजो के खिलाफ आवाज भी उठाई इस वजह से वो जेल भी गए.इनकी कई कविताओं में देश प्रेम और प्रक्रति चित्रण की भी झलक मिलती है इनके द्वारा लिखित कविताये प्रशंसनीय है जो स्कूलो की किताबो में भी छपी जाति है इनकी और कविताओं की तरह ये कविता पुष्प की अभिलाषा भी काफी प्रसिद्ध है जो सभी को बेहद पसंद है आज हम इसी कविता को पढ़ेंगे तो चलिए पढ़ते हैं इनकी इस कविता को
चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनो में गूंथा जाऊं चाह नहीं, प्रेमी माला में बिंध प्यारी को ललचाऊं चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊं चाह नहीं देवों के सिर पर चढ़ूं भाग्य पर इठलाऊं मुझे तोड़ लेना वनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पर जावे वीर अनेक
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