कन्यादान कविता Poem on kanyadan in hindi
Poem on kanyadan in hindi
दोस्तों नमस्कार, आज हम आपके लिए लाए हैं कवि ऋतुराज की एक कविता कन्यादान.आप इस कविता को जरूर पढ़ें. ऋतुराज जो कि एक बहुत ही विख्यात कवि है जिनका जन्म राजस्थान के भरतपुर में 1940 को हुआ था. उन्होंने राजस्थान के ही विश्वविद्यालय से m.a. किया. उन्होंने अपने जीवन काल में कई तरह के काव्य संग्रह प्रकाशित किये जो कि काफी प्रसिद्ध है. इनमें से कुछ काव्य सूरत निरत, लीला अरविंद, एक मरण धर्मा और अन्य, पुल पानी में आदि है तो चलिए पढ़ते हैं ऋतुराज जी की कन्यादान कविता को
कितना प्रमाणिक था उसका दुख
लड़की को दान में देते वक्त
जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
लड़की अभी सयानी नहीं थी
अभी इतनी भोली सरल थी
कि उसे सुख का आभास होता था
लेकिन दुःख बांचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की
कुछ तुको और लयबद्ध पंक्तियों की
मां ने कहा पानी में झांककर
अपने चेहरे में मत रिझाना
आग रोटियां सेकने के लिए हैं
जलने के लिए नहीं
बस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमो की तरह
बंधन है स्त्री जीवन के
मां ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी मत दिखाई देना
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