जाति प्रथा पर कविता Poem on jati pratha in hindi
Poem on jati pratha in hindi
Poem on jati pratha in hindi-दोस्तों जाति प्रथा प्राचीनकाल से चली आ रही एक ऐसी प्रथा है जिसको पूरी तरह से ख़त्म करना बहुत जरुरी है,आज के इस आधुनिक युग में भी कई ऐसे लोग होते है जो जाति के कारण लोगो को नीचा समझते है,ये गलत है.हमें इन्सान को उसके कर्मो से आकना चाहिए तभी हम इन्सान की सही पहचान कर पायेंगे.आज हम पढेंगे जाति प्रथा के ऊपर लिखी गयी मेरी इस कविता को तो चलिए पढ़ते है-

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जाति प्रथा को हमारे समाज से दूर करो.खुद आगे बढ़ो और दूसरों को आगे बढ़ाने का प्रयास करो.
हर नौजवान को आगे बढ़ने को प्रेरित करो.जाति प्रथा को हमारे समाज से दूर करो.
इंसान की पहचान सिर्फ उसके कर्म से हो.ऐसे ही समाज का निर्माण तुम करो.
हर पल खुश रहो और दूसरों को खुश रखो.जाति प्रथा को हमारे समाज से दूर करो.
खुद आगे बढ़ो और दूसरों को बढ़ने दो.जिंदगी के खुशी के पल जीने का प्रयास तुम करो.
समाज के इस दोष को दूर तुम करो.हर पल खुशी खुशी बस तुम जिया करो.
इंसान के महत्व को समझकर उसकी इज्जत तुम करो.जाति प्रथा को दूर कर इज्जत उसकी करो.
जाति प्रथा को हमारे समाज से दूर करो.खुद आगे बढ़ो और दूसरों को आगे बढ़ाने का प्रयास करो.
किसी को आगे बढ़ते देखकर नफरत तुम ना करो.हमेशा दूसरों की इज्जत तुम करो.
इस भेदभाव से किसी का अपमान तुम ना करो.खुश रहो और दूसरों को खुश रखने का प्रयास तुम करो.
जाति प्रथा को हमारे समाज से दूर करो.आगे बढ़ो और दूसरों को आगे बढ़ाने का प्रयास करो.
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