दीपावली पर हरिवंशराय बच्चन जी की कविता Poem on diwali in hindi by harivansh rai bachchan

Poem on diwali in hindi by harivansh rai bachchan

दोस्तों हरिवंशराय बच्चन एक महान कवि थे उन्होंने अपने जीवन में बहुत सी कविताएं लिखी जो काफी प्रसिद्ध भी हैं इनके पुत्र अमिताभ बच्चन जी ने बॉलीवुड में एक बहुत बड़ी ख्याति हासिल की है आज हम इन्हीं हरिवंशराय बच्चन जी की एक प्रसिद्ध कविता दीपावली पर लिखित कविता पढ़ने वाले हैं तो चलिए पढ़ते हैं हमारी आज की इस कविता को

Poem on diwali in hindi by harivansh rai bachchan
Poem on diwali in hindi by harivansh rai bachchan

(१)मैं दीपक हूं मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है
आभारी हूं तुमने आकर मेरा ताप भरा तन देखा
आभारी हूं तुमने आकर मेरा अहा घिरा मन देखा
करुणामय वह शब्द तुम्हारा मुस्काओ था कितना प्यारा
मैं दीपक हूं मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है
है मुझको मालूम पुतलियों मैं दीपो की लो लहराती
है मुझको मालूम कि अधरों कि ऊपर जगती है बाती
उजाला कर देने वाली मुस्कानों से भी परिचित हूं
पर मैंने तुम की बांहों में अपना साथी पहचाना है
मैं दीपक हूं मेरा जलना ही तो मेरा मुस्काना है

(२)आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ
है कहां वह आग जो मुझ को जलाए
है कहां वह ज्वाल जो पास मेरे आए
रागिनी तुम आज दीपक राग गाओ
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ
तुम नई आभा नहीं मुझमें भरोगी
नव विभा में स्नान तुम भी तो करोगी
आज तुम मुझ को जगा कर जगमगाओ
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ
मैं तपोमय ज्योति की पर प्यास मुझको
है प्रणय की शक्ति पर विश्वास मुझको
स्नेह की दो बूंदे भी तुम गिराओ
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ
कल तिमिर को भेद मैं आगे बढूंगा
कल प्रलय की आंधियों से मैं लड़ूंगा
किंतु आज मुझको आंचल से बचाओ
आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ

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