प्रगतिवाद पर निबंध Pragativad essay in hindi

Pragativad essay in hindi

प्रगतिवाद का अर्थ है लोगों का आगे बढ़ना या आगे बढ़ने का सिद्धांत. हमारे देश में पुराने समय में राजा महाराजाओं का राज चलता था और धीरे धीरे राजा महाराजाओं का राज समाप्त होने के बाद बड़े बड़े पूंजीपतियों का राज आया और वह गरीब जनता पर राज करने लगे. प्रगतिवाद से तात्पर्य है कि गरीब जनता भी आगे बड़े और जो सुविधाएं पूंजीपतियों और पैसे वालों को मिल रही हैं वे सभी सुविधाएं हमारे देश के किसान और गरीब को भी मिले ।

Pragativad essay in hindi
Pragativad essay in hindi

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प्रगतिवाद का अर्थ है कि समय के साथ साथ सभी वर्ग के लोग आगे बड़े और सभी वर्गों के लोगों को आगे बढ़ाने के लिए सन 1935 में प्रगतिवाद कविता की रचना प्रारंभ की गई. इतिहास मैं आज तक इस दुनिया में 2 वर्ग के लोग रहते हैं प्रथम वर्ग में पूंजीपति शासक और धर्माचार्य लोग आते हैं और दूसरे वर्ग में मजदूर , किसान , दलित और नारी आते हैं, प्रगतिवाद के अनुसार इतिहास में पूंजीपतियों के द्वारा हमारे देश के दलित , किसान, मजदूर ,और नारी पर अत्याचार किया जाता था और उनको विकसित होने से रोका जाता था, उनको कई ऐसी सुविधाएं नहीं दी जाती थी जिससे वह अपना विकास कर सके लेकिन प्रगतिवाद कविता का उदय होने पर पूंजीपतियों के द्वारा गरीब किसान पर होने वाले अत्याचार को रोका गया ।

हिंदी भाषा में प्रगतिवाद की कविताएं लिखने में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और सुमित्रानंदन पंत जी का विशेष योगदान है इन कवियों ने प्रेम और कोमल कल्पना के माध्यम से यह बताया है कि गरीब लोगों को परेशान करने से उनका जीवन संकट में आ जाता है । पंत जी ने कई काव्य लिखे हुए हैं जैसे कि संग्रह , युगांत , युगवाणी, ग्राम्या और निराला की कुकुरमुत्ता , बेला , अणिमा , नए पत्ते आदि का प्रगतिवाद काव्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही । प्रगतिवाद के इन कवियों ने अपनी काव्य और कविताओं में बताया है कि गरीब , किसान पर अत्याचार करने से विकास किस तरह से रुक जाता है ।

जिस तरह से पूंजीपति आगे बढ़ रहे हैं उसी तरह से गरीब , किसान को भी आगे बढ़ना चाहिए और प्रगतिवाद कविताओं के माध्यम से महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोका गया है। उनकी कई कविताओं में बताया गया है कि महिलाओं पर अत्याचार करना कितना गलत है । अगर कोई पूंजीपति या शासक भगवान राम की तरह अपनी जनता को समझें तो देश के साथ-साथ जनता का भी विकास हो जाएगा. जिस तरह से भगवान राम ने जनता के लिए सीता माता को त्याग दिया था और जनता का साथ देकर अपना धर्म निभाया था । उसी तरह से पूंजी पतियों और शासक को भी जनता के हित में कार्य करना चाहिए, उनको आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए ।

जब हम प्रगतिवाद कविताओं और काव्य को पढ़ते हैं तो हमारा ह्रदय कांपने लगता है क्योंकि हम एक इंसान हैं इंसान को हमेशा दूसरे इंसान की मदद करना चाहिए. अगर कोई गरीब है और उस गरीब को किसी प्रकार की मदद की आवश्यकता है तो हम सभी को मिलकर उसकी मदद करना चाहिए क्योंकि वह भी एक इंसान है उसको भी सभी सुविधाओं का उपयोग करने का अधिकार है ।

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